HAVE YOU EVER THOUGHT ? Who Are You ? A Doctor ? An Engineer ? A Businessman ? A Leader ? A Teacher ? A Husband ? A Wife ? A Son ? A Daughter are you one, or so many ? these are temporary roles of life who are you playing all these roles ? think again ...... who are you in reality ? A body ? A intellect ? A mind ? A breath ? you are interpreting the world through these mediums then who are you seeing through these mediums. THINK AGAIN & AGAIN.
Tuesday, 18 November 2014
कर्म बंध की विशेषताए -
कर्म बंध की विशेषताए -
.. सारांशत:कर्मों का फल किसी की कृपा से नहीं मिलता! कर्मों को करने वाले,भोगने वाले और उन्हें संचित करने वालो को इनका फल मिलता है ! जो कर्म सिद्धांत में श्रद्धां रखते है उनके इनका फल अनुभव में आता है
१- जीव अपने परिणामों से ही कर्मो को बांधता है,भोगता है और कुछ को संचित कर अपने साथ अगले भवों की यात्रा में मोक्ष प्राप्ति तक ले जाता है
२- कर्म द्रव्य ,क्षेत्र ,काल,भाव और भाव के अनुसार अपने फल देते है जिसको बदलकर उनकी फलदान शक्ति को हीनाधिक किया जा सकता है !
३- भावों की तीव्रता और मंदता के अनुसार उनके फलदान में विशेषता आती है !
४- कर्म उदय के पश्चात फल देकर मरण को प्राप्त हो जाते है,वे आत्मा से स्वयं पृथक हो जाते है !
५- किसी समय विशेष पर बंधा कर्म अगले समय में भी फल दे सकता है और बहुत समय (कोड़ा कोडी सागर ) के बाद भी फल दे सकता है !|
६- यह आवश्यक नहीं है की कर्म अपनी स्थिति की पूर्णता के बाद ही फल दे ,स्थिति की पूर्ती से पूर्व भी हम तपश्चरण द्वारा उनकीउदीरणा उनकी स्थिति की पूर्ती से पूर्व करी जा सकती है !
७- यह आवश्यक नहीं है की कर्म अपना फल यथावत दे (जैसे बंधे वैसा ही दे) क्योकि वे आंतरिक और बाह्य शक्तियों के कारण बिना फल दिए भी निर्जरा कर सकते है !उद्धरण यदि आप प्रवैग=हाँ सुन रहे है मंदिर , उनकी निर्जरा क्षेत्र बदलने से स्वयं हो जाएगी !
८- आयु कर्म को छोड़कर ,जो जीव के आठ अपकर्ष कालों में ही बंधता है,शेष सातों कर्म जीव के प्रति समय बंधते है !
९- चारो आयु कर्म ,दर्शन मोहनीय ,चरित्र मोहनीय अपना फल स्वमुख देते है !
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