Sunday, 1 March 2015

देवताओं का किस प्रकार का कामसुख होता है ? 1. भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क, वाणव्यंतर, तिर्यग्जृंभक देव तथा प्रथम सौधर्म तथा द्वितीय ईशान देवलोक तक के देव मनुष्य की भाँति कामसुख का सेवन करते हैं । 2. तीसरे सनत्कुमार एवं चौथे माहेन्द्र देवलोक के देव, देवियों के स्पर्श से ही तृप्त हो जाते हैं । 3. पांचवें ब्रह्मलोक एवं छट्ठे लांतक कल्प के देव, देवीयों के शृंगार-रुप को देखकर ही संतुष्टि प्राप्त कर लेते हैं । 4. सातवें महाशुक्र एवं आठवें सहस्रार स्वर्ग के देव, देवियों के शब्द सुनकर ही कामसुख का अनुभव कर लेते हैं । 5. नौंवे से बारहवें देवलोक के देवों की कामेच्छा देवियों के चिन्तन से ही पूर्ण हो जाती है । 6. बारहवें देवलोक से उपर नवग्रैवेयक और पांच अनुत्तर वैमानिक देव कामवासना से मुक्त होते हैं । इस प्रकार कामवासना क्रमशः कम होती जाती है ।

No comments:

Post a Comment