पंथ हैं अनेक जिनमत में भले ही पर
मोक्षमार्ग वाला सुविचार तो एक है
मान्यताएं सबकीं भले ही हों अनेक किंतु
पाँच पद वाला नवकार तो एक है
एक डोर से बंधो डोर को मत काटो
जैन धर्म को पंथवाद में मत बांटो
रहे दिगंबर, श्वेताम्बर, तेराह्पंथी, स्थानक वाले
वर्धमान के वंशज हैं, सब एक वृक्ष की हैं डालें
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