Sunday, 1 March 2015

पंथ हैं अनेक जिनमत में भले ही पर मोक्षमार्ग वाला सुविचार तो एक है मान्यताएं सबकीं भले ही हों अनेक किंतु पाँच पद वाला नवकार तो एक है एक डोर से बंधो डोर को मत काटो जैन धर्म को पंथवाद में मत बांटो रहे दिगंबर, श्वेताम्बर, तेराह्पंथी, स्थानक वाले वर्धमान के वंशज हैं, सब एक वृक्ष की हैं डालें

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