मनुष्यों के मुख्य तीन भेद होते है
तीन भेदः- 1.कर्मभूमिज 2.अकर्मभूमिज 3.अन्तर्द्वीपज ।
कर्मभूमि किसे कहते है
जिस भूमि में असि-मसि और कृषि का कार्य होता है, उसे कर्म भूमि कहते है ।
1. असि – अस्त्र, शस्त्रादि का कार्य ।
2. मसि – पठन, लेखन का कार्य ।
3. कृषि – खेती, व्यापार का कार्य ।
अकर्मभूमि किसे कहते है ?
जिस भूमि में असि-मसि-कृषि का कार्य नहीं होता है, उसे अकर्मभूमि कहते है ।
अन्तर्द्वीप कहते है जिसके चारो तरफ जल हो, उसे अन्तर्द्वीप कहते है ।
कर्मभूमियों के पन्द्रह भेदः- पांच भरत, पांच महाविदेह, पांच ऐरावत ।
अकर्मभूमियों तीस भेदः- पांच हिमवन्त, पांच हिरण्यवंत, पांच हरिवर्ष, पांच रम्यक्, पांच देवकुरु, पांच उत्तरकुरु ।
अन्तर्द्वीप छप्पन । है
छप्पन अन्तर्द्वीप कहाँ पर है ?
भरत क्षेत्र की उत्तर दिशा में हिमवन्त नामक पर्वत है और ऐरावत क्षेत्र की उत्तर दिशा में शिखरी नामक पर्वत है । दोनों पर्वत पूर्व एवं पश्चिम दिशा में लवण समुद्र तक फैले हुए हैं । दोनों पूर्व एवं दोनो पश्चिम दिशाओं (प्रत्येक दिशा) में दो-दो दंष्ट्राकार भूमियाँ है । इस प्रकार कुल आठ दंष्ट्राकार भूमियाँ हुई । प्रत्येक दंष्ट्रा में सात-सात अन्तर्द्वीप स्थित हैं । इस प्रकार कुल छप्पन अन्तर्द्वीप हुए । भरत क्षेत्र की उत्तर दिशा में जो अट्ठावीस अन्तर्द्वीप हैं, उसी नाम के अट्ठावीस अन्तर्द्वीप ऐरावत क्षेत्र की उत्तर दिशा में स्थित हैं ।
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