Tuesday, 24 February 2015

रश्न-32.निगोद के जीवों के भव बताईये ? जवाब-32.निगोद के जीव – 1. एक श्वासोच्छ्वास में साढे सत्रह भव करते हैं । 2. एक मुर्हूत्त में 65,536 भव करते हैं । 3. एक दिन में 19,66,080 भव करते हैं । 4. एक मास में 5,89,82,400 भव करते हैं । 5. एक वर्ष में 70,77,88,700 भव करते हैं।

Friday, 13 February 2015

धर्म हमारे मर्ज का इलाज है, अनादि से चले आरहे भव भ्रमण के मर्ज का स्थायी इलाज; पर हमें इसकी चाहत ही नहीं है, दरअसल अपने वर्तमान के दुखड़ों में ही हम इतनी गहराई तक डूबे हुए हें कि हमें अपने त्रैकालिक लक्ष्य के बारे में सोचने का अवकाश ही नहीं है. बस ! हमें तो अपने वर्तमान के झंझटों से निजात चाहिये, हर कीमत पर, इसी वक्त. धर्म का अवलंबन हमें अपने वर्तमान दर्द की दवा नहीं दिखाई देता है, हाँ ! वह हमारी कल्पना का भगवान् कदाचित (हमारी कल्पना के अनुसार) हमारे इन दुखड़ों को दूर कर सकता है इसलिए हम उस भगवान् के दरबार में तो हाजिरी लगाते हें, मत्था टेकते हें पर भगवान् के द्वारा बतलाये गए धर्म के मार्ग पर ध्यान ही नहीं देते हें. अपने वर्तमान दुखों को दूर करने के लिए हम मात्र स्थापित भगवानों की ही शरण में नहीं जाते हें वरन हम उन सभी को भगवान् मानने और पूजने को हमेशा तैयार रहते हें जो हमें अपने इन दुखड़ों से मुक्ति दिलाने में सहायक प्रतीत होते हों, चाहे फिर यह हमारा भ्रम ही क्यों न हो. यही कारण है कि हमारी भगवानों की लिस्ट में नित नए नाम जुड़ते जारहे हें और हम पाते हें कि इन नये भगवानों के दरबार में पुराने स्थापित भगवानों की अपेक्षा ज्यादा भीड़ जुटती है, ज्यादा मन्नतें माँगी जातीं हें और ज्यादा चडाबा आता है.