Tuesday, 18 November 2014

ध्यान -आप सब के साथ अपना तजुर्बा शेयर करना चाहूँगा- आप सब के साथ अपना तजुर्बा शेयर करना चाहूँगा- ध्यान एक विषय में चित्त वृत्ति को रोकना ध्यान है,जो की उत्तम संहनन वाले जीव को अंतर्मूर्हत तक हो सकता है!आर्त और रौद्र ध्यान संसार के कारण तथा धर्म और शुक्ल ध्यान मोक्ष के हेतु है,इस प्रकार ध्यान के चार भेद है! पीड़ा से उत्पन्न हुआ आर्त और क्रूरता से उत्पन्न हुआ रौद्र ध्यान है!संसार और भोगो से विरक्त होने के लिए या विरक्त होने पर उस भाव की स्थिरता के लिए जो ध्यान किया जाता है वह धर्म ध्यान है!शुक्ल ध्यान किसी भी जीव को उत्तम सहनं के अभाव मे पंचम काल में होना असंभव है! आर्त और रौद्र ध्यान दोनों ही त्याज्य है क्योकि ये नरक और तिर्यंच गति के बांध के कारण है! अत:पंचम काल में धर्मध्यान ही ध्येय है उसके आज्ञा,अपाय,विपाक और संस्थान चार भेद है!इनकी विचारणा के निमित्त, मन को एकाग्र करना धर्म ध्यान है! धर्मध्यान के दस भेद - अपाय विचय,उपाय विचय,विपाक विचय,विराग विचय,लोक विचय,भाव विचय,जीव विचय,आज्ञा विचय,संस्थान विचय और संसार विचय है! संस्थान विचय ध्यान के स्वामी मुख्यत मुनि है कितु गौण रूप से असंयत सम्यग्दृष्टि और देशविरत भी है!अर्थात यथा शक्ति श्रावकों को भी धर्मध्यान का अभ्यास करना अति उत्तम है! संस्थान विचय ध्यान के भेद- पिंडस्थ,पदस्थ,रूपस्थ और रूपातित चार है ! पिंडस्थ ध्यान में पांच धारणाएं -पार्थिवी,आग्नेयी,श्वसना,वारूणी और तत्वरूपवती हैं जिनसे संयमीमुनि और ज्ञानी कर्मों रूपी सागर को काटते हैं। पार्थिवी धारणा- इसके लिए आप,मध्यलोक में स्वयंभूरमण सागर पर्यन्त तिर्यग्लोक मे,कोलाहल रहित शांत क्षीरसागर का ध्यान करे! इस सागर के मध्य में सुन्दर स्वर्ण जैसी कांति वाले और जम्बूद्वीप के विस्तार के सामान,एक लाख योजन विस्तार वाले,मेरु सदृश्य,पीली कणिका के एक हज़ार पंखुड़ियों वाले कमल का ध्यान करे! इस के ऊपर,श्वेतवर्ण के सिंहासन पर आप स्वयं विराजमन हो,अपनी आत्मा के शांत स्वरुप का चिंतवन करे पुन:चितवन करे की आप आपकी आत्मा,अष्ट कर्मों के नाश करने में उद्यम शील है ! आग्नेयी धारणा-आप अपनी नाभि मे,एक सोलह ऊँचे ऊँचे पत्तों वाले कमल का चिंतवन करे। इन पत्तों पर क्रम से अ आ,इ ,ई,,उ,ऊ,ऋ,ऋृ,ऌ,ॡ, ए,ऐ,ओ,औ,अं,अः अक्षर बुद्धि की कलम से लिखे! कमल की कर्णिका पर 'ह्रीं' महामंत्र विराजमान है! पुन: ह्रदय में आठ पंखुड़ीयों का अधोमुख कमल का ध्यान करे,जिसकी पंखुड़ियों पर ज्ञानावर्णीय,दर्शनावर्णीय,वेदनीय,मोहनीय ,आयु,नाम,गोत्र और अन्तराय कर्म स्थित है!अब नाभि पर स्थित कमल की कणिका पर"ह्रीं" से अग्नि की लौ निकलती हुई ऊपर की और अग्रसर करती है और बढ़ते बढ़ते आठ पंखुड़ी वाले कमल को जला रही है! कमल को जलाते हुए अग्नि बाहर फैलते हुए,बाद में त्रिकोण अग्नि बन जाती है,जो की ज्वाला समूह जलते हुए जंगल की अग्नि के सामान है !इस बाह्य अग्नि त्रिकोण पर "रं" बीजाक्षर से व्याप्त और अंत में साथिया के चिन्ह से चिन्हित है!और ऊपर मंडल में,निर्धूम सोने की कांति वाली है!यह अग्नि मंडल नाभिस्थ,उस कमल और शरीर को भस्म करके जलने के बाद,समस्त ज्वलनशील पदार्थों के अभाव में धीरे धीरे स्वयं शांत हो जाता है! श्वस्ना धारणा -पुन:आप सोचे की आकाश में,पर्वतों को कम्पित करने वाली महावेगशाली वायु चल रही है,जिससे शरीर आदि की भस्म इधर उधर उड़ जाती है और उसके बाद,वह वायु शांत हो जाती है! वारूणी धारणा-पुन:आप ध्यान कीजिये की बिजली,इंद्र धनुष आदि सहित बादल चारों ऒर घनघोर वर्षा कर रहे है जिस के जल से शरीर आदि की भस्म प्रक्षालित हो रही है! तत्त्व रुपी धारणा - तत्पश्चात,आप चिंतवन करे,की आप सप्तधातु रहित,पूर्ण चंद्रवत निर्मल सर्वज्ञ सदृश्य हो गए है,देव,सुर,असुर आपकी पूजा कर रहे है!इस प्रकार ध्यानी मोक्ष सुख को प्राप्त करता है!अंतत:आप सिद्ध शिला पर पहुँच कर अन्य सिद्धों के बीच पहुँच कर,निराकुल हो कर आप अनंत मोक्ष सुखों का अनुभव कर रहे है! नोट- इस ध्यान का अभ्यास ,मैं स्वयम काफी समय से कर रहा हूँ,आप यदि समस्त विकल्पों से निश्चंत होकर इस प्रकार ध्यान लगायेगें तो आपका शरीर और आत्मा के पृथक-पृथक होने का भी अनुभव कुछ समय तक अभ्यास करने के बाद होगा !
कर्म बंध की विशेषताए - कर्म बंध की विशेषताए - .. सारांशत:कर्मों का फल किसी की कृपा से नहीं मिलता! कर्मों को करने वाले,भोगने वाले और उन्हें संचित करने वालो को इनका फल मिलता है ! जो कर्म सिद्धांत में श्रद्धां रखते है उनके इनका फल अनुभव में आता है १- जीव अपने परिणामों से ही कर्मो को बांधता है,भोगता है और कुछ को संचित कर अपने साथ अगले भवों की यात्रा में मोक्ष प्राप्ति तक ले जाता है २- कर्म द्रव्य ,क्षेत्र ,काल,भाव और भाव के अनुसार अपने फल देते है जिसको बदलकर उनकी फलदान शक्ति को हीनाधिक किया जा सकता है ! ३- भावों की तीव्रता और मंदता के अनुसार उनके फलदान में विशेषता आती है ! ४- कर्म उदय के पश्चात फल देकर मरण को प्राप्त हो जाते है,वे आत्मा से स्वयं पृथक हो जाते है ! ५- किसी समय विशेष पर बंधा कर्म अगले समय में भी फल दे सकता है और बहुत समय (कोड़ा कोडी सागर ) के बाद भी फल दे सकता है !| ६- यह आवश्यक नहीं है की कर्म अपनी स्थिति की पूर्णता के बाद ही फल दे ,स्थिति की पूर्ती से पूर्व भी हम तपश्चरण द्वारा उनकीउदीरणा उनकी स्थिति की पूर्ती से पूर्व करी जा सकती है ! ७- यह आवश्यक नहीं है की कर्म अपना फल यथावत दे (जैसे बंधे वैसा ही दे) क्योकि वे आंतरिक और बाह्य शक्तियों के कारण बिना फल दिए भी निर्जरा कर सकते है !उद्धरण यदि आप प्रवैग=हाँ सुन रहे है मंदिर , उनकी निर्जरा क्षेत्र बदलने से स्वयं हो जाएगी ! ८- आयु कर्म को छोड़कर ,जो जीव के आठ अपकर्ष कालों में ही बंधता है,शेष सातों कर्म जीव के प्रति समय बंधते है ! ९- चारो आयु कर्म ,दर्शन मोहनीय ,चरित्र मोहनीय अपना फल स्वमुख देते है !
मोक्ष कल्याणक सभी भाई,बहिनों,पुत्रों,पुत्रियों,पौत्रो,पौत्रियोएवं पिताजी और पत्नी मम्मीजी को सस्नेह जैजिनेंद्र देव,शुभ प्रभात। मोक्ष कल्याणक केवली भगवान् का समुघात् -- समुघात्- मूल शरीर को बिना छोड़े,आत्मप्रदेशों का शरीर से बहार निकलना समुद्घात है!जब केवली भगवान् की आयु अंतर्मूर्हत काल प्रमाण रह जाती है तब उनके अन्य तीन अघातिया नाम, वेदनीय,और गोत्र कर्मों की अधिक स्थिति को,आयुकर्म कीअंतर्मूर्हत प्रमाण स्थिती के बराबर करने के लिए केवली समुद्घात् होता है! इसमे केवली भगवान् के आत्मप्रदेश,शरीर को छोड़े बिना उससे बहार निकलते है! कुछ आचार्यो के मतानुसार,जिन मुनिमाहराजो की आयु केवलज्ञान होने के समय ,६ माह से अधिक शेष रहती है,उनके समुद्घात हो भी सकता है और नही भी हो सकता है,किंतु जिनकी आयु ६ माह से कम शेष रहने पर केवलज्ञान होता है उनके नियम से समुदघात् होता है। आचार्य वीर सैन स्वामी ,धवलाकार के मतानुसार सभी केवली भगवान् अन्त मे समुद्घात करते ही है क्योकि चारो अघातिया कर्मो की स्थिति समान नही रहती है। केवली समुदघात् की विधि- इसमे कुछ करना नहीं पड़ता,बल्कि स्वयं अंतर्मूर्हत आयु शेष रहने पर,केवली के आत्मप्रदेश शरीर से बहार निकलते है! केवली समुदघात मे चार क्रियाये होती है। सर्वप्रथम प्रथम समय मे आत्मा के प्रदेश,१ समय मे, डंडे की तरह सीधे निकलते हैं,यह दंड समुदघात् कहलाता है। दूसरे समय मे,उनके आत्म प्रदेश,किवाड़ के समान १ समय मे चौड़े फैलकर निकलते है,यह कपाट समुद्घात् कहलाता है। तीसरे समय मे,उनके आत्मप्रदेश १ समय मे वातवलय को छोड़कर, पूरे लोक मे फैल जाते है,यह प्रकर समुद्घात् कहलाता है। चौथे समय मे,उनके आत्म प्रदेश १ समय मे ही वातवलय सहित संपूर्ण लोक मे फैल जाते है,यह लोकपूर्ण समुद्घात् कहलाता है। लोकाकाश प्रदेश प्रमाण ही आत्मा के प्रदेश है!एक-एक लोक के प्रदेश पर आत्मा का एक एक प्रदेश स्थित हो जाता है! पांचवे समय में,आत्मप्रदेश लोक्पूर्ण से प्रकर मे आते है, छटे समय मे प्रकर से कपाट में , सातवे समय में कपट से दंड में, और आठवे समय मे दंड से शरीर में प्रवेश करते है! इस प्रकार समुद्घात की क्रिया ८ समय में पूर्ण होती है! केवली समुद्घात् के द्वारा केवली तीनों अघतिया कर्मों की स्थिति अंतर्मूर्हत प्रमाण करते है केवली समुद्घात के बाद केवली भगवान् कुछ समय विश्राम करते है,बादर काययोग के द्वारा,बादर मनोयोग फिर बादर वचनयोग,फिर बादर श्वसोच्छावास ,फिर बादर कायायोग भी समाप्त हो गया! जब सूक्षम काययोग रह जाता है,तब तीसरा शुक्ल ध्यान,सूक्षमक्रियाप्रतिपाती १३वे गुणस्थान के अंतिम अंतर्मूर्हत में ध्याते है! उस सूक्ष्म काययोग के द्वारा,सूक्ष्ममनोयोग, सूक्ष्मवचनयोग, सूक्ष्म श्वसोच्छावास, सूक्ष्म कायोयोग समाप्त कर तीन कर्मों की स्थिति आयुकर्म के बराबर हो जाती है! सब योग समाप्त हो गए! अब वे १४ वे अयोगकेवली गुणस्थान में आ जाते है। अब व्युपरतक्रियानिवृत्ति,चौथा शुक्ल ध्यान ध्याते है,जिसके द्वारा शेष ८५ कर्म प्रकृतियों में से ७२ का आयु के एक समय रहने पर तथा १३ का अंतिम समय में क्षय होता है!इस प्रकार १४वे गुणस्थान के अंतिम दो समय मे ८५ प्रकृतियों का सर्वथा क्षय हो जाने से केवली मोक्ष प्राप्त कर लेते है! अब वह आत्मा सिद्धावस्था को प्राप्त कर,सीधे उर्ध्व गमन कर 1 समय मे सिद्धशिला के ऊपर लोक के अंत में तनुवातवलय मे विराजमान हो जाते है! सिद्ध भगवान् के आठ गुण - १-मोहनीय कर्म के क्षय से क्षायिक सम्यक्त्व, २-ज्ञानावरण के क्षय से अनंत ज्ञान, ३-दर्शनावरण के क्षय से अनंतदर्शन, ४-अन्तराय कर्म के क्षय से अनंतवीर्य, ५-वेदनीय कर्म के क्षय से अव्यवबाधत्व, ६-आयुकर्म के क्षय से अव्गाहनात्व, ७-नामकर्म के क्षय से सूक्षम्त्व, ८-गॊत्रकर्म के क्षय से अगुरुलघुत्व गुण प्राप्त होते है ! आत्मा के शरीर से निकलने के बाद पुद्गल शरीर शेष रह जाता है,जिसके विषय में शास्त्रों में दो प्रमाण मिलते है !कुछ आचार्य के मतानुसार शरीर कपूर के सामान उड़ जाता है!अन्य आचार्य के मतानुसार, आत्मा के निकल जाने के बाद देवतागण वहां कर,उनमे से अग्नि कुमार देव अपने मुकुट मे से अग्नि प्रकट करते है,जिससे शरीर ज्वलित कर अंतिम शरीर का संस्कार किया जाता है! सिद्धात्माओ का निवास- कुछ लोग अपनी पूजन की थाली में अर्द्ध चंद्राकार चिन्ह बनाकर उसके मध्य,एक बिंदु लगाकर, सिद्ध भगवान की कल्पना कर लेते है किंतु वास्तव मे ऐसा नही है।ऊर्ध्व लोक मे ऊपर ५ अनुत्तर विमान है जिसके बीचोबीच सर्वार्थसिद्धि का विमान है,इसके ऊपर १२योजन तक खाली स्थान है।इस खाली स्थान के ऊपर ८ योजन मोटी,४५ लाख योजन वृताकार सिद्धशिला है।यह सिद्ध शिला अष्टम, ईष्टप्रभागार पृथ्वी के, जो कि एक राजू चौडी और ७राजू चौड़ी के बीचोबीच स्वर्णप्रभा वाली कांतियुक्त है।इस पर भगवान् विराजमान नही होते।सिद्धशिला के ऊपर दो कोस मोटा घनोदधिवातवलय है,उसके ऊपर एक कोस मोटा घनवातवलय है,उसके ऊपर लोक के अन्त तक १५७५ धनुष मोटा तनुवातवलय है।इस तनुवातवलय के अन्त को सिद्ध भगवान के सिर छूते हुए होते है। सिद्ध आत्माए,अनंत शक्ति,होते हुए भी तनुवातवलय से ऊपर,अनंत अलोकाकाश में धर्म और अधर्म द्रव्य के अभाव के कारण नहीं जा पाती है! सिद्धालय का आकार सिद्धालय,५२५ धनुष मोटे ४५लाख योजन वृताकार मे अनंतानंत सिद्ध आत्माए विराजमान है! आचार्यों ने लिखा है की,रंच मात्र स्थान भी इस सिद्धालय मे खाली नहीं है!४५ लाख योजन मनुष्यलोक से ही सिद्ध होकर आत्माए ४५ लाख योजन के सिद्ध क्षेत्र मे आत्माए विराजमान होती है जो की मनुष्य लोक से सीधे मुक्त होकर ऊपर सीधी जाती है! अब प्रश्न ऊठता है की लवण समुद्र ,कालोदधि समुद्र ,समेऱू पर्वत, भोग भूमियो के ऊपर तो सिद्ध क्षेत्र मे स्थान खाली होगा क्योकि वहां से तो आत्माए सिद्ध नहीं होती, किंतु ऐसा नहीं है! क्योकि पूर्व भव के कुछ बैरी देव होते है वे कर्म भूमि से ध्यानस्थ मुनि को बैरवश ऊठाकरसमूद्र मे फेंक देते है,ऐसे मुनिराज को समुद्र मे गिरते गिरते ही केवल ज्ञान औौर मोक्ष हो जाता है।ऐसे मुनिराज की आत्माये सिद्धलोक मे समुदर् के ऊपर विराजमान होती है।समेरू पर्वत की गुफाओ मे मुनिराज ध्यानस्थ है,कर्मो को नष्टकर ,शुक्लध्यानलगाकर सीधे ऊपर सिद्धालय मे मुक्त होकर विराजमानहो गये। जैन दर्शन के अनुसार,सिद्ध आत्माओं ने अष्ट कर्मों का क्षय कर लिया है इसलिए उन्हें संसार मे कोई पर्याय नहीं मिलेगी अत: वे सिद्धत्व को प्राप्त करने के बाद संसार मे दुबारा नहीं आती है!सिद्धालय मे ही बिना हिले डुले अनंत सुख का अननन्त काल तक रसस्वादन करती रहेंगी! अन्य कुछ धर्मों के अनुसार, बैकुंठ मे जी आत्माए चली गयी है, वे एक निश्चित समय के बाद पुन:संसार में आती है! सिद्ध आत्माओं का आकार- पद्मासनं अथवा खडगासन से मुक्त होने वाले सभी केवली की आत्मा ,उनके शरीर के अंतिम आसन के आकर, पद्मासनं अथवा खडगासन से, कुछ कम प्रमाण,(उसी पद्मासन/खडगासन के आकर )में आत्मा के प्रदेश ऊपर सिद्धालय में विराजमान रहते है!भगवान् ऋषभ देव की आत्मा के प्रदेशों की लम्बाई ५०० धनुष ,भगवान् महावीर की ७. ५ हाथ है! अनंतानंत आत्माओं के मोक्ष जाने के बाद भी संसार आत्माओं से रिक्त नहीं होता क्योकि संसार मे अनंतानंत जीव है,आलू के एक सुई के बराबर तिनके में ,अनंतानंत जीव अनंतकाल से भरे हुए है!आचार्यों ने लिखा है की अननन्त काल में जितनी आत्माए अभी तक सिद्ध हुई है,वे आलू की नोंक मे जितने जीव है उसके अनंतवे भाग है!जब अनंतानंत काल में संसार जीवों से रिक्त नहीं हुआ तो अब क्या होगा!अनंतानंत संख्याये कभी समाप्त नहीं होती! सिद्ध आत्माओं के सिद्धालाय में सुख- संसारी जीवों को खाने,पीने,मौज मस्ती मे सुख की अनुभूति होती है किन्तु वास्तव में वह सुख नहीं है! जीव में कर्मों के बंध के कारण ही आकुलता होती है जो की दुःख है और उसका समाप्त हो जाना अर्थात निराकुलता,जो की सिद्धावस्था में कर्मों के क्षय के कारण होती है,वास्तविक सुख है! हमें यह मोक्ष कल्याण सुनने से मोक्ष की प्राप्ति के लिए भावना भानी चाहिए और उसके लिए उस दिशा में पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए !
समवशरण समवशरण जिस स्थान पर तिर्यन्चों,मनुष्यों,देवों,देवांगनाओं को भगवान् के उपदेश सुनने का समान अवसर मिले,उसे समवशरण कहते है!अर्थात भगवान तीर्थंकर, के दिक्षित होने के बाद,चार घातिया कर्मों के क्षय होने से केवल ज्ञान होने पर, की धर्म सभा को समवशरण कहते है!केवल ज्ञान होते ही भगवान का शरीर पृथ्वी से ५००० धनुष =३०००० फिट ऊपर उठ जाता है! केवल ज्ञान होने की सूचना का ज्ञान ,देवों/इन्द्रों को घंटों की आवाज़ शंखनाद,सिंह नाद आदि से मिल जाती है तथा अपने अवधिज्ञान से इंद्र,पता लगा लेते है की किस स्थान पर भगवान् को केवल ज्ञान हुआ है !इंद्र अपने स्थान पर खड़े होकर सात कदम आगे बढ़ कर भगवान् को नमोस्तु कर,कुबेर को समवशरण की रचना का आदेश देते है,जिसके अनुपालनार्थ कुबेर केवलज्ञान स्थल पर पहुंचकर समवशरण की रचना करते है! समवशरण रचना -जिस स्थान पर भगवान् पृथ्वी से ऊपर उठते है ,उसी स्थान पर नीचे की ऒर एक टीले के आकर की रचना और उसके समतल पर सात भूमियों के बाद अष्टम भूमि श्रीमंड़प की रचना करते है जिसमे वृताकार आकृति १२ कोठो मे विभक्त होती है पहले कोठे में मुनि गन,११ वे कोठे मे मनुष्य ,१२ वे कोठे में सैनी पशु बैठते है!इन १२ कोठों के बीच मे ,तीन पीठ एक के ऊपर दूसरी ,दूसरी के ऊपर तीसरी और उसके ऊपर गंधकुटी होती है! उसके ऊपर एक रत्नों से मंडित सिंहासन होता है,उसके ऊपर एक कमल होता है,जिस से चार अंगुल ऊपर अन्तरिक्ष में पद्मासन में तीर्थंकर भगवान् विराजमान होते है!जहाँ भगवान् विराजमान होते है वहां अष्ट प्रातिहार्य होते है,१० केवल ज्ञान के अतिशय होते है,तथा देवकृत १४ विशेषताए और होती है! नीचे से ऊपर ३०००० फिट पर पहुचने के लिए २०००० सीडियां चारों दिशाओं मे होती है,इन्हें आधुनिक एस्केलेटर के सामान कल्पना कर सकते है,जिसकी प्रथम सीडी पर पैर रखते ही बच्चे,बूढ़े,जवान सभी पल झपकते ही ऊपर समवशरण में पहुँच जाते है! वहां पहुंचते ही चारों दिशाओं मे चार मानस स्तम्भ दिखते है जिन्हें देखकर आगुन्तक का मान गलित हो जाता है,उसका श्रद्धानं भी ठीक हो जाता है! इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है की समवशरण मे सिर्फ सम्यग्दृष्टि ही प्रवेश करते है,या सभी सम्यग्दृष्टि हो जाते है, वरन अधिकांशत:सम्यग्दृष्टि प्रवेश करते है!समवशरण तीनों लोकों मे दर्शनीय स्थान होते है !इन्द्रों के महल और सभाये भी इनके समक्ष फीकी होती है ! समवशरण तीर्थंकर केवलियों के ही बनते है,सामान्य केवलियों के नहीं बनते!सामान्य केवलियों के भी शरीर ५००० धनुष ऊपर उठ जाते है किन्तु उनकी धर्म सभा के बीच में गंधकुटी की रचना होती है! भगवान् अन्तरिक्ष मे सिंहासन पर चार अंगुल ऊपर,विराजमान होते है! यह अंतर तीर्थंकर,अर्थात तीर्थ का प्रवर्तन करने वाले भगवान् होने के कारण यह विशेषता होती है !सामान्य केवली जैसे भगवान् बाहुबली जी,भगवान् भरत , भगवन रामचंद्र जी,इनके समवशरण नहीं होते मात्र गंध कुटी होती है! (पदम् पुराण में राम चन्द्र जी के समवशरण की रचना का वर्णन आया है सही तो केवली ही बता पायेंगे)! इसमे से निरंतर सुगंध निकलने के कारण इसे गंधकुटी कहते है! भगवान के उपदेश सुनने का अधिकार सैनी पशुओं को,मनुष्यों को,और देवों को है क्योकि नारकी यहाँ आ नहीं सकते!कुछ लोगों की धारणा है ,और त्रियोपण्णत्ति में भी लिखा है की अभव्य और मिथ्यादृष्टि जीवों का समवशरण मे प्रवेश नहीं होता!किन्तु अन्य आचार्यों और हरिवंश पुराण के राचियेता ने लिखा है की मिथ्या दृष्टि जीवों का समवशरण मे प्रवेश होता है!महापुराण और उत्तरपुराण में लिखा है कि अभव्य,मिथ्यादृष्टि भी समवशरण मे जा कर भगवान् का उपदेश सुनते है! इस पर हमें टिपण्णी करना उचित नहीं है !किन्तु यदि भगवान् की दिव्यध्वनि सुनने का अधिकार मिथ्यादृष्टि को नहीं होगा तो यह बात कैसे घटित होगी की उनकी दिव्यध्वनि सुनकर असंख्यात जीवों को सम्यगदर्शन हो जाता है! अत:उत्तरपुराण /महापुराण का वक्तव्य अधिक सही प्रतीत होता है !तदानुसार,हर प्रकार के जीव को ध्वनि सुनने का अधिकार है चाहे वे उसे स्वीकार करे या नहीं करे! भगवन की दिव्य ध्वनि के विषय मे भिन्न-भिन्न शास्त्रों मे तीन प्रकार के प्रमाण मिलते है कुछ शास्त्रों मे लिखा है दिव्य ध्वनि दिन में ६-६ घड़ी चार बार खिरती ,कुछ मे लिखा है ६-६ घड़ी दिन मे तीन बार खिरती है,कुछ मे लिखा है ९-९ घड़ी तीन बार होती है!घड़ी=२४ मिनट !सुबह ६ बजे,दोपहर १२ बजे सांय ६ बजे और रात्रि १२ बजे! समवशरण में रात्रि होती नहीं क्योकि भगवान् के शरीर से सैकडों सूर्यों से अधिक प्रकाश निकलता है!इसलिए समवशरण मे दिन -रात्रि का भेद ही नहीं होता!सदा प्रकाश ही प्रकाश रहता है!यहाँ रात्रि का प्रयोग भारत क्षेत्र के आर्य खंड की अपेक्षा से कहा है ! समवशरण मे जीवों मे राग द्वेष बुद्धि नहीं होती जैसे गाय और शेर एक साथ बैठते है! वहां बैठने वालों को भूख,प्यास,नींद,थकान आदि किसी की कोई बाधा नहीं होती है ! वे एक दूसरे से टकराते नहीं !सर्दी गर्मीकी बाधा नहीं होती! समवशरण मे कोई विकेलेंद्रिय जीव बाधा नहीं डालता क्योकि वहां वे होते ही नहीं !यहां प्रवेश करते ही समस्त क्रोध,मान,माया,लोभ आदि से मुक्ति हो जाती है! भगवान् को औषधऋद्धि प्राप्त है इसलिए कोई रोगी नहीं रहता!समवशरण मे विराजमान सभी जीवों को अपने सात भव ,३ भूत ३ भविष्यत् और वर्तमान स्पष्ट दिखते है! भगवान् का विहार -जब एक स्थान का समय पूर्ण हो जाता है इंद्र, अवधि ज्ञान द्वारा जान लेता है की अगले स्थान के लिए विहार का समय आ गया !तब वह समवशरण मे घोषणा करते है कि अब दिव्यध्वनि नहीं होगी भगवान् का विहार होगा!समवशरण मे उपस्थित जीव या तो विहार में शामिल हो जाते है या अपने २ घर चले जाते है! भगवान् जो पद्मासन मे विराजमान थे ,वही खड़े हो जाते है !इंद्र अवधि ज्ञान से जानकार कि भगवान् को किस ऒर (जिस ऒर के जीवों के पुन्य होता है को जानकार) जायेंगे,आकाश मे मार्ग की रचना करते है! भगवान् का विहार इस मार्ग पर होता है! विहार जलूस के रूप मे होता है ,जिसमे सबसे आगे धर्म चक्र ,१००० आड़े वाला,दिव्यप्रकाश सहित चलता है!उसके पीछे करोड़ों देवताओं के बाजे होते है,उनके पीछे भगवान् होते है, उनके पीछे मुनिगन और श्रावक गन चलते है!भगवान के विहार के समय देव भगवान् के चरणों के नीचे १५-१५ स्वर्ण कमलों की पंक्तिया बनाते जाते है कुल २२५ कमल होते है भगवान् मध्यस्थ कमल के चार अंगुल ऊपर कदम/डग रखते हुए चलते है!कदम आगे रखते ही एक पंक्ति कमलों की पीछे से हटकर आगे बन जाती है !भगवान् के इच्छा के अभाव के कारण जहाँ के लोगों के पुन्य/भाग्य का उदय होता है उस ऒर विहार होता है क्योकि भगवान् को किसी से भी किसी प्रकार का राग द्वेष नहीं होता! सारे समवशरण फोल्डिंग होते है !ये पहले और दूसरे स्वर्ग मे जैसे के तैसे एक विमान और दूसरे विमान के बीच असंख्यात योजन भूमि में विराजमान रहते है! इनकी रचना भगवान के शरीर की अवगाहना के अनुसार होती है!यह समवशरण मायामयी नहीं है !यदि मायामयी माने जाये तो मानस्तंभ पर विराजमान प्रतिमाये वन्दनीय नहीं हो पायेगी!देव बहुत शक्ति शाली होते है वे एक स्थान से उठाकर समवशरण को जिस स्थान पर सभा होनी होती है वहां स्थानातरित कर देते है! समव शरण मे विराजमान गणधर-जो भगवान की निरअक्षरी दिव्यध्वनि का एक एक शब्द समझ सकते है,उसे झेलने में समर्थशील होते है ,वे गंधर देव, मुनिवरों में विशेष होते है! ये अनेक होते है!आदिनाथ भगवान् के ८४ ,महावीर भगवान् के मात्र ११ थे! इनके ६३ ऋद्धियाँ,ज्ञान ऋद्धि के अतिरिक्त,होती है! ये गंधर बनने से केवलज्ञान होने तक,कभी भी जीवन में आहार नहीं लेते,क्योकि निरंतर भगवान् के समवशरण मे विराजमान रहते है जहाँ भूख,प्यास आदि लगते ही नहीं है !धवलाकार ने इन्हें सर्वकाल उपवासी कहा है! ये दिप्तिऋद्धि धारी होते है,जिसके फलस्वरूप ये वर्षों तक भी निआहार रहते हुए भी, इनके शरीर की काँति कम नहीं होती है! हमें समाधी पूर्वक ही मरण करना चाहिए !जब अपनी समाधी हो या किसी की समाधी हो ,उस समय सभी ऐसी भावना भाना की हमारा अगला जन्म विदेह क्षेत्र में हो ,वह हमेशा ही समवशरण में तीर्थंकर विराजमान होते है !सीमंधर स्वामी के समवशरण मे जाए,मुनि बने,कर्मों कोकात कर मोक्ष प्राप्त करे!

Tuesday, 11 November 2014

jain sms

1.Ichhaka matlab aafat- Duniyak kante dur karvanek badle chappal= Prabhuk naamk pehenlo Ye ichha dur karneka shrestha upay he 2.Dursaro ke Malik bananewala bada nahi kahalata. Bada to vah hota hai jo khud Atma ka malik ban jata hai, Khud Apne Aap par kabij ho jata hai 3.Light se andhkar darta he, Fight se klesh badhta he, Jo everyday PRABHU ka naam rat ta he, Uske dilse durbhav hat ta he. 4.Hamesha Prem Ki Bhasha Boliye Ise Behre Bhi Sun Sakte Hai, Aur Gunge Bhi Samaj Sakte Hai. 5.Agar Aap Ek Pencil Ban Ke Kisi Ka Sukh Nahi Likh Sakte Ho, To Koshish Karo ki Ek Achcha Rubber Ban Ke Dusaro Ke Dukh Mita Sako. 6.AnyaKa Sabkuch Dekhte Ho Aur Buraiya Dil Kholk Karte Ho, Ye Hanikark Pravruti He Qki Isse Tum BuraiyoKa Bhandar Bharte Ho. Buraiyose Savdhan 7.Sahaj Bhav Se Diya Gaya Ek Mutthi CHAVAL, Maan Prapta Karne Ke Liye Diye Gaye Ek Mutthi SUVARNA Se Jyada Shrestha He. 8.Jaha Tark He Waha Narak He, Jaha Samarpan He Waha Swarg He, Qki Samarpanse Samvad Hota He & Tarkse Hamesha Vivad Hota He. 9.Har Manzil Ke Raste Hote He, Aur Har Raste Par Mushkile. Mann Me Agar Umang He, To Vishwas Rakhiye Jeet Apki He. 10.NAMO Ka Mahima,Manav Ko Vivek Mila He, Vo B Punyaka Pruthukaran Karne, Paapki Upeksha & Punyaki Anumodna, Ye Prathmik Vairag Ki Sadhna He... 11.Manav Jivan Dhanwaan Banne Kliye Nahi, Lekin Sacha Insaan Banke Mahaan Banne Kliye Aur Mahaan Banke Antme BHAGWAN Banne Kliye Mila He.. 12.JAIN? J=JaiJinendra Jiski Zubanka Pehla Shabd Ho A=Arihantoko JoRoz Pranam Kre I=Is Jivanme JoHinsa N Kre N=Navkar Jiska Jivan Mantra Ho 13.SAFALTA kliye ichashakti chaiye Aur ichashakti kliye utsah, Utsahse kiya hua har karya SAFALTA ke shikhar pe le jata he 14.Jinko SADHAN ke bina nahi chalta vo SANSARI, Jinko SADHANA ke bina nahi chalta vo SANYAMI. 15.PRABHU VEER KI VANI Na hinsa kar Na war kar Na bure kam ko Swikar kar Na ache kam se inkar kar.. 16.MAN KO PRATHNA ME LAGAIYE........... PRATHNA KA FAL HE PREM.........AUR PREM KA FAL HE PARMATMA............... 17.RAAG Se Insan Shetan Ban Jata He, TYAG Se Insan Maham Ban Jata He, VIRAG Se Insan BHAGWAN Ban Jata He, Sambhav Se Har Insan Sukh Pata He... 18.AajKal PranamKo BhulaK By-By Chala He SantoshKo BhulaK Hi-Hi Chala He BhojanKo BhulaK Chay-Chay Chala He Bolna Yaad Raha Nahi Ti-Ti Chala He 19.He Manav! Tere Gharme Sofaset, Doordarshan K Liye T.V Set, DikhaveK Liye Fridge Aur Dinner Set He Gharme Sabkuch Set He Firb Man To Upset He 20.Aap BE-SAHARO Ka Sahara Baniye.......... Aapko SAHARA Apne Aap Mil Jayenga..... 21.Sharir Chahe "VIKALANG" Hi Kyu N Ho,,, Par Apne Man Ko Kabhi Bhi "VIKALANG"Mat Hone Dijiye..........! 22.Ugta Suraj Hame Kehta He Utho,Jago,Aage Badho Kabtak Soye Rahoge, Badi Mushkilse Manav Jivan Mila He Ise Satmanan-Chintan-Sadkaranme Lagado. 23.ManavNe GharMe Fridge,Fan,Fiyat, FlatKa Nice Furniture Sabkuch Basaya Aur Firb Sabse Fight Karta He Par Yaad Rakhna Tu Yahase Getout Hone Aya 24.Keval Dharma Kriyao Karnese Koi Dharmatma Nahi Ban Sakta,Lekin Agar KriyaKe Sath Bhav B Ho To Jarur Dharmatma Ban Sakta He 25.AhankarKo Tyage Bina KshamaK Marg Pe Jana&Chalna Prayah Ashakya He Qki Ahankar KshamaKe MargPe Sabse Bada Avrodhak Tatva He 26.He MANAV ! Tu Anami Aaya Hai Aur Nanami Yahase Janewala Hai, Isliye Apne Naam Ka Moh Kahi Bhi Mat Rakhana. 27.BHAGWAN Kehte He Ki Duniya Ka Jitna Kam Dekhoge Utna Bachoge Aur Duniya Ka Jitna Jyada Dekhoge Utna Rooage 28.Jivanme UpsargoKo Sehen Kark BHAGWAN Ne Ek Siddhant Samjaya He Ki He Manav! Tumhare Kiye Hue Karma Tumhe Hi Bhugatna Hoga 29.Aajkal Janwaro Ke Sath Dosti Karnewala Manav Apne Ghar Ke Logo Ke Sath Dushman Banke Jivan Bita Raha He Hai Na Kalyug? 30.Bhagwan MAHAVIR Ne Chandkoshiye Ko Jungleme Jake Kshama Dekar Taardiya Jab Hum Gharme JakarB Kshama Nahi Rakhte Kya Hum Mahavirk Aradhak He? 31.Is Duniyame Se Koi Haske Viday Leta He To Koi Rokar Viday Leta He Lekin Kimmat To Usike Jivanki He Jo Sayami(Sushravak) Banke Viday Leta He. 32.Agar Aap Chahte Ho Ki Log Apki Baat Sune To Bhasha Nahi Aacharan, Dikhava Nahi Daan, Prastav Nahi Palan Karo To Asar Hoga & Apki Baat Manege 33.Bhagya Pe Bharosa Aur Bhagwan Pe Purna Shradha Rakhe Uski Safalta Nischit Hoti He Qki NaseebK Bina Kisiko Kuch Milta Nahi Aur MiljayeTo Tikta Nahi 34.Antar Chahta Ho Sabki Khushali Ankh BanJaye Premki Pyali Dusrok Dukh Dekhkar Dil Roye Uske Ghar Roz Diwali 35.Manushya Ki Baatome Ha Me Ha Milana To Bahut LogoKo Aata He, Lekin PRABHU Ki Baatome Ha Me Ha Milana KisiKo Hi Aata Hoga. 36.Seva me bus Par se hat Payega Anand ka ras Yahi he Adhyatma ka kas Etna karo bas..... 37.Motor Cycle se 5 hath DUR Ghode se 10 hath DUR Sarp se 100 hath DUR lekin DURJAN se Hajaro hath DUR rahe 38.Karni hai hamko GIRIRAJ KI YATRA todni hai JANAMO JANAM KI YATRA Kharch dikhta hai,kamai nahi ! Fees dikhti hai, padhai nahi ! Dag dikhta hai,dhulai nahi ! BURAI DIKHTI HAI,BHALAI NAHI 42. Klesh ho vaisa NA bole Pap ho vais NA kamaye Dena ho vaisa kharcha NA kare Man bigde vaisa NA soche Jivan bigde vaisa aacharan NA kare. 43. Sadabahar Khushik Malik Banna Ho To Kisik Prati Nafrat N Kare Aur Kisik Upar Bahut Jaldi Naraz Mat Hona Sabk Prati Hamesha Prem & Sneh Rakhe 44. Paise ki race me paap dhone mile N mile. fir is jiwan me punya kamane mile N mile. karlo DHARMA dil se Kya pata kal jain dharm mile N mile 45. Jivan ko sukhi banane ka upay. 1.Hazar bar suno, 2.So bar vichar karo, 3.Sirf ek bar bolo. Is tarah karne se kabhi bhi zagda nahi hoga 46. Karni He"DADA"Se 1Gujarish, "DADA"Aapki Bhakti K Siva Koi Bandagi Na Mile, Har Janam Me Mile To, JAIN DEV-GURU-DHARM, Ya Fir Zindagi Na Mile.. 47. Furniturek Bina Gharki Shobha Nahi Vaise Dharm K Bina Jivanki Shobha Nahi 48. Prabhu Ki Upasna K Bina Hamari Vasna Ka Ant Hona Mushkil He........... 49. "MAA" Ki Agar Kimat Samaj Me Aajaye To Hamara Ye Bhav Sudhar Jaye Aur Agar "PARAMATMA"Ki Kimat Samaj Me Aajaye To Hamare Bhavo-Bhav Sudhar Jaye..// 50. Jaise Malai Binaka Dudh Bekar He Vaise Bhalai Binaka Jivan Bekar He Qki Khudki Bhalai Karna Prakruti He, ParDusroki Bhalai Karna Sanskruti He. 51. Samyam k bina Tap nahi hota, Ekagrata k bina Jaap Nahi hota, AntarAtma ki Aawaz suno Bhavyo, Moah ko Jite bina Koi Mahavir Nahi Hota. 52. Karank Bina KrodhN Kare Uska Nam Pashu Lekin Bina Karanb Apna Power Dikhata Rahe Uska Nam Manav Qki Krodhse Jivanka Karun Ant He Krodh N Kare... 53. Words start with a b c Numbers start with 1 2 3 Music start with. sa re ga But let ur day start with. My,DEV GURU AUR DHARMA S M S 54. Vishayo Ka aaveg vartmankal Par adhin He Jab Kashaya ka aaveg Bhutkal Smruti Par aadharit Hai. 55.Jivan me SAFAL hone k liye 3 factory zarur lagao dimaag me ice zubaan me sugar aur dil me prem factory. Phir LIFE hogi satisfactory...... 56. Sansar Ki Baaton Se Man Asthir Banta He, Lekin Santo Ki Baaton Se Man Sthir Banta He, Isiliye Roz Thoda Samay Santsamagam KLiye Jarur Nikalo 57. Kya Hoga? Ye Nasibpe Nirbar He Lekin Kya Karna? Ye Manavpe Nirbar He Qki Kismatk Kaunse Panepe KyaLikha He Kise Pata? Harpalka Sadupyog Karo. 58. JIVANME SAFALTA PRAPT KARNE K 3 SUTRA: 1.Kisika B Kabhi Tiraskar Mat Karo 2.Apni Jimmedadiyo Ko Samjo 3.Bhutkal ka Kabhi Paschatap Mat Karna. 59. Atma Mobile Dharm ka Contact Jinvani ka Msg Punya ko Inbox Pap ka outbox Kashay ka Delete Xama ka Sent Daya ko Save Dan ko Grup Atma ko Vibrate 60. Jivanme Punyaki Kamai Kam Hogi To Chalega Lekin PAAP Ki Kamai Jyada Mat Karna Qki Zeher K Result Se B Jyada Khatarnak PAAP Ka Result Hota He. mang ke SANYAM YATRA leni hai SHIVSHUKH KI YATRA hamari 6GAU YATRA 39.Jaise mehandi dusare k Haathme Rakhane wale k Haath Automatic Lal ho jate hai Vaise Dusre ka Bhala karne wale ka Bhi Automatic bhala hota he 40.jis pap ke piche paschatyap ho vo paap bada hone per bhi chota he but jis paap ke piche paschyatap na ho vo chota hone per bhi bahot bada he. Test Me Zindgi ho jaye WEST... to fir kahaa karoge REST... Is Char Gati me manushya bhav hai... all the BEST...! 62. Phulka Ayush5-7Ghantoka Lekin,Sugand-Sondarya-Komaltak Karan Jivan Safal Jabk Manavka Ayush60-70Salka Par Durgun-Dosh-Kathortak Karan Jivan? 63.Sab Jivok Prati Mamta,Sneh & Manavtak Bina Jivan Kabhib Mahan Nahi Banta. 64. Tensionse Mukt Rehnek Liye Sada ATTENTION Me Raho 65. Sukh chahate ho to Ratme khana nahi; Shanti chahte ho to Dinme sona nahi, Sanman chahte ho to VYarth bolna nahi; Mukti chahate Ho to DHARM..? 66. GautamswamiKi Labdhi Jivanko Sukhi Banati He Lekin GautamswamiKa Vinay Jivko Sidh Banata He Choice Aapke Hathme He Kya Chahiye Labdhi/Vinay? 67. Jivanme Jitni Sadgi Hogi Vicharome Utni Gehrai Hogi 68. Kisi Manav Ko Chahiye Note Kisi Manav Ko Chahiye Vote Na Milne Par Nirash-Hatash Ho Jata He Ye Nahi Sochta Ki? Mere Hi Punya Ki He Khot. 69. Hask Tum Dusrko Hasana Lekin Aapk Jivanpe Koi Hase Aisa Na Karna 70. Puri Tarahse Jane Aur Soche Bina Kisib Baatka Kabhib Faisla Mat Karo Kyunki Kaun Sacha Isk Badleme Kya Sacha Usko Hamesha Jyada Mahatva Do.. 71. Sneh,Seva Aur Samtame Khudka Samarpan Matlab Zindagime Sache Anandki Shruwat,Aur Isse Agar Aap Chahoto Puri Duniyako Apna Bana Sakte Ho.... 72. Punya k udayme jo Punya ka uparjan kar leta hai, vahi Buddhiman hai, Punya ka bij surakshit Rakhana samyak vivek hai. Jivanme Paap nahi Jaap 73. Sugandh Hi N Ho Phulme To Pathar Aur Phulme Jaise Koi Farak Nahi Vaise Hi Prem,Karuna Aur Sneh Hi N HoTo Jivanme Aur Mrutyume Koi Farak Nahi. 74. MAN Jeevan ka kendra bindu hai. Jis prakaar shareer ki niyamit safai karna avashyak hai, MAN ki bhi niyamit safai(PRABHU BHAKTI) avashyak hai. 75. Kisik Ghar Par Patre DaloTo Thik He Lekin Pathar Mat Dalna.. 76. Man K Malik Banoge To Duniyaki Gulami Nahi Karni Padegi Isliye Jo B Kam Karo Pura Man Lagakar Karo.... Safalta Aur Anand Apke Hathome Hi He. 77. Prabhu Duniya K Collector To He Sath Hi CORRECTOR bhi he... 78. Paani niche ki taraf kitni tezi se girta hai kintu unche le jane me kitna sangharsh karna parta hai! PAAP to sahaj ho jata hai kintu PUNYA??? 79. Is Duniya Me Jyadatar Log AHAM Ke Karan Marte He Aur JabTak AHAM Ko Jitoge Nahi Tab Tak ARHAM (PARMATAMA) Tak Pahuchana Mumkin Nahi...... 80. Dosho Ka Collection Nahi Correction K Liye MANAVBHAV Mila He 81. Jis Krodh Ka Janam Dushmani Me Se Hota He Wah Hamesha Katil Hota He Isliye Khane k Dieting Se Jyada KRODH Aadi Kashayo ka Dieting Zaruri He. 82. Jivan Ko Bananewale Kam He Lekin Bigadnewale Bahut He Isiliye Sangat Hamesha Achhe Ki Karna, Kharab Sangat Hamesha Khatarnak Sabit Hoti He.. 83. Aatma Ko Janne Ke Liye Savyam Ko Jano Jisne savyam ko jan liya usne Parmatma ko jan liya....! 84. Pani Jab Tivra ForceK Sath Patharse Takrata HeTo PatharK Tukde Kar Deta He Vaise Ahankar Jab Ahankarse Takrata HeTo ManavK Tukde Kar Deta He 85. Perome Kaata Lekar Anandpurvak Chalna POSSIBLE He.Lekin Dilme Kisike Prati Dwesh Jivant Rakhkar Aradhaname Safalta Prapt Karna IMPOSSIBLE He 86. ATMIK SHAANTI ki khoj me insaan ne rupaye,vastra,haweli,gaadi,nau kar,sab jama kar liya, poora jeevan beet gaya,ant samay aa gaya par SHANTI? 87. GURU Ki Agna Aur Ankush K Bina Jivan Khatreme He Isiliye,Jivanme GURUKi Agna Aur Ashirwad Bahut Hi Zaruri He 88. Mangne Ke Bina Na Mile DAAN Kismat Ke Bina Na Mile MAAN Kheti Ke Bina Na Mile DHAAN Mahenat Ke Bina Na Mile KHAAN GURU Ke Bina Na Mile GYAAN 89. NadiMe Nirmalta N Ho To Nadi Ki Kimat Kya? FalMe Madhurta N Ho To FalKi Kimat Kya? JivanMe DHARMA N Ho To Jivan Ki Kimat Kya? 90. Yaad rakhiye! Kathinaiya aur museebate apki hitchintak hai. Vo apko jeevan me prakharta se shakti ka sadupyog karna sikhati hai. 91. Acchi Zindagi Jine k Do Tarike .. 1) Jo 'PASAND' Hai Use 'HASSIL' Karna Sikh Lo. Ya Phir 2) Jo 'HASSIL' Hai Use 'PASAND' Karna Sikh Lo..! 92. Dusaro Ka Sukh Dekh Na Shake Vo Sansari Dusaro Ka Dukh Dekh Na Shake Vo Sanyami. Sansari DUKH Ka Anta Aur Sanyami Dukh Ka Karan Dhundhate He.. 93. Duniya me sab jivo ko abhaydan karnewale sadhu hote hai aur duniya me sab jivo ko abhaydan karne ki bhavnabhane wale shravak hote hai.. 94. Khel khel mai jivan bit jayega, nahi malum padega kab sans band ho jayega, dhyan dharlo prabhuka to jivan savar jayega. 95. Pani Pani Hi Rahega,Kisi Bhi Patra Me Ho.. Jahar Jahar Hi Rahega, Kisi Bhi Matra Me Ho.. MAA MAA Hi Rahegi, Kisi Bhi Desh ya Halat Me Ho.. 96. "VYAVASTHA"(SAGVAD)Nahi Hai vo Vedna Garib ki Hai, "SHANTI" Nahi Hai vo Vedna Shrimant Ki Hai, "SADGUN" Nahi Hai vo Vedna Dharmi Ki Hai.. 97. Sarpa(snake)Me Maut(Mrityu) ka Darshan Hota Hai Agni Me Dah Ka Darshan Hota Hai vaise PAP Me Dukh Ka Darshan Karo. 98. so-so suraj uge chanda uge hajar... chanda suraj ho bhale Guru bin ghor Andhar... 99. Jamin Nahi Hoti To Aakash Kaha Hota Shradhdha Nahi Hoti To Vishvas Kaha Hota Dil N Hota to Shvas Kaha Hota GURU Na Hote To Gyan Kaha Hota. 100. Dhan Ke upar Rag Vah MURCHA Vastu ke upar Rag Vah MAMTA Bhojan Ka Rag Vah LALSA Par-stri Ke upar Rag Vah VASNA Prabhu ke upar Rag Vah UPASNA 101. Bhukh Ke Bad Bhojan Achcha Lagta He Thakan Ke Bad Nind Achchi Lagti He Thand Ke Bad Garmi Achchi Lagti He PapBhiru Ko Dharma Achcha Lagta He 102. 4 Prakar ke dhyan 1-Aartya Dhyan se Tiryanch gati 2-Rodra Dhyan se Narak 3-Dharm Dhyan se Manushya gati 4-Shukla Dhyan se Moksha Milta he 103. Bhulne Jaisa: Kisi Par Kiya Hua Upakar Kabhi nahi Bhulne Jaisa: Kisi Ne Apne Par Kiya Upakar. 104. Rog Se Raag Jyada Bhayanak He Dard Se Dosh Adhik Katil He Dard 1 Bhav Tak Pida Deta He Lekin DOSHO to Bhav-Bhav Tak Pida Ka Sarjan Karta Hai. 105. Jarurat to Bhikhari ki bhi puri ho jati hai Magar echhaye to crorepati ki bhi adhuri Rahti hai Jain Aagam Me "ECHHA NIRODH" Ko TAP Kaha hai 106. Pratham Mithyatvaka Vaman Kashayoka Shaman Indriyoka Daman Prabhuka Bhajan Swame Magan Atmame Raman Tab hoga Mokshame Gaman 107. Na Gumane K liye car Chahiye, Na Gale K liye Haar Chahiye Mahavir ne Bahut Badi Baat Kahi hai: Jivan vikas K liye Pavitra Vichar Chahiye. 108. Sansari jab sansar se jate he to Vasiyat dekar jate he, Sant jab sansar se jate he to Nasihat dekar jate he. Bhogi aur Yogi me yahi Antar hai! 109. Sansar Sahaj lagta hai Moksha Ashahaj lagta hai Ye hi to Agyan hai Sansar aur Agyan ke bich me JIV Barbad ho raha hai.. 110 Bachpan me MA achchhi lagti hai javani me Bibi achchi lagti hai Budhape me Pota achchha lagta hai Mrutyu samaya me Bhagvan achchhe lagte hai. 111. Kayar ek baar jeeta aur bar-bar marta hai, par ATMAVISHVAASI ek bar janma leta aur ek hi baar marta hai ! 112. Manushya ka Bhavishya uske VICHAARO par nirbhar hai Jaise vichar honge.vaise hi karm aur vaisi hi paristhitita! Isliye SADVICHAR grahan Kare 113. Khoyi huyi daulat bhuli huyi vidya aur khoya hua swasthya., phir laut sakte hain, par khoya hua samay kabhi nahi laut sakta. 114. Log kahte hai ki Aaj Chamtkar nahi hote lekin Aajbhi chamtkar hote hai; bas hamara Namskar sahi nahi hota; Namskar sahi hoga to Chamtkar hoga. 115. Pet bigde aesa bhojan nai, man bigde aesa socho nai, jivan bigde aesa aachran nai karo, klesh ho aesa bolo mat, maran bigde aesa paap nai karo. 116. Ghamandi ke liye kahi koi Ishwar nahi, irshalu ka koi padosi nahi aur krodhi ka koi mitra nahi! 117. Jyot Jalkar buz Jayegi, Khili Hue Kali Murza Jayegi, Hai JIV! Tu Dharma ka marma Samazle Nahi to estarah Ek din Aankhe band ho jayegi...... 118. Ek din sagar ne nadi se pucha- "kab tak milti rahogi mere khare jal se" nadi ne kaha-"tab tak. jab tak, tuz me mithas na aa jaye ".GUNANURAG" 119. Sukh chahate ho to Ratme khana nahi; Shanti chahte ho to Dinme sona nahi, Sanman chahte ho to VYarth bolna nahi; Mukti chahate Ho to DHARM..? 120. Rag shayad kisi ek ko chahta hai, Prem shayad anek ko chahta hai, Parantu karuna to anant ko chahti hai to karunamay bano jivdaya karo..... 121. MAA ki jyoti se noor milta He sabke dilo ko shurur milta hai,jo bh karat hai MAA- MOTHER ki seva SE kuch na kuch jarur milta hai 122. Aap Jivanme Itni Unchaiya Avashya Chule Ki Log Apke Mata-Pitase Puche Ki Apne Ase Kya Punya Kiye Jo Itni Achi Santan Hui 123. Duniyadari me jo Lin wo Prabhubhakti Din. Prabhu ka jo Honga Das Vo Kabhi Na Banenga UDAS. "PARMATMABHAKTI MOX ME JANE KA SHORTCUT HAI" 124. Maa Ki ek dua Zindagi Bana Degi Khud Royegi Magar Tum ko Hasa Degi Kabhi BhoolKar Bhi Maa Ko N RULANA Ek Choti Si Baddua pura ARSH hila Degi 125. Chahe aap kitne bhi chalak ban jao lekin aapko 2 chije kabhi nahi chodti.. 1-MRUTYU 2-AAP KE KHUD KE PAAP KARM 126. Jab tu chota tha to maa-bap tere pas the.... ab tera farz hai ki jab maa-bap antim sans le tab tu unke pas rahena! "MATRU DEVO BHAV" 127. Har pal me kushi deti he "MAA" Lakh bure ho hume apni zindgi me jivan deti he MAA BHAGWAN KYA H? BHAGWAN Ko bhi to janm deti he MAA 128. Sabhi hanste hue milte hai Jab taK char paise hai N puchhenge koi garibi me ki AAP kaise hai? is liye garibo ko DAN dena n bhule "MANAVSEVA" 129. Har nami me kuch kami to rahengi Ankhe thodi juki to rahengi Zindgi ko aap kitna b saawariye Bin GURUDEV Ke koi na koi kami to rahengi..! 130. Sapne tute jate he.rut jate he Zindgi m kaise-kaise mod ate he magar sath ho jb BHAGVAN Ka to Rah k kante b FUL ban jate he 131. SITA Ki bat par RAM Ki yad aayengi RADHA Ki bat par SHYAM Ki yad aayengi Jab ATMASADHANA Ki bat chalegi Tab BHAGVAN MAHAVIR KI yad Ayengi 132. GANIT Ka vistar 0 pe aadharit he SAMBANDH Ka vistar vani pe aadharit he JIVAN Ka vistar prem pe aadharit he MOKSHA DHARM Pe aadharit he! 133. VANI esi Bolo Jo Har Ek Ko KHUSH Kar De. Esa Na Bolo Jis Se Kisi Ka DIL Dukhe... JITE HUE MA-BAP CHUP KARE our BAD ME PHOTE KO DHUP KARE? 134. PHOOL Banke kya jina.. Ek din murja Jaoge To Dafnaa Diye Jaoge Jina He To PATTHAR Ban Ke Jeo.. Kabhi Murti Bhi Ban Gye To BHAGVAN Keh Laoge 135. HINSA MOUT DETI HE AHINSA MOKSHA DETI HE HINSA LAAT DETI HE AHINSA MAHELAT DETI HE HINSA MATAM PEDA KARTI HE AHINSA MAHATMA PEDA KARTI HE 136. MAHAVIR.SAYS TU karta woh he jo TU chahta he Par hota he woh jo ME chahta hoon TU woh kar jo ME chahta hoon PHIR woh honga jo TU CHAHTA... 137. "PAROPKAR PUNYAY,PAPAY PARIPIDANAM" Paropakar Punya Ke Liye Hota hai! Dusaro Ko Dukh(Pida)Dena.. PAAP Ke liye Hota hai! 138. Le lo Jinnvani ka Injection Nahi Honga Karmo Ka Reaction Le lo GURUDEV Ka Suggestion Mil Jayenga MOKSHA Ka Reservation. 139. JIVAN SAFALTA KA MARG: 1)Aankh me vikar nahi 2)Man me dhikkar nahi 3)Antar me anaadar nahi 4)Jibh me tiraskar nahi. 140. JAINS means J-joshilay A-attractive I-intelligent N-naughty S-smart people hum jains ki to baat hi alag hai. JAI JINENDRA 41. SUNDAY means- S=Samayik karo, U=Upvas karo, N=Ninda mat karo, D=Daya karo, A=Ahinsa apnao, Y=Yad karo sirf bhagvan ko. 142. TakdirK khelse nirash Na hote, Jindgime kabhi udas na hote, Hathoki lakiro pe yakin N karna, Kyoki takdirTO unki b hoti H,jinke hath nahi hote. 143. DHANVANKE PAS KYA KYA HAI YAH DUNIYA SOCHATI HAI& DHANVAN USKE PAS KYA KYA NAHI HAI YAH SOCHATA HAI? Lobh pap ka bap hai. 144. jo dusro ko jane vo vigyan jo khud ko jane vo gyani jo dusro ko jite vo balvan jo khud ko jite vo MAHAVIR hai 145. Ladne se koi VEER nai hota Tyag kare jo wo PEER nai hota sadiyo ki tapsya ka FAL hai ye,warna aise hi koi"JAIN"nai hota 146. Jo mere bhagya me nahi he wo duniya ki koi bhi shakti muje de nahi sakti aur mere bhagya me he use duniya ki koi bhi shakti chin nahi sakti. 147. KRODH kitni bar aaya ye mat socho kintu KRODH kyu aaya ye socho! KRODH ko dur karo.BHAVPAR taro. KRODH se priti,sneh,prem ka nash hota he 148. Jaha nahi pahunch sake RAVI vaha pahunche KAVI jaha nahi pahunch sake KAVI vaha pahunche ANUBHAVI our MOKSHA me pahunche SANYAMI 149. Jo PAISA De vo sheth Jo VIDYA De vo shikshak JO SANSKAR De vo mata-pita KINTU Jo GUN De vo GURU! 150. "SAGAVAD" Nahi vo vedna GARIB Ki hai "SHANTI" Nahi vo vedna SHREEMANT ki hai "SADGUN" Nahi vo vedna DHARMI ki hai.. 151. DusareKa SUKH dekh N shake vo SANSARI DusaroKa DUKH dekh N shake vo SANYAMI SADHANKe bina N chale vo SANSARI SADHANAKe binaN Chale vo SANYMI 152. "Dukh me sumiran sab kare Sukh me na kare koy jo sukh me sumiran kare to dukh kahe ko hoy" 153. *Manavta Ki Seva Karnewale Ke Hath Utne Hi Dhanya Hote He, Jitne Parmatama Ki Prathna Karnewale Ke Hoth......! 154. 1=SUKHI hone ka marg AAVAK(INCAM) Ka vadhara nahi lekin jarurato ko kam karna! 2=NITI SE DHARM KARNA HO TO KABHI "RAJNITI" MAT KARO! 155. Neend apni bhulakar sulaya humko Aasu apne girakar hasaya humko Dard kabhi na dena us khuda ki tasveer ko Zamana kehta he MAA-BAAP jinko. 156. PRACHIN VIGYAN VIKAS KI SHODH ME THA, JAB AAJKA VIGYAN VINASH KI SHODH ME HAI! 157. NA RAKO AASH KISIKE PAS TO KAUN KAR SAKTA HAI NIRASH 158. PATHTHARME PRATIMA CHHUPI HAI, ATMA ME PARMATMATMA 159. KAM KIYA HUA DHARM HAMKO JYADA LAGTA HAI OUR JYADA KAMAYE HUE PAISE HAME KAM LAGTE HAI 160. BHUL Kare vo "NADAN" Hai BHUL Karke roye vo "MAHAN" Hai BHUL Hi na kare vo "BHAGVAN" Lekin Hai BHUL Karke jo hanse vo "SHETAN"Hai 161. BECHEN BANAYE VO "VASNA" BECHEN KO BHI CHEN ME LAYE VO "UPASNA" 162. PAP KARNA VO PAP HAI! MAGAR PAP KI "PRASHANSA" KARNA VO MAHAPAP HAI! 163. DHARM SUNO BHALE HI DO PAL LEKIN USKO SAMBHALO HARPAL! 164. KEHNE SE HALKA HOTA HAI LEKIN SAHNE SE PIGAL JATA HAI USKA NAAM DUKH! 165. BHUTKAL Se Prerna Lekar VARTAMAN Ka CHINTAN Karna Chahiye! 166. Apke PAS Kisi Ki NINDA Karne wala, Kisi Ke PAS aapki NINDA Karne wala Hoga 167. DIL KO HANMESHA SAAF KARO DUNIYA KO HANMESA MAAF KARO JIVAN SAFAL BAN JAYENGA! 168. Jis tarah kida kapdo ko kutar dalta hai, Usi tarah IRSHYA manav ko... 169. Jibh se Sada Shubh aur Madhur Bolo, Vaani se Ghar ko Swarg Banao " 170. Jo chhodta jayega vah uncha uthata jayega, Jo Jodta jayega vah dubta jayega. 171. DHARM Ke Bina sukh nahi hota.Agar jo hota to Sab SUKHI kyu nahi Hote ! 172. Aaradhana ka Aavas, Karmo ka Sarvanash, Mukti Puri par karna hai Nivas Kyunki aaya hai Chaturmas 173. Yaha ka yahi rahega, Ayega na kucch sathme, Sharir pada rahega bistar me, Jab atma jayega chhodke. 174. A KHUDA TERI ADALAT ME MERI JAMANAT RAKHNA ITNA HI CHAHTA HU KE SARE JAMANEKO KHUSH RAKHNA. 175. PAP KAP PRAVESH PAHELE MAN.VACHAN KE BAD KAYAME. AUR DHARM PAHLE KAYA.VACHAN KE BAD MAN ME AATA HE. 176. BURAI KITNI BHI KARO MAGAR............. JIT HAMESHA SACHAI KI HOTI HAI 177. Bura Dekhane Mai Chala, Bura Na Mila Koi, Jo Dil Khoja Aapna, To Mujh Se Bura Na Koi. 178. TAK MILE FIR BHI DHARM N KARE=INKAR TAK MILE OUR DHARM KARLE=SVIKAR TAK N MILE TO KHADI KARE=SATKAR 179. BHUKH SE KHANA PRAKRUTHI CHHIN KE KHANA VIKRUTI DEKE KHANA SANSKRUTI.. 180. KOI AAPKA DIL DUKHAYE TO BURA MAT MANNA JIS PED PAR JYADA MITHTHE FAL HOTE H USKO HI PATHAR LAGTE HE 181. Dudha bigde to Din bigde Aachar bigde to Sal bigde Shrimati bigde to Jindgi bigde. 182. Har jalte DIPAK ke piche andhera hota hai, har MUSIBAT ke piche sukh ka dera hota hai. 183. JAB TAK JINDGI RAHENGI..... FURSAT NA HONGI KAM SE KUCH SAMAY AISA NIKALO PYAR KARO BHAGVAN SE. 184. JIVAN ME SUKHI RAHNE KE 3 NUSKE 1- KAM KHAO 2- NAM JAO 3- GAM JAO 185. APNE BHAVISHYA KO LIGHT. BRIGHT&WHITE BANANE KE LIYE DHARM HI RIGHT HAI 186. VO BADAL BEKAR HAI JISME BARSAT NAHI, VO DIL BEKAR HAI JISME PRABHU KI YAD NAHI. 187. Jindagime Keval Paisa Mat Kamate Rahana; Sathame PUNYA bhi Kamao; Taki Jindagi k baad bhi JINDA Raho 188. Jiske Pas maraneka samay nahi vobhi samay aanepar marata hai, Isliye DHARM kal kare so abhi kar. 189. Swadhyay Atmakalyanka sadhan hai, Swadhyay param tap hai Swadhyay se shradha se gyan se charitra. 190. KYA SATH LAYE KYA SATH LE JAYENGE KARM KO HI SATH LAYE KARM KO HI SATH LE JAYENGE. 191. SUNDAR AC FLAT HAI SONE KA TV SET HAI KAPDE BHI APTUDET HAI FIR BHI MANAV UPSET HAI 192. PURUSH Ka gussa aur MAHILA Ki jidd JINDGI(LIFE) KO NARAK Bana Deti hai 193. TAN=SHARIR KO SAMBHAL SAKE VO SANSARI MAN KO SAMBHAL SAKE VO SANYAMI. 194. Sansar na sarv samandh ma dekhay badhe Swarth, Mmatra ek "MAA" na samandhe hoy paramarth 195. 100 DAWA KO NAKAM KARDE 1 DUWA AUR 100 DUWA KO NAKAM KARDE KARDE SIRF 1 BADDUVA. 196. KRODH SE GHATE CHATURAI PAP SE GHATE LAXMI CHINTA SE GHATE SHARIR KAH BAYE DAS KABIR. 197. DHANVANKE PAS KYA KYA HAI YAH DUNIYA SOCHATI HAI& DHANVAN USKE PAS KYA KYA NAHI HAI YAH SOCHATA HAI? 198. LAKSHMI CHANCHAL HAI MAAN NA KAR, JINDGI CHAR DINKI HAI GUMAN NA KAR INSAN SE NAHI BHAGVAN SE TO DAR 199. KARM JAISE KAROGE FAL BHI VAISE MILEGE, NIM BONE VALO KO AAM KAISE MILEGE. 200. HE PRABHU , SADGUNO KA BHOJAN TU MUZE BAD ME DENA, PAHALE MUZME USKI BHUKH TO JAGRAT KAR DE 201. TUNE JAB DHARTI PAR PAHLA SWAS LIYA MATA=PITA TERE PAS THE UNKE ANTIM SWAS TAK TU BI SATH RAHNA 202. PARWAT Se bhi jyada khatarnak hota hai kisi ke NAZAR me se girna. 203. DHIRAJ MAT KHOVO HATASHA TUME SHOBHA NAHI DETI APNE AATMA-VISHWASH KO BATHAVO TUME SAFLATA MILEGI. 204. Pehla VICHAR Pachi UCHCHAR To thase sukhi SANSAR 205. JUB TUM AAYE IS DUNIYAME JAG HASE TUM ROY AISI KARNI KAR CHALO TUM HASE JAG ROY 206. "Ratantrayee-Sandesh" Liya Hya Upkar Kabhi Bhulo Nahi, Aur Kiya Hua Upkar Kabhi Yaad Mat Karo 207. NAMRATA- wah fuge jesi H use koi duba nahi sakta AHANKAR -EGO paththar jesa H use koi tira nahi sakta 208. Ashawadi HAAR pahnakar aata hai Nirashawadi HAAR milakar aata hai. 209. SAFALTA VO MAHAL H OUR NAMRATA VO DVAR H YEDI SAFALTA KA MAHAL PANA H TO NAMRATA KE DVAR SE JANA H 210. Hasna kathin rona aasan hota hai yu nathukarao kisi ko tum aadmi khud BHAGVAN hota hai. 211. Jiske pas Ummid hai, wah lakh bar harkar bhi nahi Harta . 212. DUSRE KE DOSHO ME VYAST RAHENA VO HAMARA SABSE BADA DOSHA HAI! 213. UPAR JISKA ANT NAHI USE ASMA KAHTE HAI. JAHAME JISKA ANT NAHI USE MA KAHTE HAI. 214. Aashawadi prattek aapatti me mouka dekhata hai, Nirashawadi har ek mouke me aapati dekhta hai. 215. parmatma KO manna bahut aasan hai magar parmatma KA manna bahut mushkil hai. 216. par ki prasansha aur swayam ki ninda karna mahanta ka pratik hai 217. MANAV Apne dukh se dukhi nahi hota jitna.. Dusro ke SUKH Se dukhi hota hai 218. Zindagi mein khoob kamaye hire - khoob kamaye moti! Par kya kare yaro KAFAN ko jeb nahi hoti ! 219. Sant ek mahant hai, unki sangat se sabhi avguno ka ant hai. 220. Ashubh mein Jamna nahi, Shubh mein atakna nahi, & Swabhaav se Bhatakna nahi 221. Sabse mahan wo hai jo apne dushaman ko bhi dost bana leta hai ."SHAVI JIV KARU SHASAN RASI" 222. SHANTI KE liye 3 factory lagao 1Brain me ice factory 2zuban me sugar factory 3Heart me love factory 223. Jivan me do hi vyakti ASAFAL Hote Hai 1-Jo sochate hai par karte nahi 2-Jo Kahte hai par karte nahi 224. BHAVNA ME BHAV NA HO TO BHAVNA BEKAR HAI OR BHAVNA ME BHAV HO TO BEDA TERA PAR HAI! 225. pankh me agar udan hai to aasman tum se dur nahi shardhdha agar jan hai to bhagavan tumsee dur nahi 226. GULAB aur KANTE hardam sath me hi hote hai yadi GULAB pana hai to KANTE ko NIBHANA hoga 227. Ahinsa K naro se Saja MHAVIR ka Darbar Pulakit Hua Sansar JAI MAHAVIR Kehane se khusia Aye apke dwar 228. JAIN J-Jeo&jine do A-Arihant ko namskar I-Is jivan me hinsa n karna N-Navakar ka jaap karna 229. Sap me mot ka darshan hota hai Agni me Dah ka darshan hota hai ese PAP me DUKH ka darshan karo 230. Mrutyu ko sudhaarne k liye jivan ko badal do aur jivan ko badalne k liye swabhaav ko sudhaar dO 231. Dudh[milk] me Chaval Milaye Use KHIR Kahte Hai GURU Jo Thapka[dante] De Use TAKDIR Kahte Hai 232. Na Gati Hai Na Gungunati Hai.. Mot Jab Aati Hai Chupake Se Chali Aati Hai 233. taraju ke bina mal tulega nahi. chavi ke bina tala khulenga nahi dil ki dival par likh do. GURU KE BIN ATMA PE LAGA PAP DHULENGA NAHI 234. Is duniya me jaanane yogya anek vastue hain, par unme sabse mahatvapurn hai-"APNE AAP KO JAANANA". 235. Mushkilo me b muskurana mat bhule kisi b karya ko karne se pehle muskurana us karya ke shri ganesh karne ka acha tarika he. 236. Apni kamai me se do roti garibo ke liye nikaliye, Unki duaae apko apki kamai se jyada barkat karegi. 237. Pav me kanta rakhkar hask chalna shayad mumkin he, Lekin kisik prati dilme dwesh rakhkar Aradhna me safalta prapt karna shayad namumkin he.. 238. Hame jomila he bhagyase jyada mila He Yadi apke pavme jute nai He to afsos mat kijiye Duniyame kai logo ke pas to pavhi nai He.. 239.SANTO KI ICHCHA-SHAKTI AUR SHASHAKO KI KRIYA-SHAKTI YADI EK HO JAYE TO DESH KI SAKAL BADAL JAYE. 240. Prathna ke liye jude hue dono hatho se... Kisi dukhiyare ki madad ke liye badha hua... ek hath Jyada Dhanyawad ke patra he. 241. Kisib ghadime MIND CONTROL hona chahiye, Usme samajdarika petrol dalna chahiye Aag vicharome n lage isliye PRABHU AANAka firebrigade chahiye. 242. Aajka manvi duniyako samajnek badle apne manko samajle to jivanki sabhi samasyaoka hal hojaye. 243. Aap Jivanme Itni Uchaiya Avashy ChuleKi Log Apk Mata-Pitase PucheKi Apne Ase Kya Punya Kiye JoItni Achi Santan Hui 244. *Manavta Ki Seva Karnewale Ke Hath Utne Hi Dhanya Hote He, Jitne Parmatama Ki Prathna Karnewale Ke Hoth......! 245. bhavo ki nirmalta ka nam jaindharam. jaise jaise vayakti k bhavo me nirmalta ati hai vah jain ban jata hai. 246. Itihas kehta he bhutkalme sukh tha, Vigyan kehta he bhavishyame sukh milega, Dharma kehta he sukh vartmanme hi he 247. Ninda Aur Nidra In Dono Pe Jo Vijay Prapt Kar Sake Wahi Mahan Ban Sakta He 248. MannKo Jalaye Vese Nimit Jab B Mile Tab Prabhu & DharmK SharanMe Chale Jaiye Wo Apke MannKo TharneKa Kam Karega 249. *Dukhipe Daya Karna Mahanta He Lekin Doshipe Daya Karna Badi Mahanta He 250. Sadhnak Bina Sidhi Bekar He & Sidhik Bina Prasidhi Bekar He 251. Hum Tanpe Aur Sharirpe TanikB Mel Pasand Nai Karte, Lekin Sharir HoYa Vastr Mel RahaTo Chal Jayega, Par MAN Mela Hua To Jivan Barbad Ho Jayega 252. Hath Ki RekhaYe Tedi He, To Nirash Mat Hoiye, Apna Najriya Behtar Banaiye, HastRekha Svath Behtar Hone Lagegi. 253. DUA ki Daulat Sabse Badakar Hai, Phir Chahe,vo Kisi Ki Bhi Seva Karke Kamai Gai Ho...! 254. Har Insan Sare Sansarko Madad Nai De Sakta Par Hum Agar 10Logoko B Sukun De Sake To Anewale Kal Kliye Itna Kafi He 255. Is duniya me jaanane yogya anek vastue hain, par unme sabse mahatvapurn hai-"APNE AAP KO JAANANA". 256. Mushkilo me b muskurana mat bhule kisi b karya ko karne se pehle muskurana us karya ke shri ganesh karne ka tarika he 257. Apni kamai me se do roti garibo ke liye nikaliye, Unki duaae apko apki kamai se jyada barkat karegi. 258. Pav me kanta rakhkar hask chalna shayad mumkin he, Lekin kisik prati dilme dwesh rakhkar Aradhna me safalta prapt karna shayad namumkin he..