HAVE YOU EVER THOUGHT ? Who Are You ? A Doctor ? An Engineer ? A Businessman ? A Leader ? A Teacher ? A Husband ? A Wife ? A Son ? A Daughter are you one, or so many ? these are temporary roles of life who are you playing all these roles ? think again ...... who are you in reality ? A body ? A intellect ? A mind ? A breath ? you are interpreting the world through these mediums then who are you seeing through these mediums. THINK AGAIN & AGAIN.
Sunday, 1 March 2015
देवताओं का किस प्रकार का कामसुख होता है ?
1. भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क, वाणव्यंतर, तिर्यग्जृंभक देव तथा प्रथम सौधर्म तथा द्वितीय ईशान देवलोक तक के देव मनुष्य की भाँति कामसुख का सेवन करते हैं ।
2. तीसरे सनत्कुमार एवं चौथे माहेन्द्र देवलोक के देव, देवियों के स्पर्श से ही तृप्त हो जाते हैं ।
3. पांचवें ब्रह्मलोक एवं छट्ठे लांतक कल्प के देव, देवीयों के शृंगार-रुप को देखकर ही संतुष्टि प्राप्त कर लेते हैं ।
4. सातवें महाशुक्र एवं आठवें सहस्रार स्वर्ग के देव, देवियों के शब्द सुनकर ही कामसुख का अनुभव कर लेते हैं ।
5. नौंवे से बारहवें देवलोक के देवों की कामेच्छा देवियों के चिन्तन से ही पूर्ण हो जाती है ।
6. बारहवें देवलोक से उपर नवग्रैवेयक और पांच अनुत्तर वैमानिक देव कामवासना से मुक्त होते हैं । इस प्रकार कामवासना क्रमशः कम होती जाती है ।
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