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Tuesday, 6 October 2015
।। सिद्ध परमेष्ठी ।।
प्रश्न 1 - सिद्ध परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते हैं?
उत्तर - सिद्धपरमेष्ठी के आठ मूलगुण होते हैं।
प्रश्न 2 - सिद्ध परमेष्ठी के उत्तर गुण कितने होते हैं?
उत्तर - सिद्ध परमेष्ठी के उत्त्र गुण अनंतानंत होते हैं।
प्रश्न 3 - सिद्ध परमेष्ठी के कौन-कौन से मूलगुण होते हैं?
उत्तर - 1 - क्षायिक सम्यक्त्व
2 - अनंतदर्शन
3 - अनंतज्ञान
4 - अगुरूलघुत्व
5 - अवगाहनत्व
6 - सूक्ष्मत्व
7 - अनंतवीर्य
8 - अव्याबाधत्व।
प्रश्न 4 - सिद्ध परमेष्ठी के कुछ अन्य नाम बताइये।
उत्तर - मुक्त जीव, निराकार, निरंजन, निकल परमात्मा, सिद्ध परमात्मा आदि।
प्रश्न 5 - सिद्ध भगवान के मूलगुण का कथन किस आधार पर है?
उत्तर - सिद्ध भगवान ने आठ कर्मों का नाश किया है। एक-एक कर्म के नाश होने से एक-एक गुण प्रकट होता हे, इस प्रकार कर्मों के नाश के आधार पर सिद्ध भगवान के मूल गुणों का कथन है।
प्रश्न 6 - कौन से कर्म के नाश के कौन-सा गुण प्रकट होता है।
उत्तर - 1 - दर्शनावरण कर्म के नाश से अनंत दर्शन
2 - ज्ञानवरण कर्म के नाश से अनंत ज्ञान
3 - मोहनीय कर्म के नाश से क्षायिक सम्यक्त्व
4 - अंतराय कर्म के नाश से अनंतवीर्य
5 - आयु कर्म के नाश से अवगाहनत्व
6 - नाम कर्म के नाश से सूक्ष्मत्व
7 - गोत्र कर्म के नाश से अगुरू लघुत्व
8 - वेदनीय कर्म के नाश से अव्याबाधत्व।
प्रश्न 7 - अनंत दर्शन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर - संसार के अनंत पदार्थों को एक साथ देखना।
प्रश्न 8 - अनंत ज्ञान का क्या अभिप्राय है?
उत्तर - संसार के अनंत पदार्थों को एक साथ जानना।
प्रश्न 9 - अवगाहनत्व किसे कहते हैं?
उत्तर - जिस गुण के रहने पर एक में अनंत समा जाते हैं ऐसे गुण को अवगाहनत्व कहते हैं।
प्रश्न 10 - अवगाहनत्व सिद्ध परमेष्ठी में किस प्रकार घटित होता है?
उत्तर - सिद्ध शिला पर एक सिद्ध में अनंत सिद्ध रहते हैं।
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प्रश्न 11 - अगुरूलघु गुण का लक्षण बताइये।
उत्तर - जिस गुण के कारण छोटे बड़े का भेद समाप्त होता है वह अगुरूलघुत्व गुण है।
प्रश्न 12 - अगुरूलघुत्व गुण सिद्ध में किस प्रकार रहता है?
उत्तर - गुणों की अपेक्षा सभी सिद्ध समान होते हैं किसी में दूसरे की अपेक्षा किंचित मात्र भी गुण कम या अधिक नहीं है। जिस प्रकार एक रूपये में 100 पैसे होते हैं तो रूपये के सभी सिक्कों में 100 पैसे ही रहेंगे कम ा अधिक नहीं।
प्रश्न 13 - सिद्धों में किस अपेक्षा से भेद हैं?
उत्तर - आसन, अवगाहना, द्रव्य, भाव, क्षेत्र काल आदि की अपेक्षा से जानने के लिए भेद किया गया है।
प्रश्न 14 - कौन से आसन से सिद्ध होते हैं?
उत्तर - पर्यंकासन एवं खड़गासन इन दो आसनों से ही सिद्ध होते हैं।
प्रश्न 15 - अवगाहना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर - उत्तम अवगाहना, मध्यम अवगाहना एवं जघन्य अवगाहना से सिद्ध हैं।
प्रश्न 16 - उत्तम अवगाहना कितनी मानी है?
उत्तर - उत्तम अवगाहना कुछ कम पांच सौ पच्ची धनुष अर्थात् इक्कीस सौ हाथ में कुछ कम।
प्रश्न 17 - उत्तम अवगाहना में किसका उदाहरण आता है?
उत्तर - भगवान बाहुबली का।
प्रश्न 18 - मध्यम अवगाहना कितनी है?
उत्तर - मध्यम अवगाहना में अनेक भेद हैं।
प्रश्न 19 - जघन्य अवगाहना कितनी है?
उत्तर - सिद्धों की जघन्य अवगाहना साड़े तीन हाथ की मानी जाती है।
प्रश्न 20 - जघन्य अवगाहना में किसका उदाहरण आता है?
उत्तर - भगवान महावीर स्वामी का।
प्रश्न 21 - सिद्ध परमेष्ठी का क्या स्वरूप है?
उत्तर - जो आठों कर्मों का नाश हो जाने से नित्य निरंजन, अशरीरी हैं लोक के अग्र भाग पर विराजमान, वे सिद्ध परमेष्ठी कहलाते हैं इनके आठ मूल गुण होते हैं।
प्रश्न 22 - सिद्ध परमेष्ठी का स्वरूप बताने वाली पद्य बताइये।
उत्तर - पद्य इस प्रकार है-
समकित दरसन ज्ञान अगुरूलघु अवगाहना।
सूक्ष्म वीरजवान, निरावाध गुण सिद्ध के।। jain temple93
प्रश्न 23 - सिद्ध कौन से लोक से होते हैं?
उत्तर - सिद्ध क ेवल मध्य लोक से होते हैं।
प्रश्न 24 - मध्यलोक में सिद्ध कहां से होते हैं?
उत्तर - मध्य लोक में सिद्ध केवल ढाई द्वीप से होते हैं।
प्रश्न 25 - ढाई द्वीप से ही सिद्ध क्यों होते हैं।
उत्तर - क्योंकि ढाई द्वीपों तक ही मनुजलोक है। इसका विस्तार भी सिद्ध शिला के समान, 45 लाख योजन है, अतः ढाई द्वीप से ही सिद्ध होते हैं।
प्रश्न 26 - ढाई द्वीपों में सिद्ध कहां-कहां से होते हैं?
उत्तर - ढाई द्वीपों के प्रायः सभी स्थानों से सिद्ध होते हैं।
प्रश्न 27 - कौन से जीव सिद्ध हो सकते हैं?
उत्तर - जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध हो सकते हैं।
प्रश्न 28 - जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध बनने के अधिकारी क्यों?
उत्तर - क्योंकि केवल मनुष्य ही पूर्ण संयम धारण करके सम्पूर्ण कर्मों का नाश करके सिद्ध बन सकते हैं।
प्रश्न 29 - क्या सभी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं?
उत्तर - केवल आर्यखण्ड में जन्में आर्य मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं।
प्रश्न 30 - कौन से काल में मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं?
उत्तर - केवल कर्मकाल जो दुःखमा नाम का चतुर्थ काल होता है उसमें ही मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं।
प्रश्न 31 - मनुष्य, पुरूष, नपुंसक स्त्री के भेद से तीन प्रकार के होते हैं क्योंकि तीनों प्रकार के मनुष्य सिद्ध बनते हैं?
उत्तर - द्रव्य वेद (लिंग) से केवल पुरूष मनुष्य ही सिद्ध बन सकते हैं। स्त्री नपुंसक मनुष्य नहीं।
प्रश्न 32 - भाव लिंग से कौन से मनुष्य सिद्ध बन सकते है?
उत्तर - भाव लिंग से स्त्रिी पुरूष नपुंसक तीनों वेद वाले मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं।
प्रश्न 33 - भगवान आदिनाथ कौन-से काल में सिद्ध बने?
उत्तर - भगवान आदिनाथ तो तीसरे काल में जन्म लेकर तीसरे काल में ही सिद्ध हो गये थे।
प्रश्न 34 - क्या पंचम काल में भी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैंत्र
उत्तर - पंचम काल में कोई भी मनुष्य सिद्ध नहीं बनते हैं, किंतु चतुर्थ काल में जन्म लेकर पंचम काल में मोक्ष जा सकते हैं।
प्रश्न 35 - कुछ उन स्थानों के नाम बताइये जहां से जीव मोक्ष जाते हैं।
उत्तर - जल, थल, आकाश, कंदरा, गुफा, पर्वत, नगर, तालाब आदि।
प्रश्न 36 - जल से जीव मोक्ष कैसे जा सकते हैं?
उत्तर - तप करते हुए मुनि को केाई पूर्व भव का शत्रू उठाकर यदि नदी, समुद्र तालाब आदि में डाल दे और वहां समस्त कर्मों की निर्जरा हो जाये तो वे जल से मोक्ष चले जाते हैं।
प्रश्न 37 - आकाश से जीव किस प्रकार सिद्ध होते हैं?
उत्तर - पूर्वोक्त विधि से तप करते हुए मुनि को कोई उठाकर ले जाये और ऊपर छोड़ दे यदि सम्पूर्ण कर्मों की निर्जरा हो जाये तो वे आकाश से ही मोक्ष चले जाते हैं।
प्रश्न 38 - ढाई द्वीप कौन से हैं?
उत्तर - जम्बूद्वीप, धातकी खंड तथा आधा पुष्करवर द्वीप इन्हें मिलाकर ढाई द्वीप कहे जाते हैं।
प्रश्न 39 - मनुष्य किस प्रकार से सिद्ध होते हैं?
उत्तर - कुछ मनुष्य उपसर्ग से सिद्ध होते हैं तथा कुछ मनुष्य बिना उपसर्ग के सिद्ध होते हैं।
प्रश्न 40 - गणुव्रत तथा महाव्रत धारण करने वालों में कौन -से मनुष्य सिद्ध होते हैं।
उत्तर - केवल महाव्रती ही सिद्ध होते हैं।
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प्रश्न 41 - ध्यानों में कौन से ध्यान को धारण करने वाले जीव सिद्ध होते हैं।
उत्तर - केवल शुक्ल ध्यान को धारण कर कर्म नष्ट करने वाले सिद्ध बनते हैं।
प्रश्न 42 - कौन से चरित्र को धारण करने वाले जीव सिद्ध होते हैं?
उत्तर - पंचम यथाख्यात नामक चारित्र को धारण करने वाले जीव सिद्ध बनते हैं।
प्रश्न 43 - कौन से गुण स्थानवर्ती जीव सिद्ध होते हैं?
उत्तर - तेरहवें चैदहवें गुणस्थानवर्ती जीव सिद्ध बनते हैं।
प्रश्न 44 - किन कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनते हैं?
उत्तर - समस्त कर्मांशों को नष्ट करने पर सिद्ध बनते हैं।
प्रश्न 45 - कितने कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनने की योग्यता होती है?
उत्तर - चार घातियां कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनने की योग्यता हो जाती है। चार घातिया कर्मों के नष्ट हो जाने पर केवल ज्ञान हो जाता है। केवल ज्ञान होने पर भाव मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ये केवलज्ञानी ही समस्त कर्मों से दूटकर मुक्त हो जाते हैं।
प्रश्न 46 - कर्मों की कितनी प्रकृतियां नष्ट होने पर मुक्त होने की योग्यता होती है?
उत्तर - कर्मों की 63 (तरेसठ) प्रकृतियां नष्ट होने पर मुक्त पद प्राप्त करने की योग्यता होती है।
प्रश्न 47 - जीवन मुक्त जीव को कितने कर्म तथा कर्मों की कितनी प्रकृर्तियां नष्ट होती हैं?
उत्तर - जीवन मुक्त जीव अर्थात अरिहंत भगवान के चार घातिया कर्म तथा त्रेसठ प्रकृतियां नष्ट होती हैं।
प्रश्न 48 - जीवों के सिद्ध बनने में क्या अंतर है?
उत्तर - कोई जीव तीर्थंकर बनकर सिद्ध होते हैं तथा कोई जीव बिना तीर्थंकर बने केवली, मूक केवली बनकर सिद्ध बन जाते हैं।
प्रश्न 49 - तीर्थंकर तथा केवली में क्या अंतर है?
उत्तर - सभी केवली तीर्थकर नहीं होते, सभी तीर्थंकर केवली होते हैं। तीर्थंकरों का समवसरण बनता है, केवलियों की गंध कुटी, तीर्थंकरों के कल्याणक देव मानते हैं। केवललियों के पंच कल्याणकादि तीर्थंकरों की भांति नहीं होते हैं। सामान्य केवली के जन्म समय अतिश्य नहीं होते हैं।
प्रश्न 50 - तीर्थंकर तथा सामान्य केवली को उदाहरण द्वारा बताइये।
उत्तर - भगवान बाहुबली, भरत, राम, हनुमान आदि केवली तो थे किन्तु तीर्थंकर नहीं थे।
प्रश्न 51 - केवली तथा मुक्त केवली में क्या अंतर है?
उत्तर - सभी केवलियों की दिव्य ध्वनि खिरती है जबकि मूक केवलियों की दिव्य ध्वनि नहीं खिरती है।
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प्रश्न 52 - केवली को सिद्ध बनने के लिए कितना समय लगता है?
उत्तर - पंचलक्षर उच्चारण के बाराबर समय लगता है।
प्रश्न 53 - वे पंचलब्धक्षर कौन - से हैं?
उत्तर - अ इ उ ऋ लृ
प्रश्न 54 - कर्मनष्ट करके सिद्ध कहां जाते हैं?
उत्तर - लोक अग्र भाग पर।
प्रश्न 55 - जीव सिद्ध होकर अग्र भाग से ऊपर क्यों नहीं जाते?
उत्तर - जीव व पुद्गलों की गति धर्मास्तिकाय के कारण से होती है लोक के अग्रभाग से ऊपर धर्मास्तिकाय द्रव्य नहीं है।
प्रश्न 56 - मुक्त जीव मध्य लोक के ढाई द्वीप से ऊपर ही क्यों जाते हैं नीचे क्यों नहीं?
उत्तर - मुक्त जीव का स्वभाव ऊपर जाने का ही है इसीलिए।
प्रश्न 57 - मुक्त जीव के उध्र्व गमन के लिए आचार्यों ने क्या उदाहरण लिया है?
उत्तर - ऐरण्ड बीज का, अग्नि शिखा का कुम्हार के चक्र का।
प्रश्न 58 - समुदघात् सिद्ध किन्हें कहते है?
उत्तर - जो मुनि मुक्ति जाने से पूर्व केवली समुदघात् करते हैं, उन्हें समुघात् सिद्ध कहते हैं।
प्रश्न 59 - केवली समुदघात् सिद्ध किन्हें कहते है?
उत्तर - जिन केवलियों की आत्मा में कर्मों की सत्ता अधिक है आयु कर्म कम तो दोनों को बराबर करने के लिए जो समुदघात् किया जाता है उसे केवली समुदघात् कहते हैं।
प्रश्न 60 - समुदघात् क्या है?
उत्तर - आत्मा के प्रदेशों का मूल शरीर को छोड़े बिना बाहर निकलना समुदघात् कहलात है।
प्रश्न 61 - तीर्थंकर के निर्वाण क्षेत्रों को छोड़ अन्य पांच सिर क्षेत्रों के नाम बताओं।
उत्तर - सोनागिर, बड़बानी, मांगीतुंगी, मथुरा, द्रोणगिरि।
प्रश्न 62 - सिद्ध क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर - जिस स्थान से जीव मोक्ष जाते हैं, सिद्ध होते हैं उस स्थाान को सिद्ध क्षेत्र कहते हैं।
प्रश्न 63 - सम्मेदशिखर को छोड़कर प्रचलित अन्य सिद्ध क्षेत्रों के नाम बताइये।
उत्तर - (1) कैलाश पर्वत, (2) गिरानार जी (3) पावापुरी (4) गजपंथजी, (5) तारवर नगर (6) पावागिरि (7) शत्रुंजय (8) मांगीतुंगी (9) सोनागिरजी (10) रेवानदी तट (11) सिद्धवर कूट (12) बड़ानी नगर (13) पावागिरि नगर (14) द्रोणागिरि (15) मुक्ता गिरि (मेढ़गिरि), (16) कुंथुलगिरि (17) कलिंगदेश (कोटिशिला), (18) रेशंदीगिरि (19) जम्बूवन (चैरासी मथुरा)
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प्रश्न 64 - कैलाश पर्वत से कौन-कौन से मोक्ष हैं?
उत्तर - कैलाश पर्वत से, भगवान आदिनाथ, भरत बाहुबली आदि 10 हजार मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 65 - चंपापुरी - से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - चंपापुरी से श्री वासुपूज्य भगवान तथा छः सौ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 66 - गिरिनार जी से श्री नेमिनाथ भगवान को छोड़कर कौन-कौन से भव्य जीव मोक्ष गये हैं?
उत्तर - प्रद्मुनकुमार, शम्भु, अनिरूद्ध आदि बहत्तर करोड़ सात सौ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 67 - गजपंथा जी सिद्ध क्षेत्र की विशेषता बताइये।
उत्तर - गजपंथा सिद्ध क्षेत्र से श्री बलभद्र यादव नरेन्द्रादि सात आठ करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 68 - तारवर नगर से कौन से मुनि मोक्ष को गये हैं?
उत्तर - तारवर नगर से, धरदत्त, वरांग, सागरदत्त आदि साड़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 69 - पावागिरि से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - पावागिरि से रामचन्द्र के दो पुत्र लाडनृपादि एवं पांच करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 70 - शत्रुजय पर्वत से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - शत्रुंजय पर्वत से तीन पांडु पुत्र युधिष्ठर, भीम, अर्जुन द्रविड राजादि आठ करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 71 - मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र से कौन से प्रसिद्ध महानुभाव मोक्ष गये हैं?
उत्तर - मांगीतुंग सिद्ध क्षेत्र से श्रीराम, हनुमान, सुग्रीव, गव, गवाक्ष, नील, बहानील आदि निन्यानवे करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 72 - सोनागिर सिद्ध क्षेत्र से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - सोनागिर सिद्ध क्षे. से नंग अनंग कुमार मुनि सहित साड़े पांच करोड़ भव्य जीव मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 73 - रेवातट सिद्ध क्षेत्र से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - रेवातट सिद्ध क्षेत्र से दशमुखनृपति पुत्र एवं साड़े पांच करोड़ मुनि मोक्ष् गये हैं।
प्रश्न 74 - सिद्धवर कूट से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - सिद्धवर कूट सिद्ध क्षेत्र से दो चक्रीश तथा दस कामदेव सहित साड़े तीन करोड़ मुनि मोंक्ष गये हैं।
प्रश्न 75 - बड़वानी सिद्ध क्षेत्र से कोन-से मोक्ष गये हैं?
उत्तर - बड़बानी सिद्ध क्षेत्र से इन्द्रजीत और कुम्भकरण मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 76 - पावागिरिनगर सिद्ध क्षेत्र से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - पावागिरि नगर सिद्ध क्षेत्र से सुवर्णभद्र मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 77 - द्रोण गिरि सिद्ध क्षेत्र से कौन से भव्य जीव सिद्ध हुए हैं?
उत्तर - द्रोण गिरि सिद्ध क्षेत्र से गुरूदत्तादि मुनिगण सिद्ध हुए हैं।
प्रश्न 78 - अष्टापद गिरि से कौन-से दो मुनि सिद्ध होकर प्रसिद्ध हुए हैं?
उत्तर - अष्टापद गिरि से बालि महाबलि नाम के मुनि सिद्ध हुए हैं।
प्रश्न 79 - मुक्ता गिरि से कितने मुनियों ने सिद्ध पद को प्राप्त किया है?
उत्तर - मुक्ता गिरि से साड़े तीन करोड़ मुनियों ने सिद्ध पद को प्राप्त किया है।
प्रश्न 80 - मुक्ता गिरि का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर - मुक्ता गिरि का दूसरा नाम मेढ़ागिरि है।
प्रश्न 81 - कुंथलगिरि से कौन से मुनि सिद्ध हुए हैं?
उत्तर - कुंथलगिरि से साडद्ये तीन करोड़ मुनि सिद्ध हुए हैं।
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प्रश्न 82 - कलिंग देश कोटि शिला से कौन से मुनि सिद्ध हुए हैं?
उत्तर - कलिंग देश कोटिशिला से दशरथ राजा के पुत्र तथा पांच सौ मुनि सिद्ध हुए हैं।
प्रश्न 83 - रेशंदी सिद्ध क्षेत्र से कौन-से मुनियों ने मुक्त पद प्राप्त किया है?
उत्तर - रेशंदी गिरि सिद्ध क्षेत्र से वरदत्तादि पांच मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 84 - जम्बूवन (मथुरा चैरासी) से कौन मोक्ष गये हैं?
उत्तर - जम्बूवन मथुरा चैरासी से जम्बूस्वामी मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 85 - इस हुंडावसर्पिणी काल के कर्मयुग में सर्वप्रथम मोक्ष प्राप्त करने वाले कौन थे?
उत्तर - अनंतवीर्य केवली।
प्रश्न 86 - चतुर्थ काल के अंत में मोक्ष प्राप्त करने वाले कौन थे?
उत्तर - जम्बूस्वामी।
प्रश्न 87 - सबसे बड़े सिद्ध क्षेत्र का क्या नाम है?
उत्तर - श्री सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र।
प्रश्न 88 - सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की क्या महत्ता है?
उत्तर - सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की महत्ता निम्न प्रकार है-
एक बार वंदे जो कोई ताहि नरक पशु गति न होई।।
अर्थात् जो एक बार सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की वंदना कर लेता है वह निश्चय ही भव्य है उसे नरक और पशुगति में नहीं जाना पड़ता है। उसकी निश्चित ही मनुष्य एवं देवगति होती है।
प्रश्न 89 - सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र के कूटों के नाम बताइये।
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उत्तर - नाम इस प्रकार हैं- 1 - सिद्धवर कूट
2 - धवल कूट
3 - आनंद कूट
4 - अविचल कूट
5 - मोहन कूट
6 - प्रभास कूट
7 - ललित कूट
8 - सुप्रभ कूट
9 - विद्युतवर कूट
10 - संकुल कूट
11 - सुवीर कूट
12 - स्वयंभू कूट
13 - सुदत्त कूट
14 - कुंदप्रभ कूट
15 - ज्ञानधर कूट
16 - नाटक कूट
17 - संबल कूट
18 - निरजर कूट
19 - मित्रधर कूट
20 - सुवर्णभद्र कूट
21 - आदिनाथ भगवान की टौंक
22 - वासुपूज्य भगवान की टौंक
23 - नेमिनाथ भगवान की टौंक
24 - महावीर की टौंक
25 - गणधर कूट।
प्रश्न 90 - सिद्धवर कूट से कुल कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - इस कूट एक अरब अस्सी करोड़ चउवन लाख मुनि मोक्ष गये हैं?
प्रश्न 91 - सिद्धवर कूट की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - सिद्धवर कूट की वंदना से बत्तीस करो़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 92 - धवल कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - धवल कूट से नौ कोड़ा-कोडि़ बहत्तर लाख बियालिस हजार पांच सौ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 93 - धवल कूअ की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - धवल कूअ की वंदना से ब्यालिस लाख उपवास का फल मिलता है।
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प्रश्न 94 - आनन्द कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हें?
उत्तर - धवल कूट की वंदना से ब्यालिस लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 95 - आनंद कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - आनन्द कूट से बहत्तर कोड़ाकोडि़ सत्तर करोड़ सत्तर लाख ब्यालिस हजार सात सै मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 96 - आनंद कूट की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - आनंद कूट की वंदना से एक लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 97 - अविचल कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - अविचल कूट से एक कोड़ाकोडि़ चैरासी करोड़ बहत्तर लाख इक्यासी हजार, सात सौ इक्यासी मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 98 - अविचल कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - अविचल कूट की वंदना से, एक करोड़ बत्तीस लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 99 - मोहन कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - मोहन कूट से निन्यानवे करोड़ सत्तासी लाख तितालीस हजार सात सौ सत्ताइस मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 100 - मोहन कूट की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - मोहन कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है?
प्रश्न 101 - प्रभास कूट से कितने मुनि मोक्ष पधारे हैं?
उत्तर - प्रभास कूट से उन्वास कोड़ाकोडि़ चैरासी करोड़ बत्तीस लाख सात हजार सात सौन मुनि मोक्ष पधारे हैं।
प्रश्न 102 - प्रभास कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - प्रभास कूट की वंदना से, बत्तीस करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 103 - ललित कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - ललित कूट से नौ सौ चैरासी अरब बहत्तर करोड़ उस्सीलाख, चैरासी हजार, पांच सौ, पंचानवे मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 104 - ललित कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - ललित कूट की वंदना से छियानवे लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 105 - सुप्रभ कूट से कितने मुनिराज सिद्ध पद को प्राप्त हुये हैं?
उत्तर - आठवें सुप्रभ कूट से एक कोड़ा-कोडि़ निन्यानवे लाख सात हजार चार सौ अस्सी मुनि सिद्ध पद को प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 106 - सुप्रभ कूट की वंदना से क्या फल प्राप्त होता है?
उत्तर - सुप्रभ कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 107 - विद्युतवर कूअ की वंदना से कितने उपवासों का फल प्राप्त होता है।
उत्तर - विद्युतवर कूअ की वंदना से एक करोड़ उपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 108 - संकुल कूट से कितने मुनियों ने सिद्ध धाम को प्राप्त किया है?
उत्तर - संकुल कूट से छियानवे कोड़-कोडि़ छियानवे करोड़ छियानवे लाख नौ हजार पांच सौ ब्यालिस मुनियों ने सिद्ध धाम को प्राप्त किया है।
प्रश्न 109 - संकुल कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - संकुल कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 110 - ग्यारवें सुवीर कूट से कितने मुनि मोक्ष पधारे हैं?
उत्तर - ग्यारवें सुवीर कूट से सत्तर कोड़ा-कोडि़ साठ लाख छः हजार सात सौ ब्यालिस मुनि मोक्ष पधारे हैं।
प्रश्न 111 - सुवीर कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - सुवीर कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 112 - बारवें स्वयंभू कूट से कितने मुनि मोक्ष पधारे हैं?
उत्तर - स्वयंभू कूट से छियानवे कोड़ा-कोडि़ सत्तर करोड़ सत्तर लाख, सत्तर हजार, सात सौ, मुनि मोक्ष पधारे हैं।
प्रश्न 113 - स्वयं-भू कूट की वंदना से क्या फल प्राप्त होता है?
उत्तर - स्वयं-भू कूट की वंदना से नौ करोड़ उपवास का फल प्राप्त होता है।
प्रश्न 114 - तेरहवे सुदत्त कूट से कितने मुनि सिद्ध हुए है?
उत्तर - तेरहवें कूट से उनत्तिस कोड़-कोडि़ उन्नीस करोड़ नौ लाख, नौ हजार, सात सौ पन्चानवें दिगम्बर साधु सिद्ध हुए हैं।
प्रश्न 115 - सुदत्त कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - सुदत्त कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 116 - कुंदप्रभु कूअ से कितने मुनि सिद्ध पद को प्राप्त हुए।
उत्तर - कुंद प्रभ कूट से नौ कोड़ाकोडि़ नौ लाख नौ सौ निन्यानवे मुनि सिद्ध पद को प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 117 - इस कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - इस कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 118 - ज्ञानधर कूट से कितने मुनियों ने शिव धाम को प्राप्त किया है?
उत्तर - ज्ञानधर कूट से छियानवे कोड़-कोडि़ छियालिस करोड़ बत्तीस लाख छियानवे हजार सात सौ ब्यालिस मुनियों ने शिव पद प्राप्त किया है।
प्रश्न 119 - ज्ञानधर कॅअ की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - इस कूअ की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 120 - नाटक कूट से कितने मुनिराजों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है?
उत्तर - नाटक कूट से निन्यानवे करोड़ निन्यानवे लाख नौ सौ निन्यानवें मुनिराजों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है।
प्रश्न 121 - नाटक कूट की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - नाटक कूट की वंदना से छियानवे करोड़ उपवासों का फल मिलता है।
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प्रश्न 122 - संबल कूट से कितने मुनियों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है।
उत्तर - संबल कूट से छियानवे करोड़ मुनियों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है।
प्रश्न 123 - संबल कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - संबल कूट की वंदना से एक करोड़ प्रोषधोपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 124 - निरजर कूट से कितने मुनियों ने निर्वाण को प्राप्त किया है?
उत्तर - निरजर कूट से निन्यानवे कोड़ा-कोडि़ सत्यान्वे करोड़ नौ लाख नौ सौ निन्यानवे महामुनियों ने निर्वाण को प्राप्त किया।
प्रश्न 125 - निरजर कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - निरजर कूट की वंदना से एक करोड़ प्रोषधोपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 126 - मित्रधर कूट से कितने ऋषि निर्वाण धाम को प्राप्त हुए हैं?
उत्तर - मित्रधर कूट से नौ सौ कोड़ाकोडि़ एक अरब पैंतालिस लाख सात हजार नो सौ मुनि निर्वाण धाम को प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 127 - मित्रधर कूट की वंदना का क्या फल मिलता है?
उत्तर - मित्रधर कूअ की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 128 - स्वर्णभद्र कूट से कितने महामुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - स्वर्णभद्र कूट से ब्यासी करोड़ चैरासी लाख पैंतालिस हजार सात सौ ब्यालिस महामुनि कर्म नाश कर मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 129 - स्वर्ण कूट की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - इस कूट की वंदना से सोलह करोड़ उपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 130 - गणधर कूट की क्या विशेषता है?
उत्तर - गणधर कूट से गौतम आदि गणधर मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 131 - सम्मेद शिखर से कितने तीर्थंकरों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है?
उत्तर - सम्मेद शिखर से अनंतानंत चैबीस तीर्थंकरों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है। सभी तीर्थंकर इसी स्थान से मोक्ष जाते हैं।
Very informative.....thnx for posting
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