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Tuesday, 6 October 2015
।। णमोकार महामंत्र ।।
प्रश्न 1 - णमोकार महामंत्र का शुद्ध उच्चारण करके बताइये।
उत्तर- णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं।
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प्रश्न 2 - णमोकार मंत्र का क्या आशय है।
उत्तर- णमो अरिहंताणं-अरिहंतों को नमस्कार हो, णमो-सिद्धाणं-सिद्धों को नमस्कार हो। णमो आयरियाणं-आचार्यों को नमस्कार हो। णमो उवज्झायाणं- उपाध्यायों को नमस्कार हो, णमो लोए सव्व साहूणं-लोक के सभी साधुओं को नमस्कार हो।
प्रश्न 3 - णमोकार मंत्र के अन्य प्रचलित नाम क्या हैं?
उत्तर- 1 - णमोकार मंत्र,
2 - पंच नमस्कार मंत्र
3 - परमेरष्ठी मंत्र
4 - मूलमंत्र, अनादिनिधन (शाश्वत मंत्र)
5 - महामंत्र,
6 - नवकार मंत्र।
प्रश्न 4 - णमोकार मंत्र को नमस्कार मंत्र क्यों कहा जाता हैं?
उत्तर- क्योंकि इसमें जैन धर्म के पंचपरमेष्ठीयों को नमस्कार किया गया है।
प्रश्न 5 - णमोकार मंत्र को मूलमंत्र क्यों माना जाता है?
उत्तर- णमोकार मंत्र से सभी मंत्रों की रचना हुई है ऐसा माना जाता है तथा यह सभी समंत्रों में सारभाूत रूप में रहता है।
प्रश्न 6 - णमोकार मंत्र से कितने मंत्रों की रचना हुई है।
उत्तर- णमोकार मंत्र से 84 लाख मंत्रों की रचना मानी जाती है।
प्रश्न 7 - मंत्रों का जनक किसे कहा जाता है।
उत्तर- णमोकार मंत्र को मंत्रों का जनक जाना जाता है।
प्रश्न 8 - णमोकार मंत्र में कौन-कौन से पांच पद हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र में पांच पद निम्न हैं। 1 - णमो अरिहंताणं
2 - णमो सिद्धाणं
3 - णमो आयरियाणं
4 - णमो उवञ्झायाणं
5 - णमोलोए सव्व साहूंणं।
प्रश्न 9 - कौन से ग्रंथ में सर्वप्रथम णमोकार मंत्र को मंगलाचरण के रूप में लिखा गया है?
उत्तर- श्री भूतवली पुष्पदंत आचार्य ने षट्खंडागम ग्रंथ में णमोकार मंत्र को मंगलाचरण के रूप में लिखा है।
प्रश्न 10 - णमोकार मंत्र को जैन धर्म का प्राण क्यों माना जाता है?
उत्तर- णमोकार मंत्र पांच परमेष्ठियों का वाचक होने से जैन धर्म का प्राण माना जाता है क्योंकि जैन धर्म पंचपरमेष्ठियों के बिना नहीं हो सकता है और पंचपरमेष्ठी जैन के सिवा अन्यत्र नहीं होते हैं।
प्रश्न 11 - णमोकार मंत्र का आगम में क्या महात्म्यं बताया गय है।
उत्तर- आगम में णमोकार मंत्र का महात्म्य निम्न प्रकर प्रतिपादित किया गया है-
ऐसा पंच णमोयारो सव्व पावप्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसिंह पढ़मं हवई मंगलम्।। jain temple73
प्रश्न 12 - णमोकार मंत्र के महात्म्य का हिन्दी आशय बताइये।
उत्तर- ये पंच नमस्कार मंत्र सभी पापों का नाश करने वाला है। और सभी मंगलों में पहला मंगल है।
प्रश्न 13 - मंगल किसे कहते हैं?
उत्तर- जो पापों को गलाये तथा पुण्य को प्रदान करे उसे मंगल कहते हैं।
प्रश्न 14 - पाप किसे कहते हैं?
उत्तर- जो आत्मा का पतन करे नरक निगोद में गिराये उसे पाप कहते हैं।
प्रश्न 15 - पाप कौन-कौन से हैं?
उत्तर- 1 हिंसा 2 झूठ 3 चोरी 4 कुशील 5 परिग्रह ये पांच पाप होते हैं।
प्रश्न 16 - णमोकार मंत्र का छोटा पंचाक्षरी मंत्र कौन-सा है?
उत्तर- णमोकार मंत्र का छोटा पंचाक्षरी मंत्र असिअउसा है।
प्रश्न 17 - णमोकार मंत्र से असिआ उसा कैसे बनता है?
उत्तर- पांचों परमेष्ठियों के नाम के प्रथमाक्षर लेने से असि आ उसा बनता है जैसे अरिहंत परमेष्ठी का अ सिद्ध परमेष्ठी का सि आचार्य परमेष्ठी आ उपाध्याय परमेष्ठी का उ तथा साधु परमेष्ठी का सा लेने से असि आ उसा बनता है।
प्रश्न 18 - णमोकार मंत्र का सबसे छोटा रूप क्या है?
उत्तर- णमोकार मंत्र का सबसे छोटा रूप ऊँ हैं।
प्रश्न 19 - णमोकार मंत्र से ऊँ किस प्रकार बनता है?
उत्तर- अरिहंत जी का, अ, सिद्ध परमेष्ठी का उपर दूसरा नाम अशरीरी है दोनों के अ$ अ मिलाने से आ हो जाता है आचार्य का आ मिलाने से आ $ आ = आ ही रहता है। उपाध्याय का उ मिलाने से ओ होता है मुनि का, म मिलाने से ओ $ म = ऊँ बन जाता है।
प्रश्न 20 - पंच परमेष्ठियों के बारे में आगम में क्या महत्व की बात बताई गयी है?
उत्तर- पंचपरमेष्ठियों के महत्व को बताने वाली चत्तारिदंडक बताई गयी है।
प्रश्न 21 - ये चत्तारिदंडक क्या है?
उत्तर- चत्तारिदंडक निम्न प्रकार से है-
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चत्तारिमंगलं, अरिहंत मंगलं सिद्ध मंगलं साहू मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लो गुत्तमा, अरिहंतलोगुत्तमा, सिद्धलोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मोलोगुत्तमा।। चत्तरिसरणं पव्वञ्जामि, अरिहंतसरणं पव्वञ्जामि, सिद्धसरणं पव्वञ्जामि, साहूसरणं पव्वञ्जामि केवलि पणात्तो धम्मंसरणं पव्वञ्जामि।
प्रश्न 22 - चत्तारिक मंगल का अर्थ बताइये।
उत्तर- लोक में चार मंगल हैं अरिहंत परमेष्ठी मंगल हैं, सिद्ध परमेष्ठी मंगल हैं, आचार्य उपाध्याय साधू परमेष्ठी मंगल है एवं केवलीभगवन के द्वारा बताया गया धर्म मंगल है।
प्रश्न 23 - चत्तारिलोगुत्तमा का अर्थ बताइये।
उत्तर- लोक में चार उत्तम हैं, अरिहंत परमेष्ठी लोक में उत्तम हैं, सिद्ध परमेष्ठी लोक में उत्तम हैं, आचार्य उपाध्याय साधु परमेष्ठी लोक में उत्तम हैं एवं केवलिभगवान के द्वारा बताया गय धर्म लोक में उत्तम हैं।
प्रश्न 24- चत्तारि सरणं पव्वञ्जामि - का अर्थ बताइये?
उत्तर- मैं चार की शरण जाता हूं अरिहंत की शरण जाता हूं, सिद्ध की शरण् जाता हूं, आचार्य उपाध्याय साधु की शरण जाता हूं केवली भगवान के द्वारा बताये गये धर्म की शरण जाता हूं।
प्रश्न 25 - आचार्य उपाध्याय और साधु इन तीन परमेष्ठियों को एक शब्द में क्या कहते हैं?
उत्तर- आचार्य उपाध्याय और साधु इन तीनों को साहू (साधू) कहा जाता है।
प्रश्न 26 - पंच परमेष्ठियों में देव और गुरू कौन-कौन है?
उत्तर- पंच परमेष्ठियों में अरिहंत सिद्ध देव हैं, आचार्य, उपाध्याय और साधू गुरू हैं।
प्रश्न 27 - णमोकार मंत्र को सुनकर प्राप्त करने वाले किन्हीं तीन जीवों के नाम बताइये।
उत्तर- कुत्ता, नाम युगल, तथा बैल।
प्रश्न 28 - जीवों को णमोकार मंत्र सुनाने वाले ख्याति प्राप्त किन्हीं तीन महानुभावों के नाम बताइये।
उत्तर- जीवंधर स्वामी, भगवान पाश्र्वनाथ एवं भगवान राम।
प्रश्न 29 - राम भगवान कैसे हैं?
उत्तर- जितने मोक्षगामी जीव हैं सभी को भगवान संज्ञा है। राम भी कर्मों का नाश करके मांगीतुंगी से मोक्ष गये हैं। अतः राम भी भगवान हैं।
प्रश्न 30 - णमोकार मंत्र बैंक वर्तमान में कहां है और इसके संस्थापक का नाम क्या है।
उत्तर- णमोकार मंत्र बैंक इस समय उत्तर प्रदेश राज्य में मेरठ जिले में अतिश्य क्षेत्र जम्बूद्वीप में हैं। इसकी संस्थापिका इस युग की प्रथम बाल सती आर्यिका शिरोमणि परम पूज्य गणिनी आर्यिका रत्न श्री ज्ञानमती माताजी हैं।
प्रश्न 31 - णमोकार मंत्र बैंक में क्या होता है?
उत्तर- णमोकार मंत्र बैंक में जो महानुभाव खाता खोलकर 1 वर्ष में सवालाख, पचास हजार, पच्चीस हजार मंत्र लिखकर जमा कराते हैं उन्हें हीरक पदक, स्वर्ण पदक तथा रजत पदक से सम्मानित किया जाता है।
प्रश्न 32 - ये सम्मान कब किया जाता है?
उत्तर- ये सम्मान परम गणिनी आर्यिका-रत्न श्री ज्ञानमती माताजी के प्रत्येक जन्म दिवस शरद पूर्णिमा जो अक्टूबर में आता है, दिया जाता है।
प्रश्न 33 - वर्तमान में णमोकार मंत्र बाबा के नाम से कौन-से साधु प्रसिद्धि को प्राप्त हुए हैं?
उत्तर- वर्तमान में परम पूज्य आचार्य श्री कल्याण सागरजी महाराज णमोकार मंत्र वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं।
प्रश्न 34 - भगवान पाश्र्वनाथ ने किसको णमोकार मंत्र सुनाया था?
उत्तर- भगवान पाश्र्वनाथ ने जलते हुए नाग-नागिन को णमोकार मंत्र सुनाया था।
प्रश्न 35 - नाग-युगल ने णमोकार मंत्र सुनकर क्या फल प्राप्त किया?
उत्तर- नाग-युगल णमोकार मंत्र सुनकर पातालाधिपति व्यंतरेन्द्र पद्मावती-धरणेन्द्र हो गये। जहां उन्होंने सम्यक्दर्शन को धारण किया।
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प्रश्न 36 - मरते हुए कुत्ते को णमोकार मंत्र किसने सुनाया था?
उत्तर- मरते हुए कुत्ते को णमोकार मंत्र राजकुमार जीवंधर स्वामी ने सुनाया था।
प्रश्न 37 - कुत्ते ने णमोकार मंत्र सुनकर क्या फल प्राप्त किया?
उत्तर- णमोकार मंत्र सुनकर कुत्ता सुदर्शन नाम का यक्षेन्द्र देव हो गया।
प्रश्न 38 - मरते हुए बैल को णमोकार मंत्र किसने सुनाया?
उत्तर- मरते हुए बैल को णमोकार मंत्र राम ने सुनाया था।
प्रश्न 39 - बैल ने णमोकार मंत्र को सुनकर क्या फल प्राप्त किया?
उत्तर- बैल का जीव ही सुग्रीव हुआ।
प्रश्न 40 - अंजन चोर ने णमोकार मंत्र का क्या फल प्राप्त किया?
उत्तर- जिनदत्त सेठ से प्राप्त णमोकार को परोक्ष में प्राप्त करके बतायी विधि से जिनदत्त सेठ के वचनों के प्रमाणित मानकर आकाशगामी विद्या को प्राप्त किया तथा कर्मों का नाश करके मोक्ष को प्राप्त हुआ।
प्रश्न 41 - णमोकार मंत्र का अपमान किसने किया था?
उत्तर- णमोकार मंत्र का अपमान हस्तिनापुर के चक्रवर्ती राजा सुभौम ने किया था।
प्रश्न 42 - चक्रवर्ती सुभौम ने णमोकार मंत्र का अपमान क्यों किया?
उत्तर- अपने प्राण बचाने के लिए सुभौम चक्रवर्ती ने णमोकार मंत्र का अपमान किया।
प्रश्न 43 - णमोकार मंत्र की प्रसिद्ध हिन्दी पूजा रचयिता का नाम बताइये।
उत्तर- णमोकार मंत्र की हिन्दी पूजा रचयित्री का नाम परम पूज्य गणिनी आर्यिका रत्न श्री ज्ञानमती माताजी है।
प्रश्न 44 - सुभौम चक्रवर्ती ने णमोकार मंत्र का अपमान किस प्रकार किया?
उत्तर- सुभौम चक्रवर्ती ने णमोकार मंत्र को लिखकर उसके ऊपर पैर रखकर णमोकार मंत्र का अपमान किया।
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प्रश्न 45 - णमोकार के अपमान का चक्रवर्ती को क्या फल मिला?
उत्तर- व्यंतर देव ने चक्रवर्ती को लवण समुद्र में डुबा दिया जिससे चक्रवर्ती मरकर सातवें नरक चला गया।
प्रश्न 46 - तीन कम नौ करोड़ मुनिराजों की गणना किस अपेक्षा से है?
उत्तर- यह गणना 14 गुणस्थानों की अपेक्षा से हैं
प्रश्न 47 - तीन कम नौ करोड़ मुनिराजों में कौन-कौन से परमेष्ठी आते हैं?
उत्तर- तीन कम नौ करौड़ मुनिराजाअें में अरिहंत आचार्य, उपध्याय और साधु ये चार परमेष्ठी आते हैं।
प्रश्न 48 - णमोकार मंत्र के नाम से कौन सा व्रत किया जाता है?
उत्तर- णमोकार मंत्र के नाम से णमोकार पैंतीसी का व्रत किया जाता है क्योकि णमोकार मंत्र में 35 अक्षरी होते हैं।
इसमें एक अक्षर का एक उपवास इस प्रकार कुल 35 उपवास किया जाते हैं।
प्रश्न 49 - इस व्रत में कैान-सी तिथि के कितने उपवास किये जाते हैं?
उत्तर- इस व्रत में पंचमी के पांच, सप्तमी के सात, नवमी के नौ तथा चैदस के चैदह उपवास किये जाते हैं।
प्रश्न 50 - ये व्रत कब प्रारम्भ किया जाता है?
उत्तर- यं व्रत किसी भी मास की पंचमी, सप्तमी, नवमी या चैदस को प्रारम्भ किया जा सकता है।
प्रश्न 51 - इस व्रत में उपवास के समय क्या किया जाता है?
उत्तर- इस व्रत में उपवास के दिन भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक करके णमोकार मंत्र का पूजन तथा जाप करना चाहिए।
प्रश्न 52 - इस व्रत में कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
उत्तर- इस व्रत में णमोकार मंत्र के निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए- ऊँ ह्मां णमो अरिहंताणं, ऊँ ह्मीं णमो सिद्धाणं, ऊँ ह्मूं णमो आयरियाणं, ऊँ ह्मौं उवज्झायाणं, ऊँ ह्मः णमो लोएसव्वसाहूणं।
प्रश्न 53 - इस व्रत का उद्यापन किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर- इस व्रत के उद्यापन में पंच परमेष्ठी विधान करके मंदिर में 35 प्रकार के 35-35 या इतना सम्भव नहीं हो सके तो 35 वस्तुएं मंदिर में दान देना चाहिए।
प्रश्न 54 - णमोंकार मंत्र के पांचों पदों में कितने अक्षर हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र में पांचों पदों में पैंतीस अक्षर हैं।
प्रश्न 55 - प्रथम पद मणे अरिहंताणं में कितने अक्षर है?ं
उत्तर- द्वितीय पद णमो सिद्धांणं में 7 अक्षर अक्षर हैं।
प्रश्न 56 - द्वितीय पद णमो सिद्धाणं में कितने अक्षर हैं?
उत्तर- द्वितीय पद णमो सिद्धाणं में 5 अक्षर हैं।
प्रश्न 57 - तृतीय पद णमो आयरियाणं में कितने अक्षर है?
उत्तर- तृतीय पद णमो आयरियाणं में सात अक्षर हघ्ैं।
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प्रश्न 58 - चैथे पद णमो उवज्झायाणं में कितने अक्षर हैं?
उत्तर- चैथे पद उवज्झायाणं में सात अक्षर हैं।
प्रश्न 59 - पांचवे पद णमो लोए सव्वसाहूणं में कितने अक्षर हैं?
उत्तर- पांचवें पद णमो लोए सव्वसाहूणं में नौ अक्षर हैं।
प्रश्न 60 - णमोकार मंत्र को आर्या छन्दमें किस प्रकार पढ़ेंगे?
उत्तर- णमोकार मंत्र को आर्याछन्द में निम्न प्रकार चार चरणों में पढ़ेंगे-
णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं।
णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।
प्रश्न 61 - आर्याछन्द के अनुसार णमोकार मंत्र के चारों चरणों में कितनी मात्रायें होती हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र के चारों चरणों में सत्तावन मात्रायें होती हैं।
प्रश्न 62 - णमोकार मंत्र के प्रथम चरण णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं में कितनी मात्रायेंह ैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र के उपरोक्त प्रथम चरण में बारह मात्रायें हैं।
प्रश्न 63 - णमोकार मंत्र के द्वितीय चरण णमो आयरियाणं में कितनी मात्रायें हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र के उपरोक्त द्वितीय चरण में पन्द्रह मात्रायें हैं।
प्रश्न 64 - णमोकार मंत्र के तृतीय चरण मणे उवज्झायाणं में कितनी मात्रायेंह ैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र के उपरोक्त तृतीय चरण में बारह मात्रायें हैं।
प्रश्न 65 - णमोकार मंत्र के पैंतीस अक्षरों को गिनाइये।
उत्तर- णमोकार मंत्र के 35 अक्षर निम्न प्रकार हैं-
1. ण 2. मो 3. अ 4. रि 5. हं 6. ता 7. ण्पं 8. ण 9. मो 10 सि 11. द्धा 12. णं 13. ण 14 मो 15 आ 16. य 17. रि 18 या 19. णं 20. ण 21 मो 22. उ 23. व 24. ज्झा 25. या 26. णं 27. ण 28. मो 29. लो 30. ए 31. स 32. व्व 33. सा 34. हू 35. णं
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प्रश्न 66n> आचार्य श्री उमास्वामी महाराज ने।
प्रश्न 67 - णमोकार मंत्र के अन्य स्तोत्र का नाम बताइये।
उत्तर- णमोकार मंत्र के अन्य स्तोत्र का नाम है वज्र पंजर स्तोत्र।
प्रश्न 68 - णमोकार मंत्र नवग्रह अरिष्ट निवारक किस प्रकार है?
उत्तर- णमोकार मंत्र के पांचों पद मिलकर नवग्रह अरिष्ट का नाश करते हैं।
प्रश्न 69 - नवग्रह क्या हैं?
उत्तर- ज्योतिषी देवों के नो विमानों को नवग्रह कहा है।
प्रश्न 70 - वे नवग्रह कौन-कौन से हैं?
उत्तर- 1 - सूर्य
2 - चन्द्र
3 - मंगल,
4 - बुध
5 - गुरू
6 - शुक्र
7 - शनि
8 - राहू
9 - केतू
प्रश्न 71 - णमोकार मंत्र में सूर्य ग्रह अरिष्ट निवारण का मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो सिद्धांण रवि ग्रह अरिष्ट निवारण कुरू-कुरू स्वाहा।
प्रश्न 72 - णमोकार मंत्र में से चन्द्रग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो अरिहंताण मम चन्द्र अरिष्ट निवरण कुरू-कुरू स्वाहा।
प्रश्न 73 - णमोकार मंत्र में से मंगल ग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो सिद्धांणं मम मंगलग्रह अरिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।
प्रश्न 74 - णमोकार मंत्र में से बुघ ग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो उवज्झायाणं मम बुध ग्रह अरिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।
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प्रश्न 75 - णमोकार मंत्र में से गुरू ग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो आयरियाणं मम गुरू ग्रह अरष्टि निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।
प्रश्न 76 - णमोकार मंत्र में से शुक्र ग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो अरिहंताणं मम शुक्र ग्रह अरिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।
प्रश्न 77 - णमोकार मंत्र में से शनि ग्रह निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो लोए सव्वासाहूणं मम शनि ग्रह अरिष्ट निवारणं कुरू कुरू ह्मीं नमः।
प्रश्न 78 - णमोकार मंत्र में से राहू ग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो लोए सव्वसाहूणं मम राहु ग्रह अरिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।
प्रश्न 79 - णमोकार मंत्र का केतु ग्रह अरिष्ट निवारक मंत्र बताइये।
उत्तर- ऊँ ह्मीं णमो लोए सव्वसाहूणं मम केतु ग्रह अरिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।
प्रश्न 80 - अरिहंत परमेष्ठी कौन-कौन से ग्रहों का अरिष्ट निवारण करते हैं?
उत्तर- वैसे तो पांचों परमेष्ठी समस्त नौ ग्रहों का अरिष्ट निवारण करने में असमर्थ हैं। फिर भी अरिहंत परमेष्ठी चन्द्र एवं शुक्र ग्रह के अरिष्ट का नाश करते हैं।
प्रश्न 81 - सिद्ध परमेष्ठी कौन-से ग्रह का अरिष्ट निवारण करते हैं?
उत्तर- सिद्ध परमेष्ठी सूर्य एवं मंगल गृह के अरिष्ट का नाश करते हैं।
प्रश्न 82 - आचार्य परमेष्ठी कौन-से ग्रह का अरिष्ट नाश करते हैं?
उत्तर- आचार्य परमेष्ठी गुरू ग्रह का अरिष्ट नाश करते हैं।
प्रश्न 83 - उपाध्याय परमेष्ठी कौन-से ग्रह का अरिष्ट नाश करते हैं?
उत्तर- उपाध्याय परमेष्ठी बुध ग्रह का अरिष्ट नाश करते हैं।
प्रश्न 84 - साधु परमेष्ठी कौन-से ग्रह का अरिष्ट नाश करते हैं?
उत्तर- साधु परमेष्ठी शनि, राहु एवं केतु इन तीन ग्रहों के अरिष्ट का नाश करते हैं।
प्रश्न 85 - सूर्य ग्रह अरिष्ट निवारण के कितनी जाज्यें की जाती हैं?
उत्तर- सूर्य ग्रह अरिष्ट निवारण के लिए 10,000 जाप्य मंत्र, 100 माला करना चाहिए।
प्रश्न 86 - चन्द्रग्रह अरिष्ट निवारण के लिए कितनी जाज्यें करना चाहिए?
उत्तर- चन्द्र ग्रह निवारण के लिए 10,000 जाप्यें 100 माला करना चाहिए।
प्रश्न 87 - बुध ग्रह अरिष्ट निवारण एवं अन्य ग्रहों के अरिष्ट निवारण के लिए कितनी माला करना चाहिए?
उत्तर- प्रत्येक ग्रह अरिष्ट निवारण के लिए कम से कम दस हजार अधि से अधिक सवा लाख जाप्य मंत्र अर्थात 1250 मालाएं करना चाहिए। मालाएं पूर्ण होने दश मांश 1/10 पाज्य मंत्रों की हवनपूर्वक पूर्ण आहुति देना चाहिए।
प्रश्न 88 - णमोकार मंत्र में कितनी मात्रायें होती हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र में 58 मात्रायें होती हैं।
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प्रश्न 89 - णमोकार मंत्र में 58 मात्राएं किस प्रकार हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र के प्रथम पद में ग्यारह मात्रायें, द्वितीय पद में आठ, तृतीय पद में ग्यारह, चतुर्थ पद में बारह , एवं पंचम पद में सोलह कुल मिलाकर (11$8$11$12$16 = 58) मात्रायें हुई।
प्रश्न 90 - णमोकार मंत्र के प्रथम पद की मात्राओं को गिनाइये।
उत्तर-
णमो अरिहंताणं
।ऽ ।।ऽऽऽ कुल ग्यारह मात्रायें
प्रश्न 91 - णमोकार मंत्र के द्वितीय पद की मात्राओं को गिनइये।
उत्तर- ।ऽ ।।ऽ ऽ कुल आठ मात्रायें
प्रश्न 92 - णमोकार मंत्र के तृतीय पद की मात्राओं को गिनाइये।
उत्तर-
णमो आयरियाणं
।ऽ ऽ।।ऽऽ कुल ग्यारह मात्रायें
प्रश्न 93 - णमोकार मंत्र के चैथे पद की मात्राओं को गिनाइये।
उत्तर-
णमो उवज्झायाणं
।ऽ ।।ऽ ऽ ऽ कुल बारह मात्रायें
प्रश्न 94 - णमोकार मंत्र के पांचवें पद की मात्राओं को गिनाइये।
उत्तर-
णमो लोए सव्व साहूणं
।ऽ ऽ ऽ ऽ।।ऽ ऽ ऽ कुल सोलह मात्रायें
प्रश्न 95 - णमोकार मंत्र में कितने स्वर तथा कितने व्यंजन हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र में 34 स्वर तथा 30 व्यंजन हैं। कुछ चैसठ वर्ण हैं।
प्रश्न 96 - णमोकार मंत्र की ज्ञान के रूप में क्या विशेषता है?
उत्तर- णमोकार मंत्र में सम्पूर्ण द्वादशांग श्रुत समाहित माना गया है।
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प्रश्न 97 - णमोकार मंत्र में द्वादशांग किस प्रकार समाहित हैं?
उत्तर- णमोकार मंत्र के चैसठ वर्णों को अलग-अलग लिखकर प्रत्येक के ऊपर दो का अंक रखकर गुणा करने से प्राप्त हुई संख्या में एक घटाने से द्वादशांग के श्रुत अक्षर प्राप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 98 - द्वादशांग के अक्षरों की संख्या बताइये।
उत्तर- संख्या इस प्रकार हैं-
18446744073709551615।
प्रश्न 99 - वर्तमान में णमोकार मंत्र के प्रभाव से व्यंतर बाधाओं को कौन-से मुनिराज दूर कर रहे हैं?
उत्तर- परम पूज्य वालाचार्य श्री योगीन्द्र सागरजी महाराज।
प्रश्न 100 - उन्हें ये सिद्धी कहां से प्राप्त हुई?
उत्तर- अतिशय क्षेत्र चांदखेडी में भगवान श्री आदिनाथ की अतिशययुक्त प्रतिमा दर्शन करने से।
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