Wednesday, 7 October 2015

।। कुलकर, त्रेसठ शलाका पुरूष तथा अन्य पुण्य पुरूष ।। प्रश्न 1 - त्रेसठ शलाका के पुरूष कौन से काल में होते है? उत्तर - चतुर्थ काल में। प्रश्न 2 - चतुर्थ काल में प्रवर्तन कहां होता है? उत्तर - ढाई द्वीप की 170 कर्मभूमियों में से 160 विदेह क्षेत्र में सदा चतुर्थ काल रहता है। पांच भरत पांच ऐरावत क्षेत्रों में प्रथम से छठे काल के क्रम से चतुर्थ काल आता है। प्रश्न 3 - चैदह कुलकारों के नाम बताइये? उत्तर - (1) श्री प्रतिश्रुति (2) श्री सनमति (3) क्षेमंकर (4) सीमंकर (5) सीमंकर (6) सीमंधर (7) विमल वाहन (8) चक्षुमान (9) यशस्वी (10) अभिचन्द्र (11) चन्द्रप्रभ (12) मरूदेव (13) प्रसेनजित (14) नाभिराजा। प्रश्न 4 - कुलकरों की पत्नियों के नाम बताओ? उत्तर - (1) स्वयंप्रभा (2) यशस्वी (3) सुनंदा (4) विमला (5) मनोहरी (6) यशोधरा (7) सुमति (8) धारिणी (9) कांतमाला (10) श्री मती (11) प्रभावती (12) सत्या (13) अभितमति (14) मरूदेवी प्रश्न 5 - किसी कुलकर ने प्रजा के लिए क्या किया? उत्तर - 1 - पहले कुलकर ने सूर्य चन्द्रोदय से भय मिटाया। 2 - दूसरे कुलकर ने अंधकार तथा तारागण से भय मिटाया। 3 - तीसरे कुलकर ने हिंसक जन्तुओं की संगति त्याग करने का उपदेश दिया। 4 - चैथे कुलकर ने हिंसक जन्तुओं से रक्षण के उपाय बताये। 5 - पांचवे कुलकर ने कल्पवृक्ष की सीमायें बताई। 6 - छठवें कुलकर ने गुच्छादि चिन्हित सीमायें बताई। 7 - सातवें कुलकर ने हाथी आदि की सवारी का उपदेश दिया। 8 - आठवें कुलकर ने बालक के मुखदर्शन का उपदेश दिया। 9 - नौवें कुलकर ने बालक के नामकरण करने का उपदेश दिया। 10 - दसवें कुलकर ने शिशु रोदन निवारण चन्द्रादि दर्शन का उपदेश दिया। 11 - ग्यारवें कुलकर ने शीत आदि से रक्षा के उपाय बताये। 12 - बारहवें कुलकर ने नाव आदि द्वारा गमन करने का उपदेश दिया। 13 - तेरहवें कुलकर ने जरायुपटल को हटाने का उपदेश दिया। 14 - चैदहवें कुलकर ने नाभिनाल कर्तन का उपदेश दिया। प्रश्न 6 - क्या कुलकर 63 शलाका के पुरूषों में आते हैं? उत्तर - कुलकर त्रेषठ शलाका के पुरूषों में आते हैं। प्रश्न 7 - कुलकरों की उत्पत्ति कब होती है? उत्तर - तीसरा काल सुखमा-दुखमा नाम से आता है उसके समाप्त होने में जब पल्य का आठवा भाग शेष रह जाता है तब कुलकरों की उत्पत्ति प्रारम्भ होती है। प्रश्न 8 - क्या कुलकर मोक्ष जाते हैं? उत्तर - नहीं कोई कुलकर मोक्ष नहीं जाते हैं। प्रश्न 9 - कुलकर मोक्ष क्यों नहीं जाते है? उत्तर - क्योंकि कुलकर के समय में युगलिया जीव उत्पन्न होते हैं और विवाह पद्धति नहीं होती है। इसलिए कुलकर मोक्ष नहीं जाते हैं। प्रश्न 10 - त्रेसठ शलाका के पुरूषों में कौन से जीव आते हैं? उत्तर - 24. तीर्थंकर, 12. चक्रवर्ती, 9 नारायण, प्रतिनारायण, 9. बलभद्र ये शलाका के पुरूष होते हैं। प्रश्न 11 - जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र के वर्तमान काल के 12 चक्रवतियों का नाम बताइये? उत्तर - जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र के वर्तमान काल के 2 चक्रवर्तियों के नाम निम्न प्रकार हैं- 1 - भरत 2 - सगर 3 - मधवा 4 - सनत्कुमार 5 - शांतिनाथ 6 - कुंथुनाथ jain temple179 7 - अरहनाथ 8 - सुभौम 9 - पद्म 10 - हरिषेण 11 - जय सेन 12 - ब्रह्मदत्त। प्रश्न 12 - नारायण के नाम बताइये? उत्तर - 1. त्रिपृष्ठ 2. द्वयपृष्ठ 3. स्वयंभू 4. पुरूषोत्तम 5. पुरूष-सिंह 6. पुरूष 7. दत्त 8. नारायण 9. श्री कृष्ण। प्रश्न 13 - प्रतिनारायण के नाम बताइये? उत्तर - 1. अश्वग्रीव 2. तारक 3. मेरक 4. मधुकैटभ 5. निसुम्भ 6. बलि 7. प्रहरण 8 रावण 9. जरासंघ। प्रश्न 14 - बारह चक्रवर्तियों में कितने चक्रवर्ती हस्तिनापुर में हुए हैं? उत्तर - पांच चक्रवर्ती। प्रश्न 15 - हस्तिनापुर में हुए पांच चक्रवर्तियों के नाम बताइये? उत्तर - सनत्कुमार, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ, एवं सुभौम चक्रवर्ती। प्रश्न 16 - कौन-कौन से चक्रवर्ती कौन से नरक में गये हैं? उत्तर - सुभौम तथा ब्रहम्दत्त चक्रवर्ती सातवें नरक में गये हैं। प्रश्न 17 - कौन से चक्रवर्ती स्वर्गों में गये है? उत्तर - मधवा तथा सानत्कुमार चक्रवर्ती कल्पवासी स्वर्गों में गये है। jain temple180 प्रश्न 18 - कितने चक्रवर्ती मोक्ष गये है? उत्तर - आठ चक्रवर्ती मोक्ष गये है। प्रश्न 19 - कौन-कौन से चक्रवर्ती मोक्ष गये हैं? उत्तर - भरत, सगर, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ, पद्म, हरिषेण व जयसेन ये चक्रवर्ती मोक्ष गये हैं। प्रश्न 20 - कौन से चक्रवर्ती के आठा हजार पुत्र थे? उत्तर - सगर चक्रवर्ती के साठ हजार पुत्र थे प्रश्न 21 - सगर चक्रवर्ती के साथ हजार पुत्र एक साथ क्यों जल गये थे? उत्तर - मुनि निंदा कर कर्म उदय में आ जाने के कारण से। प्रश्न 22 - ढाई द्वीपों में होने वाले त्रेसठ शलाका के पुरूषों की संख्या कितनी है? उत्तर - ढाई द्वीपों में 170 कर्मभूमियों में 63 शलाका के पुरूष होते हैं। अतः उनकी संख्या 63 गुण 170 = 10710 पुरूष। प्रश्न 23 - चैदह कुलकर ढाई द्वीप में कहां-कहां होते हैं? उत्तर - पांच भरत, पांच ऐरावत क्षेत्रों में तृतीय काल के अंत में कुलकर होते हैं। प्रश्न 24 - जम्बूद्वीप, धातकी खंड तथा पुरकरवर द्वीप के हेमवत तथा हैरणयवत क्षेत्रों में तृतीय काल रहता है वहां कुलकर क्यों नहीं होते हैं? उत्तर - क्योंकि वहां काल परिवर्तन नहीं होते हैं। प्रश्न 25 - नारायण का दूसरा नाम क्या है? उत्तर - नारायण का दूसरे नाम विष्णु है। प्रश्न 26 - प्रतिनारायण का दूसरा नाम क्या है? उत्तर - प्रतिनारायण को प्रतिविष्णु भी कहते है तथा इन्हें त्रिखंडी भी कहते हैं। प्रश्न 27 - प्रति नारायण कौन होते हैं? उत्तर - जो कर्मभूमि के विजयार्ध के नीचे के तीन खंडों- 1. आर्यखंड, 2. मलेच्छ खंडों को जीतते हैं वे त्रिखंडी, प्रतिनारायण या प्रतिविष्णु कहलाते हैं। प्रश्न 28 - नारायण कौन होते हैं? उत्तर - जो त्रिखंडी प्रतिनारायण को जीतते हैं तथा प्रतिनारायण के चक्र से उनहीं को मार देते हैं वे नारायण या विष्णु कहलाते हैं। प्रश्न 29 - नारायण व प्रतिनाराण का नियोग बताइये? उत्तर - पहले, प्रतिनारायण अपने चक्र रत्न से तीनों खंडो को जीतता है। पुनः नारायण से उसका युद्ध होता है, युद्ध में प्रतिनारायण के ऊपर अपना चक्र चलाते हैं, वह चक्र नारायण की परिक्रमा करनके उनके हाथ में आ जाते हैं। उसी चक्ररत्न को नारायण प्रतिनारायण के ऊपर चला देते हैं। जिससे प्रतिनारायण का घात हो जाता है तथा प्रतिनारायण मर कर नरक में चले जाते हैं। प्रश्न 30 - नारायण मरकर कहां उत्पन्न होते हैं? उत्तर - नारायण मर कर नरक में उत्पन्न होते हैं। प्रश्न 31 - श्री मुनिसुव्रत स्वामी के शासन में होने वलो नारायण एवं प्रति नारायण का नाम बताओ? उत्तर - श्री मुनिसुव्रत भगवान के शासन काल में रावण नाम के प्रतिनारायण एवं लक्ष्मण नाम के नारायण हुए थे। प्रश्न 32 - रावण का वध किसने किया था? उत्तर - लक्ष्मण ने। प्रश्न 33 - श्री नेमिनाथ भगवान के शासन काल में कौन से नारायण तथा कौन से प्रतिनारायण हुए? उत्तर - श्री नेमिनाथ भगवान के शासन काल में श्री कृष्ण नाम के नारायण, जरासंघ नाम के प्रतिनारायण हुए हैं। प्रश्न 34 - बलभद्र कौन होते हैं? उत्तर - नारायण के बड़े भाई बलभद्र होते हैं। प्रश्न 35 - बलभद्र मरकर कहां उत्पन्न होते हैं? उत्तर - बलभ्रद मोक्ष और स्वर्ग में जाते हैं। प्रश्न 36 - नौ बलभद्रों के नाम बताओ? उत्तर - 1. चितय 2. अचल, 3. धर्म 4. सुप्रभ 5. सुदर्शन 6. नंदी, 7. नदिंमित्र 8. राम और 9. बलभद्र। प्रश्न 37 - श्री मुनिसुव्रत नाथ भगवान एवं नेमिनाथ तीर्थंकर के शासन काल में कौन से बलभद्र हुए हैं? उत्तर - राम एवं पद्म। प्रश्न 38 - रूद्र कितने होते हैं? उत्तर - रूद्र ग्यारह होते हैं। प्रश्न 39 - ग्यारह रूद्रों के नाम बताओ? jain temple180 उत्तर - 1 - भीमावली 2 - जितशत्रु 3 - रूद्र 4 - वैश्रवानर 5 - सुप्रतिष्ठ 6 - अचल 7 - पुंडरीक 8 - अजितधर 9 - अजितनाभि 10 - पीठ 11 - सात्यिक पुत्र प्रश्न 40 - कौन से रूद्र, कौन से तीर्थंकर के काल में हुए? उत्तर - इस प्रश्न का उत्तर निम्न हैं- तीर्थंकर रूद्र श्री आदिनाथ जी - भीमावली श्री अजितनाथ जी - जितशत्रु श्री पुष्पदंत जी - रूद्र श्री शीतल नाथ जी - वैश्रवानर श्री श्रेयांसनाथ जी - सुप्रतिष्ठ श्री वासुपूज्य जी - अचल श्री विमलानाथ जी - पुंडरीक श्री अनंतनाथ जी - अजितधर श्री धर्मनाथ जी - अजितनाभि श्री शांतिनाथ जी - पीठ श्री महावीर जी - सात्यिकी पुत्र प्रश्न 41 - रूद्रों की क्या गति होती हैं? उत्तर - सब रूद्र दसवें पूर्व का अध्ययन करते समय विषयों के निमित्त से तप से भ्रष्ट होकर मिथयात्व को धारण करते हुए नरकों में चले जाते हैं। प्रश्न 42 - नारद कितने होते हैं? उत्तर - नारद नौ होते हैं। प्रश्न 43 - नौ नारदों के नाम बताओ। उत्तर - 1. भीम 2. महाभीम 3. रूद्र 4. महारूद्र 5. काल 6. महाकाल 7. दुर्मुख 8. नरमुख 9. अधोमुख प्रश्न 44 - नारदों की क्या गति होती हैं? उत्तर - सभी नारद अति रूद्र होते हुए दूसरों को रूलाया करते हैं, वे पाप के निधान कलह प्रिय युद्ध प्रिय होने से नकर जाते हैं। प्रश्न 45 - कामदेव किन्हें कहते हैं। उत्तर - उस समय के मुनष्यों में जो सबसे सुन्दर आकृति के धारक होते हैं। वे कामदेव कहलाते हैं। प्रश्न 46 - कामदेव कितने होते हैं? उत्तर - कामदेव चैबीस होते हैं? प्रश्न 47 - कामदेवों के नाम बताओं? उत्तर - 1. श्री बाहुबली 2. अमित तेज 3. श्री धर 4 यशोभ्रद्र 5. प्रसेनजित 6 चन्द्रवर्ण 7. अग्निमुक्त 8 सनत्कुमार 9 वत्सराज 10 कनकप्रभ 11 सिद्धवर्ण 12 शांतिनाथ 13 कुंथुनाथ 14 अरहनाथ 15 विजयराज 16 श्रीचन्द 17 राजानल 18 हनुमान 19 बलगंज 20 वसुदेव 21 प्रद्युम्न 22 नागकुमार 23 श्रीपाल 24 जम्बूस्वामी। प्रश्न 48 - महापुरूषों के मोक्ष जाने के विषय में क्या नियम हैं? उत्तर - तीर्थंकर, उनके माता-पिता, चक्रवर्ती, बलदेव, नारायण, रूद्र, नारद, कामदेव, कुलकर ये सभी भव्य होते हुए नियम से सिद्ध होते है तीर्थंकर तो उसी भव से सिद्ध होते हैं। अन्यों के लिए उसी भव का नियम नहीं हैं। प्रश्न 49 - उपरोक्त महापुरूष कुल कितने हैं? उत्तर - इसका उत्तर निम्न हैं- तीर्थंकर - 24 तीर्थंकर की माता - 24 तीर्थंकर की पिता - 24 चक्रवर्ती - 12 बलदेव - 9 नारायण - 9 प्रतिनारायण - 9 रूद्र - 11 नारद - 9 कामदेव - 24 कुलकर - 24 169 कुल
।। ढाई द्वीप के विद्यमान बीस तीर्थंकर ।। प्रश्न 1 - विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - विदेह क्षेत्रा में बीस तीर्थंकर होते हैं। उनके नाम निम्न प्रकार हैं- (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) श्री बाहु जी (4) श्री सुबाहु जी (5) श्री संजातक जी (6) श्री स्वयंप्रभ जी (7) श्री ऋषभभानजी (8) श्री अनंतवीर्य जी (9) श्री सूरप्रभ जी (10) श्री विशाल कीर्ति जी (11) श्री वज्रधर जी (12) श्री चन्द्रानन जी (13) श्री चन्द्रबाहु जी (14) श्री भुजंगमजी (15) श्री ईश्वर जी (16) श्री नेमिप्रभ जी (17) श्री वीरसेन जी (18) श्री महाभद्र जी (19) श्री देवयश जी एव (20) श्री अजितवीर्य जी। प्रश्न 2 - इन्हंे विद्यमान बीस तीर्थंकर क्यों कहा जाता है? उत्तर - इन्हें विद्यमान बीस तीर्थंकर इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इन नामों वाले तीर्थंकर बीस ही होते हैं तथा कम से कम बीस हमेशा विद्यमान रहते हैं। प्रश्न 3 - तो क्या ये तीर्थंकर मोक्ष नहीं जाते हैं? उत्तर - ये तीर्थंकर मोक्ष तो अवश्य ही जाते हैं किंतु एक तीर्थंकर के मोक्ष जाने के तुरंत बाद उसी नाम के दूसरे तीर्थंकर का उद्भव हो जाता है। इस प्रकार इनका कभी अभाव नहीं होता। प्रश्न 4 - ये तीर्थंकर कहां होते हैं? उत्तर - विदेह क्षेत्रों में। प्रश्न 5 - विदेह क्षेत्र की नाम की सार्थकता क्या है? उत्तर - विदेह का अर्थ, विगत् देहाः अर्थात निकल गई देह जिसमें से वह विदेह हुआ। विदेह क्षेत्रों में चतुर्थ काल (कर्मभूमि) सदा प्रर्वतमान रहता है। उतएव वहां से मुनष्य कर्मों का नाश करके विदेह अर्थात मोक्ष जाते हैं। प्रश्न 6 - विदेह क्षेत्र कहां-कहां हैं और कितने हैं उनका वर्गीकरण कैसे किया जाता है? उत्तर - ढाई द्वीप में पांच मेरू सम्बंधी पांच महाविदेह क्षेत्र कहलाते हैं। विदेह क्षेत्र प्रत्ये कमेरू के पूर्व और पश्चिम होने से दस हो जाते हैं। मेरू पर्वतों के पूर्व और पश्चिम सीता सीतोदा नदियों के बहने से उनके उत्तर-दक्षिण विदेह क्षेत्र होने से 20 विदेह क्षेत्र हो जाते हैं। प्रत्ये कमेरू से सम्बंधित सीता नदी के उत्तर में विदेह क्षेत्रों की आठ कर्म भूमियां हैं तथा दक्षिण में आठ इसी प्रकार सीतोदा नदी के दक्षिण में आठ तथा उत्तर में आठ कर्मभूमियां एक मेरू से सम्बन्धित 8 गुण 4 = 32 कर्म भूमियां इसीलिए पांच मेरू सम्बंधित 32 गुणा 5 = 190 विदेह क्षेत्र की कर्मभूमियां हुईं। प्रश्न 7 - ढाई द्वीप कौन-कौन से हैं? उत्तर - पहला जम्बूद्वीप दूसरा घातकी खंड एंव आधा पुष्करवर द्वीप। प्रश्न 8 - आधा पुष्करवर द्वीप क्यो? उत्तर - क्येंकि पुष्करवर द्वीप के आधे भाग में मानषोत्तर पर्वत पड़ा हुआ है। प्रश्न 9 - ढाई द्वीप में मेरू कहां-कहां है? उत्तर - जम्बूद्वीप के बीचो-बीच सुदर्शन मेरू है। धातकीखंड द्वीप के पूर्व में विजय मेरू तथा पश्चिम में अचल मेरू है। पुष्कर द्वीप के पूर्व में मन्दिर मेरू तथा पश्चिम में विद्युन्माली मेरू है। प्रश्न 10 - दूसरे द्वीप धातकी द्वीप को धातकी खंड द्वीप क्यों कहा जाता है? उत्तर - धातकी द्वीप के उत्तर व दक्षिण में दो इष्वाकार पर्वत हैं जौ पूरे धातकी द्वीप को पूर्वी धातकी द्वीप तथा पश्चिमी धातकी द्वीप ऐसे दो भागों में विभाजित कर देते हैं। इसीलिए इसे धातकी खंड द्वीप कहा जाता है। प्रश्न 11 - ढाई द्वीप में कितने आर्य खंड हैं? उत्तर - ढाई द्वीप के विदेह क्षेत्रों में 160 तथा पांच भरत, पांच ऐरावत के दस इस प्रकार के कुल 170 आर्य खंड होते हैं। प्रश्न 12 - ढाई द्वीप में एक समय में एक साथ कितने तीर्थंकर हो सकते हैं? उत्तर - कुल 170 तीर्थंकर। jain temple165 प्रश्न 13 - 170 तीर्थंकर कौन से तीर्थंकर के समय में हुए थे? उत्तर - भगवान श्री अजितनाथ के समय में। प्रश्न 14 - ढाई द्वीप में कितने मलेच्छ खंड होते हैं? उत्तर - 170 गुण 5 = 850 मलेच्छ खंड। प्रश्न 15 - विदेह क्षेत्रों में कितने मलेच्छ खंड होते हैं? उत्तर - 160 गुण 5 कुल 800 मलेच्छ खंड। प्रश्न 16 - जम्बूद्वीप में कितने विद्यमान तीर्थंकर होते हैं? और कौन-कौन से? उत्तर - (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) री बाहुजी एवं (4) श्री सुबाहु जी ये चार तीर्थंकर। प्रश्न 17 - विदेह क्षेत्र में सीमंधर स्वामी कहां होते हैं? उत्तर - सुदर्शन मेरू पर्वत के पूर्व में सीता नदी बहती है उसके उत्तर तट की ओर चार वक्षार से सम्बंधित आठ विजयार्ध पर्वत हैं उन्हीं आठ पर्वतों के दक्षिण में आठ आर्य खण्ड हैं उन आठ आर्य खंडों में से किसी एक आर्य खं डमें श्री सीमंधर भगवान होते हैं। प्रश्न 18 - कम से कम एवं अधिक से अधि कितने सीमंधर स्वामी हो सकते हैं? उत्तर - कम से कम ऐ आर्यखं डमें एक एवं अधिक से अधिक सभी 8 आर्यखंडों में 8 सीमंधर स्वामी हो सकते हैं। प्रश्न 19 - वर्तमान में सीमंधर स्वामी कहां विराजमान हैं? उत्तर - वर्तमान में सीमंधर स्वामी पुंडरीकिणीपुरी नगरी में विराजमान हैं। प्रश्न 20 - सीमांधर स्वामी के शरीर की अवगाहना कितनी है? उत्तर - पांच सौ धनुष (दो हजार हाथ)। प्रश्न 21 - श्री सीमंधर स्वामी के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री सीमंधर स्वामी के पिता का नाम श्रेयांस जी हैं। प्रश्न 22 - श्री सीमंधर स्वामी की माता का नाम बताइये। उत्तर - श्री सीमंधर स्वामी की माता का नाम सती है। प्रश्न 23 - श्री सीमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है? उत्तर - बैल है। प्रश्न 24 - विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों की विशेषता बताइये; उत्तर - विदेह क्षेत्रों में तीर्थंकरों के दो, तीन एवं पांच कल्याणक भी होते हैं। प्रश्न 25 - ऐसा क्यांे होता है? उत्तर - क्योंकि वहां सदा काल चतुर्थ काल रहता है। प्रश्न 26 - विदेह क्षेत्र में युगमंधर स्वमाी कहा हैं? उत्तर - जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू पर्वत के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तरफ आठ क्षेत्रों के आर्यखंडों में से किसी एक आर्यखण्ड में युगमंधर स्वामी होते हैं। प्रश्न 27 - युगमंधर स्वामी के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री दृणरथ जी। प्रश्न 28 - श्री युगमंधर स्वामी की माता का नाम बताइये। उत्तर - सुतारा देवी। jain temple165 प्रश्न 29 - श्री युगमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - श्री युगमंधर स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है। प्रश्न 30 - वर्तमान में श्री युगंधर स्वामी का समवसरण किसर नगरी में है? उत्तर - सुसीमा नगरी में। प्रश्न 31 - विदेह क्षेत्रों में सुबाहु स्वामी कहां होते हैं? उत्तर - जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू के पश्चिम में पश्चिम विदेह है वहां सीतोदा नदी बहती है उसके दक्षिण किनारे पर आठ अर्यखंड हैं वहा के आठ आर्यखंडों में से किसी एक में श्री बाहु स्वामी हैं। प्रश्न 32 - वर्तमान में श्री बाहुस्वामी कहां पर है? उत्तर - सुसीमा नगरी में। प्रश्न 33 - श्री बाहुस्वामी की माता का नाम बताइये। उत्तर - ज्ञात नहीं हैैं। प्रश्न 34 - श्री बाहुस्वामी के पिता का नाम बताइये। उत्तर - ज्ञान नहीं है। प्रश्न 35 - श्री बाहुस्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है? उत्तर - हिरण। प्रश्न 36 - विदेह क्षेत्र में सुबाहु स्वामी की स्थिति बताइये। उत्तर - जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरू के पश्चिम विदेह में सीतोदा नदी के उत्तर तट के आठ आर्य खंडों में से किसी एक अर्य खंडमें सुबाहु स्वामी होते हैं। प्रश्न 37 - वर्तमान के सुबाहु स्वामी कहां हैं? उत्तर - अयोध्या नगरी में। प्रश्न 38 - श्री सुबाहु स्वामी की माता का नाम बताइये। उत्तर - ज्ञात नहीं है। प्रश्न 39 - श्री सुबाहु स्वामी के पिता का नाम बताइये। उत्तर - ज्ञानती है। प्रश्न 40 - श्री सुबाहु स्वामी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है? उत्तर - बंदर। प्रश्न 41 - उन आठ देशों के नाम बातइये जिनमें श्री सीमंधर स्वामी पैदा होते हैं। उत्तर - (1) कच्छा, (2) सुकच्छा (3) महाकच्छा (4) कच्छाकावती (5) आवर्ता (6) लांगल आवर्ता (7) पुष्कला एवं (8 पुष्कलावती। प्रश्न 42 - उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें युगमंधर स्वामी जन्म लेते हैं? उत्तर - (1) वत्सा (2) सुवत्सा (3) महावत्सा (4) वत्सकावती (5) रम्या (6) सुरम्या (7) रमणीया (8) मंगलावती। प्रश्न 43 - उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें श्री बाहुस्वामी जन्म लेते हैं? उत्तर - (1) पद्मा (2) सुपद्मा (3) महापद्मा (4) पद्ाकावती (5) शंखा (6) नलिनीदेश (7) कुमुद (8) सरित देश। प्रश्न 44 - उन आठ देशों के नाम बताइये जिनमें सुबाहु स्वामी जन्म लेते हैं? उत्तर - (1) वप्रा (2) सुवप्रा (3) महावप्रा (4) वप्रकावती (5) गंधा (6) सुगंधा (7) गंधिला (8) गंधमलिनी। प्रश्न 45 - धातकी खंड में कितने विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं? उत्तर - धातकी खंड द्वीप में आठ विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं। प्रश्न 46 - धातकी खंड में जन्म लेने वाले आठ विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (3) श्री ऋषभाननजी (4) श्री अनंतवीर्य जी (5) श्री सूरिप्रभ जी (6) श्री विशाल कीर्ति (7) श्री वज्रधर जी (8) श्री चन्द्रानन जी। प्रश्न 47 - पूर्वी धातकी खंड में कितने विद्यमान तीर्थंकर जन्म लेते हैं? उत्तर - चार तीर्थंकर। jain temple165 प्रश्न 48 - पूर्वी धातकी खंड में जन्म लेने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये? उत्तर - (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (3) श्री ऋषभाननजी (4) श्री अनंतवीर्य जी प्रश्न 49 - पश्चिमी धातकी खंडमें जन्म लेने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री सूरिप्रभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति (3) श्री वज्रधर जी (4) श्री चन्द्रानन जी। प्रश्न 50 - श्री संजातक जी के जन्म लेने वाले क्षेत्र बताइये। उत्तर - श्री संजातक जी पूर्वी धातकी खंड में विजय मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तटपर जो कच्छा से पुष्कलावती तक आठ देक्ष हैं उनके आर्य खंडों की नगरियों में जन्म लेते हैं। प्रश्न 51 - वर्तमान में श्री संजातक जी का जन्म स्थान कहां है? उत्तर - अलकापुरी। प्रश्न 52 - श्री संजातक जी की माता का नाम बताइये। उत्तर - देवसेना। प्रश्न 53 - श्री संजातक जी के पिता कानाम बताइये। उत्तर - श्री देवसेन। प्रश्न 54 - श्री संजातक जी की प्रतिमा का चिन्ह क्या है? उत्तर - सूर्य प्रश्न 55 - श्री स्वयंप्रभू जी विदेह क्षेत्र में कहां जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी धातकी खंड के विजय मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट पर वत्सा से लेकर मंगलावती तक जो आठ देश हें उनके आठ आर्य खंडों में स्थित अयोध्या जैसी आठ नगरियों में स्वयंप्रभ जी जन्म लेते हैं। प्रश्न 56 - श्री स्वयंप्रभ जी की माता का नाम बताइये। उत्तर - सुमंगला। प्रश्न 57 - श्री स्वयंप्रभ जी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - चन्द्रमा। प्रश्न 58 - श्री स्वयंप्रभ जी वर्तमान में कहां विराजमान हैं? उत्तर - विजया नगरी में। प्रश्न 59 - श्री ऋषभानन जी विदेह क्षेत्रों में कहां जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी धातकी खंड में विजय मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिण तट पर पद्मा से सरित देश तक आठ देशों के आर्य खंडों विद्यमान अयोध्या के समान आठ नगरियों में ऋषभानन जी जन्म लेते हैं। प्रश्न 60 - श्री ऋषभानन जी की माता का नाम बताइये। उत्तर - वीरसेना। प्रश्न 61 - श्री द्धषभानन जी के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री नृपकीर्ति जी। प्रश्न 62 - श्री ऋषभाननजी की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - सिंह। प्रश्न 63 - वर्तमान में ऋषभनान जी का जन्म स्थान बताइये। उत्तर - सुसीमा नगरी। प्रश्न 64 - श्री अनंतवीर्य जी विदेह क्षेत्रों में कहां जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी धातकी खं डमें विजय मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर वप्रा से लेकर गंधमालिनी तक आठ देश हें उनके आठ आर्य खंडों में विद्यमान आठ नगरियों में श्री अनंतवीर्य जी जन्म लेते हैं। jain temple165 प्रश्न 65 - श्री अनंतवीर्य जी की माता का नाम बताइये। उत्तर - सुमंगला। प्रश्न 66 - श्री अनंतवीर्य जी के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री मेघरथ। प्रश्न 67 - श्री अनंतवीर्य की प्रतिमाका चिन्ह बताइये। उत्तर - हाथी। प्रश्न 68 - वर्तमान में अनंतवीर्य जी ने किस नगरी में जन्म लिया है? उत्तर - अयोध्या नगरी में। प्रश्न 69 - विदेह क्षेत्रों में श्री सूरिप्रभ जी कहां जन्म लेते हैं? उत्तर - पश्चिमी घातकी खं डमें अचल मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तट पर कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक आठ आर्य खंडों में रहने वाली आठ नगरियों में श्री सूरिप्रभ जन्म लेते हैं। प्रश्न 70 - श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - माता भद्रा देवी। प्रश्न 71 - श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री नागराज जी। प्रश्न 72 - श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - सूर्य। प्रश्न 73 - श्री सूरिप्रभ तीर्थंकर वर्तमान में कौन-सी नगरी में विद्यमान हैं? उत्तर - विजय नगरी में। प्रश्न 74 - श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर के जन्म स्थान बताइये। उत्तर - पश्चिमी धातकी खंडमें अचल मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट पर वत्सा से लेकर मंगलावती तक आठा देश हैं, उनके आर्य खंडों की नमबरयों में श्री विकशालकीर्ति तीर्थंकर भगवान जन्म लेते हैं। प्रश्न 75 - श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - माता विजया। प्रश्न 76 - श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री विजय। jain temple165 प्रश्न 77 - श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह क्या है? उत्तर - चन्द्रमा। प्रश्न 78 - वर्तमान में श्री विशालकीर्ति तीर्थंकर का जन्म स्थान बताइये। उत्तर - पुंडरीकिणी पुरी नगरी। प्रश्न 79 - श्री वज्रधर तीर्थंकर के जन्म स्थान बाताइये। उत्तर - पश्चिम धातकी खं डमें अचलमेरू के पश्चिम में सीतोदानदी के दक्षिण्या तट पर पद्मादेश से लेकर सरित देश तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठ नगरियों श्री वज्रधर भगवान जन्म लेते हैं। प्रश्न 80 - वर्तमान में श्री वज्रधर भगवान का जन्म स्थान कहां है? उत्तर - सुसीमा नगरी मेें। प्रश्न 81 - श्री वज्रधर भगवान की माता का नाम बताइये। उत्तर - सरस्वती। प्रश्न 82 - श्री वज्रधर भगवान के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री पद्मरथ। प्रश्न 83 - श्री चन्द्रानन भगवान के जन्म स्थान बताइये। उत्तर - पश्चिमी धातकीखंड में अचल मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर वट पर वप्रा से लेकर गंधमालिनी तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों श्री आठ नगरियों में श्री चन्द्रानन भगवान जन्म लेते हैं। प्रश्न 84 - श्री चन्द्रानन भगवान की माता का नाम बताइये। उत्तर - ज्ञान नहीं है। प्रश्न 85 - श्री चन्द्रानन भगवान के पिता का नाम बताइये। उत्तर - ज्ञान नहीं है। प्रश्न 86 - श्री चन्द्रानन भगवान का वर्तमान जन्म स्थान बताइये। उत्तर - पुंडरीकिणीपुरी। प्रश्न 87 - श्री चन्द्रनन भगवान की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - बैल। प्रश्न 88 - पुष्करवर द्वीप में जाये जाने वाले विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - पुष्करवर द्वीप में आठ विद्यमान तीर्थंकर रहते हैं- (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगम जी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमीप्रभ जी (5) श्री वीरसेन जी (6) श्री महाभ्रद जी (7) श्री देवयश जी एवं (8) श्री अजितवीर्य जी। प्रश्न 89 - पूर्वी पुष्करवर द्वीप विदेह क्षेत्रों में कौन-कौन से तीर्थंकर जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी पुष्करवर द्वीप के विदेह क्षेत्रों में चार तीर्थंकर जन्म लेते हैं- (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगम जी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमीप्रभ जी। प्रश्न 90 - श्री चन्द्रबाहु जी विदेह क्षेत्रों में कहां-कहां जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी पुष्कर द्वीप में मन्दिर मेरू के पूरब में सीतानदी के उत्तर में कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक के आठ देशों के आठा आर्यखंडों की नगरियों में श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर जन्म लेते हैं। प्रश्न 91 - वर्तमान में श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं? उत्तर - विनीता नाम की नगरी में। प्रश्न 92 - श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - रेणुका देवी। jain temple165 प्रश्न 93 - श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री देवनंददि जी। प्रश्न 94 - श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - कमल। प्रश्न 95 - श्री भुजंगम तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पूरब में सीता नदी के दक्षिण में वत्सा से लेकर मंगावती तक आठ देशों के आर्य खंडों की नगरियों में श्री भुजंगम तीर्थंकर जन्म लेते हैं। प्रश्न 96 - वर्तमान में श्री भुजंम तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं? उत्तर - विजय नगरी में। प्रश्न 97 - श्री भुजंगम तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - जिनमती। प्रश्न 98 - श्री भुजंगम तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री महाबल जी। प्रश्न 99 - श्री भुजंगम तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - चन्द्रमा। प्रश्न 100 - श्री ईश्वर तीर्थंकर कौन-कोन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिण तट पर पद्मा देश से लेकर सरित देश तक आठा देशाों के आर्य खंडों की आत नगरियों में री ईश्वर तीर्थंकर जन्म लेते हैं। प्रश्न 101 - वर्तमान में श्री ईश्वर तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं? उत्तर - सुसीमा नगरी में। प्रश्न 102 - श्री ईश्वर तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - ज्वाला देवी। jain temple165 प्रश्न 103 - श्री ईश्वर तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री गलसेन जी। प्रश्न 104 - श्री ईश्वर तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - सूर्य। प्रश्न 105 - श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं? उत्तर - पूर्वी पुष्कर द्वीप में मंदर मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के तट के वप्रा से लेकर गंधमालिनी के आठा देशों के आठ आर्य खंडों की आठ नगरियों में श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर जन्म लेते हैं। प्रश्न 106 - वर्तमान में श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर कौन-सी नगरी में हैं? उत्तर - अयोध्या नगरी में। प्रश्न 107 - श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - ज्ञान नहीं है। प्रश्न 108 - श्री नेमिप्रभ तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - बैल। प्रश्न 109 - पश्चिम पुष्करार्ध द्वीप में चार विद्यमान तीर्थंकर होते हैं। (1) श्री वीरसेन जी (2) श्री महाभद्र जी (3) श्री देवयश जी (4) श्री अजित वीर्य जी। प्रश्न 110 - श्री वीरसेन तीर्थंकर किन विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं? उत्तर - पश्चिम पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पूर्व में सीता नदी के उत्तर तट पर कच्छा से लेकर पुष्कलावती तक के आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठा नगरियों में श्री वीर सेन तीर्थंकर जन्म लेते हैं। प्रश्न 111 - श्री वीर सेन तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान कहां है? उत्तर - पुडरीकिणीपुर नगरी। प्रश्न 112 - श्री वीरसेन तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - भानुमती जी। प्रश्न 113 - श्री वीरसेन तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री भूपाल जी। प्रश्न 114 - श्री वीर सेन तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - ऐरावत। प्रश्न 115 - श्री महाभद्र तीर्थंकर कौन-कौन से विदेहों में जन्म लेते हैं? उत्तर - पश्चिमी पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पूर्व में सीता नदी के दक्षिण तट के वत्सा से लेकर मंगलावती तक के आठा देशों के आठ आर्य खंडों की आठ नगरियों में श्री महाभद्र तीर्थंकर जन्म लेते हैं। प्रश्न 116 - श्री महाभद्र तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान बताइये। उत्तर - विजयानगरी में। प्रश्न 117 - श्री महाभ्रद तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - उमा जी। jain temple165 प्रश्न 118 - श्री महाभद्र तीर्थंकर के पिता का नमा बताइये। उत्तर - श्री देवराज जी। प्रश्न 119 - श्री महाभद्र तीर्थंकर की प्रतिमा का क्या चिन्ह है? उत्तर - चन्द्रमा। प्रश्न 120 - श्री देवयश तीर्थंकर कौन-कौन से विदेह क्षेत्रों में जन्म लेते हैं? उत्तर - पश्चिमी पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के दक्षिणी तट पर पद्मादेश से लेकर सरित देश तक इन आठ देशों के आठा आर्यखंडों की आठ नगरियों में श्री देवयश तीर्थंकर जनम लेते हैं। प्रश्न 121 - श्री देवयश तीर्थंकर का वर्तमान जन्म स्थान बताइये। उत्तर - सुसीमा नगरी। प्रश्न 122 - श्री देवयश तीर्थंकर की माता का नाम बताइये। उत्तर - गंगादेवी। प्रश्न 123 - श्री देवयश तीर्थंकर के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री भूपति जी। प्रश्न 124 - श्री देवयश तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह क्या है? उत्तर - स्वस्तिक। प्रश्न 125 - श्री अजितवीर्य तीर्थंकर जी विदेह क्षेत्रों में कहां-कहां जन्म लेते हैं? उत्तर - पश्चिम पुष्कर द्वीप में विद्युन्माली मेरू के पश्चिम में सीतोदा नदी के उत्तर तट पर वप्रा से लेर गंध मालिनी तक आठ देशों के आठ आर्यखंडों की आठा नगरियों में श्री अजितवीर्य भगवान जन्म लेते हैं। प्रश्न 126 - श्री अजितवीर्य भगवान की माता का नाम बताइये। उत्तर - कनकमाला जी। प्रश्न 127 - श्री अजितवीर्य के पिता का नाम बताइये। उत्तर - श्री सुबोध जी। प्रश्न 128 - वर्तमान में श्री अजितवीर्य भगवान कहां जन्मे हैं? उत्तर - अयोध्या नगरी में। प्रश्न 129 - श्री अजितवीर्य भगवान की प्रतिमा का चिन्ह बताइये। उत्तर - कमल। प्रश्न 130 - मेरू पर्वतों को लेकर बीस विद्यमान तीर्थंकरों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? उत्तर - एक मेरू में सम्बंधित चार विद्यमान तीर्थंकार होते हैं। इसीलिए पांच मेरूओं से सम्बंधित बीस विद्यमान तीर्थंकर हुए। प्रश्न 131 - प्रथम सुदर्शन मेरू से सम्बंधित चार विद्यमान तीर्थंकर के नाम बातइये। उत्तर - (1) श्री सीमंधर जी (2) श्री युगमंधर जी (3) श्री बाहु जी (4) श्री सुबाहु जी। प्रश्न 132 - दूसरे विजय मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री संजातक जी (2) श्री स्वयंप्रभ जी (2) श्री ़षभनन जी (4) श्री अनंतवीर्य जी। प्रश्न 133 - तीसरे अचलमेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री सूरिपूभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति जी (3) श्री वज्रधर जी (4) श्री चन्द्रानन जी। प्रश्न 134 - चैथे मंदर मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री भुजंगमजी (3) श्री ईश्वर जी (4) श्री नेमिप्रभ जी। प्रश्न 135 - पांचवे विद्युन्माली मेरू से सम्बंधित विद्यमान तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री वीरसेन जी (2) श्री महाभद्र जी (3) श्री देवयश जी (4) श्री अजितवीर्य जी। प्रश्न 136 - विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों की आयु कितनी होती है? उत्तर - विदेह क्षेत्रों में तीर्थंकरों की आयु 1 कोटिवर्ष पूर्व की होती है। प्रश्न 137 - बीस विद्यमान तीर्थंकरों में से कितने तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह बैल है? उत्तर - तीन तीर्थंकरों का। प्रश्न 138 - विद्यमान बीस तीर्थंकरों में से कितने तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह बैल है? उत्तर - श्री सीमंधर जी श्री चन्द्रनन जी, एवं श्री नेमिप्रभ जी की प्रतिमा का चिन्ह बैल है। प्रश्न 139 - बैल चिन्ह हमारे भर क्षेत्र में कौन-से तीर्थंकर से मिलता है? उत्तर - श्री आदिनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से। प्रश्न 140 - कौन से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है? उत्तर - (1) री युगमंधर जी (2) श्री अनंतवीर्य जी (3) श्री वीरसेन जी की प्रतिमा का चिन्ह हाथी है। प्रश्न 141 - हाथी चिन्ह हमारे भरत क्षेत्र के कौन-से तीर्थंकर की प्रतिमा के चिन्ह से मिलता है? उत्तर - श्री अजितनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से। प्रश्न 142 - कौन से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह हिरण है? उत्तर - श्री बाहु जी की प्रतिमा का चिन्ह हिरण है। jain temple165 प्रश्न 143 - हिरण चिन्ह हमारे कौन से तीर्थंकर की प्रतिमा के चिन्ह से मिलता है। उत्तर - श्री शांतिनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से। प्रश्न 144 - कौन-से विद्यमान तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह बंदर है? उत्तर - श्री सुबाहु जी की प्रतिमा का चिन्ह बंदर है। प्रश्न 145 - बन्दर चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह है? उत्तर - श्री अभिनन्दन नाथ जी की प्रतिमा का। प्रश्न 146 - कौन-से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह सूर्य है? उत्तर - (1) श्री संजातक जी (2) श्री सूरिप्रभ जी एवं (3) श्री ईश्वर जी की प्रतिमा का चिन्ह सूर्य है। प्रश्न 147 - सूर्य चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकरों की प्रतिमा में मिलता है? उत्तर - किसी से नहीं। प्रश्न 148 - कौन-से विद्यमान तीर्थंकरों का चिन्ह चन्द्रमा है? उत्तर - (1) श्री स्वयंप्रभ जी (2) श्री विशाल कीर्ति जी (3) री महाभद्र जी की प्रतिमाओं का चिन्ह चन्द्रमा है। प्रश्न 149 - उपरोक्त तीर्थंकरों की प्रतिमा चिन्ह हमारे किस तीर्थंकर से मिलता है? उत्तर - श्री चन्द्रप्रभु से। प्रश्न 150 - कौन से विद्यमान तीर्थंकर का चिनह सिंह है? उत्तर - श्री ऋषभानन जी की प्रतिमा का। प्रश्न 151 - सिंह चिन्ह हमारे किस तीर्थंकर से मिलता है? उत्तर - श्री महावीर भगवान से। प्रश्न 152 - कौन से विद्यमाल तीर्थंकर की प्रतिमा का चिन्ह शंख है? उत्तर - श्री वज्रधर जी की प्रतिमा का चिनह शंख है। प्रश्न 153 - शंख चिन्ह हमारे कौन से तीर्थंकर की प्रतिमा से मिलता है? उत्तर - श्री नेमिनाथ जी से। प्रश्न 154 - कौन से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह कमल है? उत्तर - (1) श्री चन्द्रबाहु जी (2) श्री अजितवीर्य जी। प्रश्न 155 - कमल चिन्ह हमारे कौन से तीर्थकरों से मिलता है? उत्तर - श्री पद्मप्रभु तथा नमिनाथ जी से। प्रश्न 156 - कौन से विद्यमान तीर्थंकरों की प्रतिमा का चिन्ह स्वास्तिक है? उत्तर - श्री देवयश जी की प्रतिमा का चिन्ह स्वस्तिक है। प्रश्न 157 - स्वस्तिक चिन्ह हमारे कौन-से तीर्थंकर से मिलता है? उत्तर - श्री सुपाश्र्वनाथ जी की प्रतिमा के चिन्ह से। प्रश्न 158 - पांच मेरूओं से सम्बंधित जी बत्तीस-बत्तीस आर्य खंड है उनकी बत्तीस नगरियों के नाम बताइये। उत्तर - (1) क्षेमा नगरी (2) क्षेमपुरी (3) अरिष्टापुरी (4) अरिष्टपुरी (5) खडगानगरी (6) मंजूषा नगरी (7) औषधिनगरी (8) पुंडरीकिणी नगरी (9) सुसीमा नगरी (10) कुडला नगरी (11) अपराजित पुरी (12) प्रभंकरापुरी (13) अंकावती (14) पद्मावती पुरी (15) सुभापुरी (16) रत्नसंचयापुरी (17) अश्वपुरी (18) सिंहपुरी (19) महापुरी (20) विजयापुरी (21) अरजा नगरी (22) विरजानगरी (23) अशोकपुरी (24) वीतशोकनगरी (25) विजयापुरी (26) वैजयंतीपुरी (27) जयंती नगरी (28) अपराजितापुरी (29) चक्रापुरी (30) खड्गापुरी (31) अयोध्यापुरी एव (32) अवध्यापुरी। प्रश्न 159 - विदेह क्षेत्रों के कौन-से देशों में कौन सी नगरियां हैं? उत्तर - (1) कच्छा देश में-क्षेमा नगरी (2) सुकच्छा में- क्षेमपुरी (3) महाकच्छा में- अरिष्टापुरी (4) कच्छाकावती में- अरिष्टपुरी (5) आर्वता में- खडगानगरी (6) लांगलावर्ता में- मंजूषा नगरी (7) पुष्कला में- औषधिनगरी (8) पुष्कलावती- पुंडरीकिणी नगरी (9) वत्सा में- सुसीमा नगरी (10) सुवत्सा में- कुडला नगरी (11) महावत्सा- अपराजित पुरी (12) वत्साकावती- प्रभंकरापुरी (13) रम्या में- अंकावती (14) सुरम्या- पद्मावती पुरी (15) रमणीया- सुभापुरी (16) मंगलावती- रत्नसंचयापुरी (17) पद्मावती- अश्वपुरी (18) सुपद्मा- सिंहपुरी (19) महापद्मा- महापुरी (20) पद्माकावती विजयापुरी (21) शंखादेश- अरजा नगरी (22) नलिना- विरजानगरी (23) कुमदा- अशोकपुरी (24) सरिता- वीतशोकनगरी (25) वप्रा- विजयापुरी (26) सुवप्रा- वैजयंतीपुरी (27) महावप्रा- जयंती नगरी (28) वप्रीकावती- अपराजितापुरी (29) गंधा- चक्रापुरी (30) सुगंधा में- खड्गापुरी (31) गंधीला-अयोध्यापुरी (32) गंधमालिनी अवध्यापुरी। प्रश्न 160 - पांच मेरूओं से सम्बंधित बत्तीस-बत्तीस विदेहों में, देशों तथा नगरियों की क्या व्यवस्था है? उत्तर - पांच मेरूओं के 32-32 दिेह क्षेत्रों में दशों तथा नगरियों के नाम भी उपरोक्त देशों तथा नगरियों के समान ही नाम हैं। अतः एक सी व्यवस्था है।

Tuesday, 6 October 2015

।। चैबीस तीर्थंकर एवं विद्यमान बीस तीर्थंकर ।। प्रश्न 1 - तीर्थंकर किसे कहते हैं? उत्तर - जो धर्म रूपी तीर्थं के कर्ता हैं धर्म रूपी तीर्थ का प्रर्वतन करते हैं वे तीर्थंकर कहलाते हैं। प्रश्न 2 - क्या तीर्थंकर धर्म के संस्थापक होते हैं? उत्तर - कोई भी तीर्थंकर धर्म के संस्थापक नहीं होते हैं अपितु उपदेशक होते हैं। प्रश्न 3 - तीर्थंकर कैसे बनते हैं? उत्तर - केवली एवं श्रुत केवली के पादमूल में मनुष्य सोलह कारण भावनाओं का चिंतवन करके तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर लेते हैं वह कर्म उदय में आ जाने से तीर्थंकर बन जाते हैं। प्रश्न 4 - भावना किसे कहते हैं? उत्तर - बार-बार एक प्रकार का चिंतन करने को भावना कहते हैं। प्रश्न 5 - दर्शन विश्ुाद्धि भावना की क्या विशेषता है? उत्तर - उपरोक्त सोलह भावनाओं में दर्शन विशुद्धि भावना का होना अत्यंत आवश्यक है उसके साथ एक, दो या कितनी ही भावना हों या सभी हों तो तीर्थंकर प्रकृति का बंध हो सकता है। यदि दर्शन विशुद्धि भावना नहीं है तो तीर्थंकर प्रकृति का बंध नहीं होगा। प्रश्न 6 - दर्शन विशुद्धि भावना किसे कहते हैं? उत्तर - पच्चीस मल दोषों से रहित विशुद्ध सम्यग्दर्शन का पालन करना दर्शन विशुद्धि भावना है। प्रश्न 7 - विनयसम्पन्नता किसे कहते हैं? उत्तर - देवशास्त्र गुरू रत्नत्रय तथा इनके धारण करने वालों का आगम के अनुसार विनय करना। प्रश्न 8 - शीलव्रतों में अनतिचार भावना क्या है? उत्तर - व्रतों एवं शीलों में अतिचार नहीं लगाना। प्रश्न 9 - अभीक्षण ज्ञानोपयोग भावना क्या है? उत्तर - सदा ज्ञान के अभ्यास में लगे रहना अभीक्षण ज्ञानोपयोग भावना है। jain temple144 प्रश्न 10 - संवेगभावना क्या है? उत्तर - पापों तथा पाप के फल से डरना तथा धर्म एवं धर्म के फल में अनुराग होना संवेग है। प्रश्न 11 - शक्ति, तप भावना को बताइये। उत्तर - अपनी शक्ति के अनुसार शक्ति को न छिपा कर तप करना। प्रश्न 12 - शक्ति त्याग भावना को बताइये। उत्तर - अपनी शक्ति के अनुसार त्याग करना आहार दान आदि देना। प्रश्न 13 - साधु समाधि भावना क्या होती है? उत्तर - साधुओं का उपसर्ग आदि दूर करना या समाधि सहित मरण करना साधु समाधि भावना है। प्रश्न 14 - वैयावृत्यकरण भावना क्या है? उत्तर - वृती त्यागी आदि की सेवा वैयावृत्ति करना। प्रश्न 15 - अर्हंत भक्ति भावना क्या है? उत्तर - अर्हंत भगवान की भक्ति करना अर्हंत भक्ति है। प्रश्न 16 - आचार्य भक्ति किसे कहते हैं? उत्तर - आचार्य की भक्ति करना आचार्य भक्ति है। प्रश्न 17 - बहुश्रुत भक्ति किसे कहते हैं? उत्तर - उपाध्याय परमेष्ठी की भक्ति करने को बहुश्रुत भक्ति कहते हैं। प्रश्न 18 - प्रवचन भक्ति किसे कहते हैं? उत्तर - जिनवाणी की भक्ति करना प्रवचन भक्ति है। प्रश्न 19 - आवश्यकापरिहाणि भावना क्या है? उत्तर - छः आवश्यक क्रियाओं को सावधानी से पालना आवश्यकापरिहाणि है। प्रश्न 20 - मार्ग प्रभावना किसे कहते हैं? उत्तर - जैन धर्म के प्रभाव को लोक में प्रसारित करना। प्रश्न 21 - प्रवचन वत्सलत्व भावना क्या है? उत्तर - साधर्मीजनों में आगाध प्रेम करना। प्रश्न 22 - तीर्थंकर कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर - तीर्थंकरों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- 1 भरत ऐरावत क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकर, 2 विदेह क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकर। प्रश्न 23 - भरत ऐरावत में होने वाले तथा विदेह क्षेत्रों में होने वाले तीर्थंकरों में क्या अंतर है? उत्तर - निम्न अंतर है- अ भरत ऐरावत क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकरों के पूरे पांच कल्याणक होते हैं। विदेह क्षेत्र में होने वाले तीर्थंकरों के पांच, तीन और दो कल्याणक होते हैं। ब विदेह क्षेत्र में चतुर्थकाल विद्यमान रहने से यहां तीर्थंकरों का अभाव नहीं होता है। भरत, ऐरावत क्षेत्र में कर्मकाल में ही तीर्थंकर होते हैं। प्रश्न 24 - भगवान तीर्थंकर की माता सोलह स्वप्न क्यों देखती हैं? उत्तर - भगवान पूर्व भव में सोलह कारण भावनाओं को भा कर चिंतवन कर, तीर्थंकर प्रकृति का बंध करते हैं। प्रश्न 25 - सोलह स्वप्नों के नाम बताइये। उत्तर - 1 ऐरावत हाथी, 2 श्वेत उत्तम बैल, 3 सिंह, 4 माला युगल, 5 लक्ष्मी, 6 चन्द्रमा, 7 सूर्य, 8 कलश युगल 9 मीन युगल, 10 सरोवर, 11 समुद्र 12 सिंहासन 13 देवों का विमान, 14 नागेन्द्र 15 रत्न राशि एवं 16 धूम रहित अग्नि। प्रश्न 26 - तीर्थंकर की माता सोलह स्वप्न कब देखती है? उत्तर - पिछली रात्रि के पिछले पहर में, जब तीर्थंकर माता के गर्भ में आते हैं तब। प्रश्न 27 - स्वनों के फलों के उत्तर कौन देता है? उत्तर - स्वप्नों के फलों के उत्तर भगवान के पिता देते हैं। प्रश्न 28 - भगवान के गर्भ में आने के पूर्व में क्या होता है? उत्तर - छः महीने पहले माता के आंगन में प्रतिदिन साड़े बारह करोड़ रत्नों की वर्षा होती है। प्रश्न 29 - पहले स्वप्न में माता ने ऐरावत हाथी देखा राजा ने उसके क्या फल बताया। उत्तर - हे देवी! आपको उत्तम पुत्र की प्राप्ति होगी। प्रश्न 30 - दूसरे स्वप्न में उत्तम श्वेत बैल देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र संसार में सबसे बड़ा होगा महान होगा। jain temple145 प्रश्न 31 - तीसरे स्वप्न में सिंह देखने का क्या फल है? उत्तर - अपका पुत्र अनंत बल से युक्त होगा। प्रश्न 32 - चैथे स्वप्न में माला युगल देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र समीचीन धर्म का उपदेशक होगा। प्रश्न 33 - पांचवे स्वप्न में लक्ष्मी देखने का क्या फल है? उत्तर - आपके पुत्र का जन्म के समय मेरू पर्वत पर द्रेवों के द्वारा श्रीर समुद्र के जल से 1008 कलशों से अभिषेक होगा। प्रश्न 34 - छठे स्वप्न में चन्द्रमा देखने का राजा ने क्या फल बताया? उत्तर - हे देवी! चन्द्रमा देखने से आपका पुत्र समस्त जगत को आनन्द देने वाला होगा। प्रश्न 35 - सातवें स्वप्न में सूर्य देखने का क्या फल बताया। उत्तर - आपका पुत्र दैदीप्यमान प्रभा का धारक होगा। प्रश्न 36 - आठवें स्वप्न में कलश युगल देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र अनेक निधियों का स्वामी होगा। प्रश्न 37 - नौ वां स्वप्न मीन युगल देखने से क्या फल हैं? उत्तर - मीन युगल से आपका पुत्र परम सुखी होगा। प्रश्न 38 - दशवां स्वप्न, सरोवर देखने का राजा ने क्या फल बताया? उत्तर - सरोवर देखने से आपके पुत्र के शरीर में 1008 लक्षण, व्यंजन शोभित होंगे। प्रश्न 39 - ग्यारहवां स्वप्न समुद्र देखने का क्या फल है? उत्तर - समुद्र देखने से वह पुत्र केवलज्ञान रूपी जलधि से युक्त होगा। प्रश्न 40 - रानी के बारहवें स्वप्न में सिंहासन देखने का क्या फल है? उत्तर - सिंहासन देखने से आपका पुत्र जगत गुरू एवं विपुल साम्राज्य का नायक होगा। प्रश्न 41 - रानी के तेरहवें स्वप्न देवों का विमान देखने का क्या फल है? उत्तर - देवों का विमान देखने से वह स्वर्ग से अवतीर्ण होगा। jain temple146 प्रश्न 42 - रानी के चैदहवें स्वप्न नागेन्द्र भवन देखने का क्या फल है? उत्तर - नागेन्द्र भवन देखने से आपका पुत्र जन्म से ही मतिश्रुत अवधिज्ञान का धारी होगा। प्रश्न 43 - पन्द्रहवें स्वप्न रत्न राशि देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र गुणों की खान होगा। प्रश्न 44 - भगवान की माता के सोलहवें स्वप्न धूम रहित अग्नि देखने का क्या फल है? उत्तर - आपका पुत्र मोक्ष को प्राप्त करने वाला होगा। प्रश्न 45 - माता की सेवा करने वाली 6 देवियां कौन-कौन सी हैं? उत्तर - श्री ह्मी धृति, कीर्ति, बुद्धि लक्ष्मी ये 6 देवियां भगवान के गर्भ जन्म कल्याणक में माता की सेवा करती हैं। प्रश्न 46 - ये देवीयां कहा रहती हैं? उत्तर - ये देवियां ढाई द्वीप में मेरू के उत्तर दक्षिण में स्थित पूर्व से पश्चिम तक फैले हुए षट् कुलाचालों, हिमवान, महा हिमवान, निषध, नील रूकमी और शिखरी पर्वतों पर प्रत्येक के मध्य में स्थित, सरोवरों पद्य महापद्म तिंगिच्छ केसरी महापुंडरीक पुंडरीक सरोवरों पर बने कमलों पर निवास करती हैं। प्रश्न 47 - भगवान की माता की सेवा करने वाली दिक् कन्यायें कितनी हैं? उत्तर - भगवान की माता की सेवा करने वाली दिक् कन्यायें चवालिस हैं। प्रश्न 48 - ये दिक्कन्यायें कहां रहती है? उत्तर - ये दिक्कन्यायें तेरहवें रूचकवर द्वीप में एवं दक्षिण पश्चिम एवं उत्तर दिशाओं में बने हुए चवालिस कूटों पर रहती हैं। प्रश्न 49 - रूचक गिरि पर्वत पर बने हुए पूर्व दिशा के आठ कुटों पर कौन-कौन सी दिक्कन्यायें रहती हैं। उत्तर - इन कूटों पर रहने वाली दिक्कन्याओं के नाम हैं- 1 विजया, 2 विजयंता , 3 जयंता , 4 अपराजिता , 5 नंदा , 6 नंदवती, 7 नंदोत्तरा एवं 8 नंदीषेणा। प्रश्न 50 - ये दिक् कन्यायें जन्म कल्याण में क्या कार्य करती हैं? उत्तर - ये दिक् कन्यायें जिन जन्म कल्याणक में झारी को धारण करती हैं। प्रश्न 51 - रूचकवर पर्वत पर दक्षिण के आठ कूटों पर रहने वाली दिक् कनयाओं के नाम बताइये। उत्तर - इन कूटों पर रहने वाली दिक् कन्याओं के नाम इस प्रकार हैं- 1 इच्छा देवी , 2 समाहारादेवी , 3 सुप्रकीर्णादेवी , 4 यशोधरा देवी , 5 लक्ष्मी देवी , 6 शेषवती देवी, चित्रगुप्ता देवी एवं 8 वसुंधरा देवी। प्रश्न 52 - जिन जन्म कल्याणक में ये देवियां क्या करती हैं? उत्तर - ये अष्ट दिक् कन्यायें जिन जन्म कल्याण्क में दर्पण को धारण करती हैं। प्रश्न 53 - रूचकवर पर्वत के पश्चिम आठों कूटों की दिक्कन्याओं के नाम बताइये। उत्तर - 1- इलादेवी , 2- सुरादेवी , 3- पृथ्वीदेवी , 4- पद्मादेवी , 5- इकनावासादेवी , 6- नवमीदेवी , 7- सीतादेवी एवं 8- भद्रादेवी। प्रश्न 54 - उपरोक्त देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या कार्य करती हैं? उत्तर - ये उपरोक्त देवियां जिन माता के ऊपर छत्र लगाती हैं। प्रश्न 55 - रूचकवर पर्वत के ऊपर उत्तर के आठों कूटों पर रहने वाली दिक्कन्याओं के नाम बताइये। उत्तर - 1 अलंभूषा देवी , 2 मिश्रिकेशि , 3 पुंडरीकणी देवी , 4 वारूणी देवी , 5 आशा देवी , 6 सत्या देवी , 7 श्री देवी , 8 अतिरूपणि देवी। jain temple147 प्रश्न 56 - ये देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या कार्य करती हैं? उत्तर - ये दिक् कन्यायें जिन माता के ऊपर चंवर ढुराने का कार्य करती हैं? प्रश्न 57 - रूचकवर पर्वत के चार महाकूटों की दिक्कन्याओं के नाम बताइये। उत्तर - 1 सौदामिनी देवी , 2 कनका देवी , 3 शतपदा देवी , 4 कनक सुचित्रा। प्रश्न 58 - ये चारों दिक्देवियां जिन जन्म कल्याणक में क्या काम करती हैं? उत्तर - ये देवियां जिन जन्म कल्याणक में दश दिशाओं को निर्मल करती हैं। प्रश्न 59 - रूचकगिरि के चार अभ्यंतर कूटों पर कौन-सी देवियां रहती हैं? उत्तर - रूचकगिरि के चारों कूटों पर 1 रूचिका , 2 रूचक कीति , 3 रूचककांता , 4 रूचकप्रभा नाम की देवियां रहती हैं। प्रश्न 60 - ये देवियां जिन कल्याण में कौन-सा कार्य करती हैं? उत्तर - ये देवियां भगवान के जन्म कल्याणक में भक्तिपूर्वक जात कर्म करती हैं। प्रश्न 61 - कल्याणक किसे कहते हैं? उत्तर - भगवान के जिन उत्सवों को देवगण मनाते हैं उन्हें कल्याणक कहते हैं। प्रश्न 62 - कल्याणक कितने होते हैं? उत्तर - कल्याणक पांच होते हैं प्रश्न 63 - पांच कल्याणकों के नाम बताइये। उत्तर - 1 गर्भ कल्याणक , 2 जन्म कल्याणक , 3 तप कल्याणक , 4 केवलज्ञान कल्याणक एवं , 5 मोक्ष कल्याणक। प्रश्न 64 - दीक्षा कल्याणक का दूसरा नाम क्या है? उत्तर - दीक्षा कल्याणक को तप कल्याणक तथा निःक्रमण कल्याणक भी कहते हैं। प्रश्न 65 - मोक्ष कल्याणक का दूसरा नाम क्या है? उत्तर - मोक्ष कल्याणक का दूसरा नमा निर्वाण कल्याणक है। प्रश्न 66 - जन्म से ही भगवान कितने ज्ञान के धारक होते हैं? उत्तर - जन्म से ही भगवान मति, श्रुत, अवधि तीन ज्ञान के धारक होते हैं। प्रश्न 67 - भगवान का गर्भ कल्याणक कैसे मनाया जाता है? उत्तर - तीर्थंकर प्रकृति का बंध करने वाला जीव जब माता के गर्भ में आता है तब छः महीने पहले से इन्द्र की आज्ञा से कुबरे नगरी को सजाते हैं तथा प्रतिदिन माता के आंगन में रत्नों की वर्षा करते हैं। भगवान की माता पिछली रात्रि में 16 स्वप्न देखती हैं अपने पति से स्वप्नों के फल का उत्तर सुनकर रोमांचित हो जाती हैं। भगवान को गर्भ में आया जानकर, श्री आदि देवियां तथा चवालिस दिक्कन्यायें भगवान की माता की सेवा करती हैं मनोरंजन करती है माता से गूढ़ प्रश्न पूछती हैं तथा गर्भ में भगवान के प्रभाव से उन प्रश्नों का उत्तर माता देती हैं। प्रश्न 68 - जन्म कल्याणक कैसे मनाया जाता है? उत्तर - भगवान के जन्म के समय चतुर्निकय के देवों के यहां बिना बजाये घंटे, घडि़याल, शंख आदि बजने लगते हैं, उनके मुकुट अपने आप झुक जाते हैं। इन्द्रासन कम्पायमान होता है, कल्पवृक्षों से पुष्पों की वर्षा होने लगती हैं। अवधि ज्ञान से जन्म को जानकर, सौधर्म इन्द्र सपरिवार असंख्यातों देव-देवियों सहित ऐरावत हाथी पर चढ़कर नगर की तीन प्रदक्षिणा देते हैं। शची प्रसूति ग्रह से भगवान को लाकर इन्द्र को देती है। माता के पास मायामयी बालक को छोड़ देती है। इन्द्र भगवान को लेकर मेरू पर्वत की पांडुक शिला पर विराजमान करते हैं। वहां पर इन्द्र सभी परिवार सहित 1008 कलशों से भगवान का क्षीर समुद्र के जल से अभिषेक करते हैं। प्रश्न 69 - क्षीर समुद्र कौन-सा समुद्र हैं? उत्तर - क्षीर समुद्र लवण समुद्र से पांचवां समुद्र हैं। प्रश्न 70 - भगवान के न्हवन का कलश कितना बड़ा होता है? उत्तर - भगवान के न्हवन का कलश आठ योजन गहरा चार योजन चैड़ा एवं एक योजन विस्तृत मुख वाला होता है। प्रश्न 71 - ऐरावत हाथी कैसा होता है? उत्तर - आभियोग जाति के देव विक्रिया से ऐरावत हाथी का रूप बनाते हैं। ऐरावत हाथी का रूप एक लाख योजन विस्तरित हो जाता है इसके दिव्य मालाओं से युक्त बत्तीस मुख होते हैं एक-एक मुख में रत्नों से निर्मित 4-4 दांत होते हैं एक-एक दांत पर एक-एक सरोवर एवं सरोवर में कमल बना होता है। एक-एक कमल खंड में 32 महापद्म होते हैं जो एक-एक योजन के होते हैं इन एक-एक महाकमलों पर एक-एक नाट्यशाला होती हैं एक-एन नाट्यशाला में 32-32 अप्सराये नृत्य करती हैं। प्रश्न 72 - कौन सा देव ऐरावत हाथी बनता हैं? उत्तर - इन्द्र की आज्ञा से आभियोग जाति का बालक नाम का देव विक्रिया से ऐरावत हाथी बनता है। प्रश्न 73 - पांडुक शिला कहां पर हैं? उत्तर - प्रत्ये कमेरू के पांडुक वन की विदिशाओं में अर्धचंद्राकार शिलायें हैं उन्हें सामान्य से पांडुक शिला कहते हैं वैसे उनके अलग-अलग नाम हैं। ये ऐशानदिशा के क्रम से 1 - पांडुकशिला, 2 - पांडुकम्बला, 3 - रक्तशिला और, 4 - रक्तकम्बला प्रश्न 74 - पांडुकशिला का कितना विस्तार है? उत्तर - वह पवित्र पांडुकशिला सौ योजन लम्बी, पचास योजन चैड़ी एवं आठ योजन ऊंची है। प्रश्न 75 - तीर्थंकरों के अभिषेक का क्रम बताइये कौन-कौन से तीर्थंकर का अभिषेक कहां-कहां होता है? उत्तर - पाण्डुकशिला पर भरत क्षेत्र में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों का, पाण्डुकम्बला शिला पर पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का एवं रक्त कम्बला शिला पर पूर्व विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों का अभिषेक होता है। प्रश्न 76 - पाण्डुकादि शिलायें कितनी होती हैं? उत्तर - पाण्डुकादि शिलायें बीस होती हैं। एक मेरू पर चार होती हैं। प्रश्न 77 - क्या सभी मनुष्यों के कल्याणक होते हैं? उत्तर - सभी मनुष्यों के कल्याणक नहीं होते हैं। जिन जीवों ने तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया है वे ही उदय आने पर तीर्थंकर होते हैं। प्रश्न 78 - क्या सभी तीर्थंकरों के पंचकल्याणक होते हैं? उत्तर - सभी तीर्थंकरों के पंचकल्याणक नहीं होते हैं दो तीन भी होते हैं। प्रश्न 79 - पांच कल्याणक कौन-कौन से तीर्थंकरों के होते हैं? उत्तर - पांच भरत एवं पांच ऐरावत दश क्षेत्रों में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के पांच कल्याणक होते हैं। प्रश्न 80 - दो तीन चार कल्याणक कौन-से तीर्थंकरों के होते हैं? उत्तर - एक सौ साठ विदेह क्षेत्रों में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के दो, तीन, चार एव पांच कल्याणक भी होते हैं। प्रश्न 81 - विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों से तीन कल्याणक कैसे होते हैं? उत्तर - विदेह क्षेत्र में सदा चतुर्थकाल प्रवर्तमान रहता है केवली श्रुत केवली के पाद मूल में जो मनुष्य सोलह कारण भावनाओं का चिंतवन करते हैं, उसी भव में तीर्थंकर प्रकृति का उदय आ जानेपर उनका, गर्भ एवं जन्म कल्याणक नहीं होता शेष दीक्षा, ज्ञान एवं निर्वाण कल्याणक होते हैं। प्रश्न 82 - विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों के दो कल्याणक कैसे होते हैं? उत्तर - जब विदेह क्षेत्र में कोई मुनिराज सोलह कारण भावनाओं का चिंतवन करते हैं, उसी भव में उदय आ जाने से उनका गर्भ, जन्म, दीक्षा कल्याणक नहीं मनाया जा सकता है। उनके ज्ञान व मोक्ष कल्याणक मनाये जाते हैं। प्रश्न 83 - दीक्षा कल्याणक कैसे मनाया जाता है। उत्तर - जब भगवान को किसी निमित्त से वैराग्य होता है तब लौकान्तिक देव आकर भगवान की वैराग्य भावना तथा भगवान की स्तुति करते हैं देवों द्वारा लाई हुई पालकी में बैठकर वन में पहुंचते हैं। रत्नशिला पर पूर्व या उत्तर मुख से बैठकर ऊँ नमः सिद्धेभ्यः मंत्र का उच्चारण कर पंचमुष्ठी केश लौंच करते हैं तथा नग्न दिगम्बर दीक्षा लेकर ध्यान में लीन हो जाते हैं। उसी समय उन्हें मनः पर्यय चैथा ज्ञान प्रकट हो जाता है। इन्द्र उनके केशों को रत्नपिटारे में रखकर क्षीर समुद्र में क्षेपण करते हैं। भगवान जन्म से मति श्रुत अवधि तीन ज्ञान के धारक होते हैं। प्रश्न 84 - क्षीर समुद्र का जल कैसा होता है? उत्तर - क्षीर समुद्र का जल जीव रहित दूध के समान सफेद धवल होता है। इसीलिए इसे क्षीर समुद्र कहते हैं। प्रश्न 85 - केवलज्ञान कल्याणक कैसे मनाया जाता है? उत्तर - जब भगवान, शुक्ल ध्यान के द्वारा धातिया कर्मों का नाश कर देते हैं तो लोकालोक को प्रकाशित करने वाला उन्हें केवलज्ञान प्रकट होता है। भगवान बीस हजार हाथ ऊपर जाकर, कुबेर द्वारा अर्धनिमिष मात्र में बनाये गये समवस्रण के मध्य गंधकुटी के कमलासन के ऊपर अधर विराजमान हो जाते हैं। समवसरण में सात भूमियों के बाद आठवीं श्री मंडप नाम की सभा भूमि में बारह सभायें लगती हैं। भगवान का एक मुख होते हुए भी चारों दिशाओं में मुख दिखते हैं, देव, देवियां, मनुष्य तिर्यंच वहां भगवान का उपदेश सुनते हैं। यद्यपि भगवान का उपदेश अर्धमगधीभाषा में होता है फिर भी सभी को अपनी अपनी भाषा में समझ में आ जाता है। प्रश्न 86 - भगवान की वाणी किस प्रकार खिरती है? उत्तर - भगवान की वाणी ऊँकार रूप में मेघगर्जन के समान खिरती है। प्रश्न 87 - प्रमुख श्रोता कौन होते हैं? उत्तर - प्रमुख चक्रवर्ती या सम्राट, भगवान के प्रमुख श्रोता होते हैं। प्रश्न 88 - भगवान की वाणी किसके बिना नहीं खिर सकती हैं? उत्तर - भगवान की वाणी गणधर के बिना नहीं खिर सकती है। प्रश्न 89 - प्रत्येक तीर्थंकर के कितने गणधर होते हैं? उत्तर - प्रत्येक तीर्थंकर के अनेक गणधर होते हैं। प्रश्न 90 - सबसे बड़े समवसरण का विस्तार कितना होता है? उत्तर - सबसे बड़े समवसरण का विस्तार 12 योजन होता है। प्रश्न 91 - सबसे छोटे समवसरण का विस्तार कितना होता है? उत्तर - सबसे छोटा समवसरण 1 योजन का होता है। प्रश्न 92 - समवसरण किसे कहते हैं? उत्तर - तीर्थंकर की धर्मसभा के स्थान को समवसरण कहते हैं। समवसरण का शाब्दिक भाव है, जो स्थान संसार के समस्त जीवों को शरण देने में समर्थ है वह समवसरण कहलाता है। प्रश्न 93 - समवसरण में स्थित भगवान का दर्शन कौन करते हैं? उत्तर - समवसरण में स्थित भगवान का दर्शन केवल सम्यग्दृष्टि जीव ही करते हैं। मिथ्यादृष्टियों की भावना ही नहीं होती है। कुछ मिथ्यादृष्टि जीव मानस्तम्भ तक पहुंचकर सम्यग्दृष्टि बन जाते हैं। प्रश्न 94 - समवसरण में कितनी सीडि़यां होती हैं? उत्तर - समवसरण में बीस हजार सीडि़यां होती हैं। प्रश्न 95 - मसवसरण की प्रत्येक सीड़ी की ऊंचाई कितनी होती है? उत्तर - समवसरण की प्रत्येक सीड़ी की ऊंचाई 1 हाथ होती है। प्रश्न 96 - समवसरण में कौन-सी गति के जीव जाकर धर्मामृत का पान करते हैं? उत्तर - नारकियों को छोड़कर शेष मनुष्य तिर्यंच, देव सभी भगवान की दिव्य ध्वनि का पान करते हैं। प्रश्न 97 - कितनी इन्द्रियों के धारक जीव समवसरण में भगवान की दिव्य ध्वनि सुनते हैं। उत्तर - केवल संज्ञी पंचेन्द्रिय जीव। प्रश्न 98 - समवसरण की आठ भूमियों के नाम क्रम से बताइये। उत्तर - 1- चैत्य प्रासाद भूमि, 2- खाातिक भूमि, 3- लता भूमि, 4- उपवन भूमि, 5- ध्वज भूमि, 6- कल्पवृक्ष भूमि, 7- भवन भूमि एवं, 8- श्री मंडप भूमि। प्रश्न 99 - चैत्यप्रसाद भूमि कैसी है? उत्तर - चैत्य प्रासाद भूमि में एक-एक जिनमन्दिर के अंतराल के पांच देव प्रासाद रहते हैं ये तीर्थंकरों से 12 गुने ऊंचे होते हैं। चारों दिशाओं में एक-एक मानस्तम्भ एक-एक बाबड़ी होती है। इसमें पृथक-पृथक गलियों में दो-दो नाट्यशालायें होती हैं। प्रत्येक नाट्यशाला में 32-32 रंगभूमियां होती हैं। प्रत्येक रंग भूमि में 32-32 देवियां। नृत्य करती हुईं तीर्थंकरों का गुणगान करती हैं। प्रत्येक नाट्यशाला में दो-दो धूप घट रहते हैं। jain temple148 प्रश्न 100 - खातिका भूमि कैसी होती हैं? उत्तर - ये खातिका भूमि एक प्रकार की खाई होती है जो अपने तीर्थंकर की ऊंचाई के चतुर्थ भाग होती हैं। प्रश्न 101 - तीसरी लता भूमि कैसी होती है? उत्तर - ये एक प्रकार का लता वन है इसमें लताएं रहती हैं। प्रश्न 102 - चैथी उपवन भूमि की रचना किस प्रकार की है? उत्तर - चैथी उपवन भूमि में पूर्वदिदिशा के क्रम से, अशोक, सप्तच्छद चंपक एवं आम्रवन हैं। इनके बीचों-बीचों एक-एक चैत्य वृक्ष जिसके मूलभाग में चारों दिशाओं में जिन प्रतिमायें विराजमान हैं। इस उपवन भूमि की बाबडि़यों में लोग अपने सात भव देख लेते हैं। इस वन भूमि की गलियों के दोनों पाश्र्व भागों में दो-दो नाट्यशालयें हैं इस वन भूमि को घेरे हुए वेदी पर यक्षेन्द्र देव पहरा देते हैं। प्रश्न 103 - समवसरण की पांचवी भूमि की रचना बताइये। उत्तर - पांचवतीं भूमि में, सिंह, गज, वृषभ, गरूड़, मयूर, चन्द्र, सूर्य, हंस, कमल और चक्र दशचिन्हों से युक्त प्रत्येक चिन्ह की प्रत्येक दिशा में 108-108 ध्वजायें होती है इनमें भी प्रत्येक ध्वजा की 108-108 परिवार ध्वजायें रहती हैं इसको घेरकर चांदी के परकोटे पर द्वार रक्षक देव भवनवासी देव हैं। प्रश्न 104 - समवसरण की छठी भूमि की रचना किस प्रकार की है? उत्तर - समवसरण की छठी भूमि का नाम कल्पवृक्ष भूमि है इसमें 10 प्रकार के कल्पवृक्ष रहते हैं। ये सब नाम के अनुसार ही फल-वस्तुएं प्रदान करते हैं। इस भूमि में पूर्वादि दिशा के क्रम से नमेरू मंदार, संतानक तथा पारिजात ये चार सिद्धार्थ वृक्ष होते हैं इनमें चारो तरफ चार सिद्ध प्रतिमायें विराजमान रहती हैं। प्रश्न 105 - दश प्रकर के कल्पवृक्ष कौन-कौन से हैं? उत्तर - दश प्रकार के कल्पवृक्षों के नाम इस प्रकार हैं- 1- पानांग, 2- तूर्यांग, 3- भूषणांग, 4- वस्त्रांग, 5- भोजनांग, 6- आलयांग, 7- दीपांग , 8- भाजनांग , 9- मालांग एव, 10 तेजांग प्रश्न 106 - पानांग जाति के कल्पवृक्ष क्या फल प्रदान करते हैं? उत्तर - पानांग जाति के कल्पवृक्ष मधुर सुस्वाद छहों रसों युक्त पुष्टि कारक बत्तीस प्रकार के पेय पदार्थों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 107 - तूर्यांग जाति के कल्पवृक्ष क्या फल प्रदान करते हैं? उत्तर - तूर्यांग जाति के कल्पवृक्ष उत्तरम बाजा, पट्, पहट, मृदंग आदि वादि यंत्रों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 108 - भूषणांग जाति के कल्पवृक्षाों का कार्य बताइये। उत्तर - भूषणांग जाति के कल्पवृक्ष- कंकण, कटि सूत्र हार, माला मुद्रिका आदि भूषणों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 109 - वस्त्रांग जाति के कल्पवृक्ष जीवों को क्या प्रदान करते हैं? उत्तर - वस्त्रांग जाति के कल्पवृक्ष, चीनपट्टु, क्षौमादि वस्त्रों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 110 - भोजनांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - भोजनांग जाति के कल्पवृक्ष सोलह प्रकार के आहार, सोलह प्रकार के व्यंजन, चैदह प्रकार की दालें, एक सौ साठ प्रकार के खाद्य पदार्थ, 363 प्रकार के स्वाद्य पदार्थ, एवं त्रेषठ प्रकार के रसों को देते हैं। प्रश्न 111 - आलयांग जाति के कल्पवृक्ष कार्य करते हैं? उत्तर - आलयांग कल्पवृक्ष, स्वास्तिक नंद्यावर्त आदि सोलह प्रकार के दिव्य भवनों को प्रदान करते हैं। प्रश्न 112 - दीपांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - दीपांग जाति के कल्पवृक्ष शाखा, प्रवाल, फल, फूल और अंकुर आदि के द्वारा जलते हुए दीपकों के समान प्रकाश को प्रदान करते हैं। प्रश्न 113 - भाजनांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - भाजनांग जाति के कल्पवृक्ष स्वर्ण आदि से निर्मित झारी कलश, गागर, चामर, और आसनादि देते हैं। प्रश्न 114 - मालांग कल्पवृक्ष क्या प्रदान करते हैं? उत्तर - मालांग जाति के कल्पवृक्ष, बेले, तरू, गुच्छ और लताओं से उत्पन्न हुए सोलह हजार रूप पुष्पों की मालाओं को प्रदान करते हैं। प्रश्न 115 - तेजांग जाति के कल्पवृक्षों का कार्य बताइये। उत्तर - ज्योतिरंग (तेजरांग) जाति के कल्पवृक्ष मध्य दिन के करोड़ों सूर्यों की किरणों के समान होते हुए सूर्य चन्द्र की रोशनी को फीका करते हैं। प्रश्न 116 - समवसरण की सातवीं भूमि की रचना कैसी हैं? उत्तर - सावतीं भूमि का नाम भवन भूमि हैं। यहां बने हुए भवनों में जिन प्रतिमायें विराजमान हैं तथा जिनाभिषेक होता रहता है। देव देवियां नृत्य संगीत से भक्ति करते रहते है। इसके दोनों पाश्र्वभागों की प्रत्येक गली के मध्य में नौ-नौ स्तूप हैं। जिनमें अर्हंत तथा सिद्धों की प्रतिमायें विराजमान हैं। इसके आगे स्फटिक कोट है जिसके द्वारों के रक्षक देव कल्पवासी देव हैं। प्रश्न 117 - आठवीं भूमि का नाम तथा रचना बताइये। उत्तर - आठवीं भूमि का नाम श्री मंडप भूमि है। इसके बीच-बीच में सोलह स्फटिक मणी की दीवालें हैं चार-चार गलियों के बाद दीवालों के मध्य में तीन कोठे अपने तीर्थंकर की ऊंचाई के बारह गुने ऊंचे बने हुए हैं। इन्हीं कोठों में बारह सभायें लगती हैं। भव्य जीव यहां भगवान का उपदेश ग्रहण करते हैं। jain temple149 प्रश्न 118 - समवसरण में कितनी सभायें होती हैं? उत्तर - समवसरण मंे बारह सभायें होती हैं। प्रश्न 119 - भगवान की पहली सभा में कौन जीव रहते हैं? उत्तर - भगवान की पहली सभा पूर्व दिशा में रहती है। इसमें सर्व प्रथम गणधर और मुनिगण रहते हैं। प्रश्न 120 - भगवान की दूसरी सभा में कौन-से जीव रहते हैं? उत्तर - भगवान की दूसरी सभा आग्नेय दिशा में होती है। यहां दूसरे कोठे में कल्पवासी देवियां भगवान का उपदेश ग्रहण करती हैं। प्रश्न 121 - तीसरा कोठा में कौन-से जीव रहते हैं? उत्तर - तीसरा कोठ दक्षिण में होता है तथा इसमें आर्यिकायें एवं श्राविकायें होती हैं। प्रश्न 122 - समोशरण के चैथे कौन से जीव धर्म श्रवण करते हैं। उत्तर - भगवान के समवसरण के चैथे कोठे में ज्योतिषी चन्द्र सूर्य आदि की देवियां धर्म श्रवण करती हैं। प्रश्न 123 - समवसरण के पांचवें कोठे में कौन-से जीव रहते हैं? उत्तर - पांचवे कोठे में व्यंतर देवों की देवियां रहती हैं। प्रश्न 124 - समवसरण के छठे कोठे में क्या हैं? उत्तर - समवसरण के छठे कोठे में भवनवासी देवों की देवियां धर्म श्रवण करती हैं? प्रश्न 125 - समवसरण के सातवें कोठे में कौन-से जीव बैठते हैं? उत्तर - समवसरण के सातवें कोठे में भवनवसी देव बैठते हैं। प्रश्न 126 - समवसरण के आठवे कोठे में कौन-से जीव है। उत्तर - समवसरा के आठवे कोठे में व्यंतरवासी देव रहते हैं। प्रश्न 127 - समवसरण का नौवां कोठा कौन-से जीवों से भरा रहता है? उत्तर - नौवों कोठे में ज्योतिषी देव रहते हैं। jain temple150 प्रश्न 128 - समवसरण के दसवें कोठे में क्या है? उत्तर - दशवें कोठे में कल्पवासी देव हैं। प्रश्न 129 - समवसरण के ग्यारहवें कोठे में क्या है? उत्तर - समवसरण के ग्यारहवें कोठे में चक्रवर्ती एवं मनुष्य होते हैं। प्रश्न 130 - समवसरण के बारहवें कोठे की स्थिति बताइये। उत्तर - समवसरण के बारहवें कोठे में संज्ञी पंचेन्दी्रय तिर्यंच जीव-हाथी, सिंह, व्याघ्र, हिरन आदि पशुगण बैठते हैं। प्रश्न 131 - बारह सभाओं से आगे क्या होता है? उत्तर - बारह सभाओं के अभ्यंतर निर्मल स्टफटिक की वेदी है इसके आगे पहली कटनी वैडूर्यमणी की है उस पर चढ़ने के लिए चार गली बारह कोठों के स्थान पर सोलह-सोलह सीडि़यां हैं इसके चारों दिशाओं में यक्षेन्द्र अपने मस्तक पर धर्मचक्र धारण किये हुए खड़े रहते हैं। प्रश्न 132 - समवसरण में दूसरी कटनी पर क्या है? उत्तर - दूसरी स्वर्ण कटनी पर सिंह, बैल, कमल, चक्र, माला, गरूड़, वस्त्र और हाथी इन आठ चिन्हों से युक्त ध्वजायें तथा धूपघट नव निधियां पूजन द्रव्य और मंगल द्रव्य रखे हुए हैं। प्रश्न 133 - तीसरी कटनी पर क्या है? उत्तर - तीसरी कटनी सूर्य मंडल के समान गोल हैं। इसी तीसरी कटनी पर गंध कुटी शोभायमान रहती है। प्रश्न 134 - गंध कुटि का किंचित वर्णन कीजिए। उत्तर - जिसमें जिनेन्द्र देव विराजमान रहते हैं। उसे गंध कुटी कहते हैं वह गंधकुटी, चंवर, छत्र, वंदनमाला, किंकणी मोतियों के हार दीपक धूपघट आदि से सजी रहती है। इस गध कुटी के मध्य सिंहासन पर एक लाल वर्ण का सहस्त्र दल कमल रहता है जिस पर भगवान चार अंगुल अधर विराजमान रहते हैं। प्रश्न 135 - भगवान के मोक्ष कल्याणक में क्या होता है? उत्तर - जब भगवान का आयु कर्म पूरा होने को होता है तो समवसरण विघटित हो जाता है। ध्यान में लीन भगवान अपने शेष चार अघतिया कर्मों का भी नाश कर देते हैं। वे एक समय में अथवा पंच लब्धछर समय मात्र में वे परमात्मा लोक के अग्रभाग पर अनंतानंत काल सदा के लिए सिद्ध शिला पर विराजमान हो जाते हैं। उस समय चारों प्रकार के देव बड़ी भक्ति से उनके शरीर का अग्नि संस्कार करते हैं। अग्निकुमार के इन्द्र देव अपने मुकुट के अग्रभाग से अग्नि प्रज्ज्वलित करते हैं सभी देव भस्म को ललाट में लगा कर अपना जन्म धन्य करते हैं। प्रश्न 136 - अग्नि कुमार के इन्दों के कितने भेद हैं? उत्तर - अग्नि कुमार के इन्द्र तीन प्रकार के हैं- गाह्र्यपत्य, आह्वानीय एवं दक्षिणाग्नेन्द्र। प्रश्न 137 - उपरोक्त तीनों इन्दों का क्या कार्य है? उत्तर - तीर्थंकर के शरीर का संस्कार गाह्र्यपत्य इन्द्र करते हैं, गणधर देव के शरीर का संस्कार आह्वानीय इन्द्र तथा केवली के शरीर का संस्कार दक्षिणाग्नेन्द्र करते हैं। प्रश्न 138 - तीर्थंकर गणधर तथा केवलियों के लिए किस - किस प्रकार के कुंडो की रचना होती है। उत्तर - तीर्थंकरों के लिए चैकोर कुंड, गणधरों के लिए त्रिकोण कुंड तथा केवलियों के लिए गोल कुंड की रचना होती है। प्रश्न 139 - क्या सभी मोक्ष जाने वाले जीवों के कल्याणक होते हैं? उत्तर - नहीं! जिन जीवों ने तीर्थंकर प्रकृति का आश्रव, बंधकिया है केवल उन्हीं जीवों के तीर्थंकर प्रकृति उदय में आ जाने से, कल्याणक देव मानते हैं। प्रश्न 140 - तीर्थंकर की प्रतिमाओं के चिन्हों का पता किस प्रकार चलता है? उत्तर - भगवान के न्हवन के समय, इन्द्र भगवान के दांये पैर के अंगूठे को देखते हैं जो चिन्ह होता है उसी चिन्ह से उनकी प्रतिमा की पहचान होती है। jain temple151 प्रश्न 141 - तीर्थंकरों के शरीर पर कितने चिन्ह होते हैं? उत्तर - तीर्थंकरों के शरीर पर 1008 चिन्ह होते हैं। प्रश्न 142 - इन्द्र कितने नामों से भगवान की स्तुति करते हैं? उत्तर - 1008 नामों से इन्द्र भगवान की स्तुति करते हैं? प्रश्न 143 - तीर्थंकरों के जन्म एवं मोक्ष के बारे में आगम का क्या नियम है? उत्तर - आगम के नियम के अनुसार सभी तीर्थंकर अयोध्या में ही जन्म लेते हैं तथा सम्मेद शिखर से मोक्ष जाते हैं। इसीलिए अयोध्या एवं सम्मेदशिखर शाश्वत तीर्थ माने जाते हैं। प्रश्न 144 - उपरोक्त नियम में परिवर्तन क्यों हुआ? उत्तर - हुंडवसर्पिणी काल के दोष से इस नियम में परिवर्तन हुआ इस बार न तो चैबींस तीर्थंकरों ने अयोध्या में जन्म लिया और न ही सम्मेद शिखर से मोक्ष गये। प्रश्न 145 - अयोध्या में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1- श्री आदिनाथ जी 2- श्री अजितनाथ जी 3- श्री अभिनन्दननाथ जी 4- श्री सुमतिनाथ जी 5- श्री अनंतनाथ जी प्रश्न 146 - सम्मेद शिखर से कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - बीस तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर से मोक्ष प्राप्त किया। प्रश्न 147 - कौन-से तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर से मोक्ष प्राप्त नहीं किया? उत्तर - 1 श्री आदिनाथजी 2 श्री वासुपूज्यजी 3 श्री नेमनाथजी 4 श्री महावीर भगवान इन चार तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर से मोख प्राप्त नहीं किया। प्रश्न 148 - अयोध्या एवं सम्मेद शिखर को छोड़कर सर्वाधिक कल्याणकों वाला तीर्थंक्षेत्र कौन-से हैं? उत्तर - वह क्षेत्र हस्तिनापुर है। कुल 12 कल्याणक हुए हैं। प्रश्न 149 - यहां 12 कल्याणक किस प्रकार हुए हैं? उत्तर - श्री शांतिनाथ, कुंथुनाथ एवं अरहनाथ इन तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, केवलज्ञान ऐसे 4-4 कल्याणक हुए है। प्रश्न 150 - श्री शांतिनाथ कुंथुनाथ अरहनाथ इन तीर्थंकरों की विशेषता बतलाइये। उत्तर - तीनों तीर्थंकर, चक्रवर्ती, तीर्थंकर एवं कामदेव इन तीन-तीन पदो ंके धारक थे ये क्रमशः 16वे, 17वें एवं 18वें तीर्थंकर थे। प्रश्न 151 - श्री शांति, कुंथु, अरहनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक कहां हुआ था? उत्तर - इनका मोक्ष कल्याणक श्री सम्मेद शिखर में हुआ था प्रश्न 152 - दो नामों से कौन-से तीर्थंकरों को जाना जाता है। उत्तर - ऐसे नोवें तीर्थंकर श्री पुष्पदंतजी हैं जिनका दूसरा नाम श्री सुविधनाथ जी भी है। प्रश्न 153 - ऐसे कौन से तीर्थंकर हैं, जिनके पांचों कल्याण एक ही स्थान पर हुए हैं और कहां? उत्तर - ऐसे बारहवें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य जी हैं इनके पांचों कल्याणक चम्पापुर जी में हुए हैं। प्रश्न 154 - बालब्रह्मचारी तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1 - श्री वासुपूज्य जी , 2- श्री मल्लिनाथ जी , 3 - श्री नेमीनाथ जी , 4 - श्री पाश्र्वनाथ जी , 5 - श्री महावीर स्वामी। ये पांच बालब्रह्मचारी तीर्थंकर हुए हैं। प्रश्न 155 - चैबीस तीर्थंकरों के लिए कौन-से बीजाक्षर का प्रयोग किया गया है? उत्तर - चैबीस तीर्थंकरों के लिए ह्मीं बीजाक्षर का प्रयोग किा गया है। प्रश्न 156 - ह्मीं बीजाक्षर कितने वर्ण का माना गया है। उत्तर - ह्मीं बीजाक्षर में पांच वर्ण होते हैं, सफेद, नीला, लाल, हरित श्याम एवं सोने समान तपाया हुआ लालवर्ण। jain temple152 प्रश्न 157 - चैबीस तीर्थंकरों के कितने वर्ण हैं। उत्तर - चैबीस तीर्थंकर भी उपरोक्त पंच वर्णीय हुए हैंै। प्रश्न 158 - श्वेत वर्ण वाले कौन-से तीर्थंकर हैं? उत्तर - श्वेत वर्ण वाले दो तीर्थंकर हैं- चन्द्रप्रभु एवं पुष्पदंत जी। प्रश्न 159 - श्री चंदाप्रभु पुष्पदंत जी ह्मीं में कहां स्थित है? उत्तर - श्री चंदा प्रभु पुष्पदंत जी ह्मीं बीजाक्षर में श्वेत चन्द्रकार स्थान पर स्थित हैं। प्रश्न 160 - लाल वर्ण के कौन से तीर्थंकर हैं? उत्तर - श्री वासुपूज्य एवं पद्मप्रभु लाल वर्ण के तीर्थंकर हैं। प्रश्न 161 - उपरोक्त तीर्थंकर ह्मीं बीजाक्षर में कहां विराजमान हैं? उत्तर - श्री वासुपूज्य एवं पद्मप्रभु भगवान ह्मीं बीजाक्षर में ह्मीं मस्तक जोकि लाल वर्ण है उस स्थान पर विराजमान हैं। प्रश्न 162 - नील वर्ण वाले तीर्थंकरों के नाम बताओ। उत्तर - नेमनाथ जी एवं श्री मुनिसुव्रत जी नील वर्ण के तीर्थंकर हैं। प्रश्न 163 - नील वर्ण वाले तीर्थंकर ह्मीं बीजाक्षर में कहां पर विराजमान हैं? उत्तर - नील वर्ण वाले तीर्थंकर ह्मीं बीजाक्षर के नीले बिन्दु में शोभायमान हैं। प्रश्न 164 - हरित श्यामवर्ण वाले तीर्थंकर कौन-कौन से हैं? उत्तर - हरित श्यामवर्ण वाले दो तीर्थंकरा श्री सुपाश्र्वनाथ जी एवं श्री पाश्र्वनाथ जी हैं। प्रश्न 165 - उपरोक्त दोनों तीर्थंकर ह्मीं में कहां विराजमान हैं? उत्तर - उपरोक्त दोनों तीर्थंकर ह्मीं के हरित श्याम ईकारी में विराजमान हैं। jain temple153 प्रश्न 166 - पंचवर्णीय ह्मी में पंचवर्णीय चैबीस तीर्थंकर विराजमान हैं। ऐसा वर्णन कहां मिलता हैं? उत्तर - ये वर्णन श्री ऋषिमण्डल स्तोत्र तथा में आता है। प्रश्न 167 - शेष तीर्थंकर ह्मीं में कहां विराजमान हैं? उत्तर - शेष सोलह तीर्थंकर ह्मीं के ह्नकार में विराजनाम हैं? प्रश्न 168 - ये सोलह शेष तीर्थंकर किस वर्ण वाले हैं। उत्तर - ये शेष सोलह तीर्थंकर तपाये हुए स्वर्ण के समान आभा वाले हैं। प्रश्न 169 - उपरोक्त सोलह तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1- श्री आदिनाथ जी , 2- श्री अजितनाथ जी , 3 - श्री सम्भवनाथजी , 4- श्री अभिनंदननाथ जी , 5- श्री समुतिलनाथ जी , 6 - श्री शतलनाथजी , 7- श्रे श्रेयांसनाथ जी , 8- श्री विमलनाथ जी , 9 - श्री अनंतनाथ जी , 10- श्री धर्मनाथ जी , 11- श्री शांतिनाथ जी , 12- श्री कुंथुनाथजी , 13- श्री अरहनाथ जी , 14- श्री मल्लिनाथ जी , 15- श्री नमिनाथ जी , 16- श्री महावीर स्वामी। प्रसिद्ध पंच वर्णीय चैबीसी तीर्थ क्षेत्र चंदेरी में विराजमान है, वैसे श्री शांतिवीर नगर महावीरजी, नसियां जी भिण्ड (म0 प्र0) में, सम्मेदशिखर जी में विराजमान हैं। प्रश्न 170 - वर्तमान काल के पच्चीसवें तीर्थंकर का नाम बताइये। उत्तर - भरत ऐरावत क्षेत्रों में कर्मकाल में केवल चैबीस ही तीर्थंकर होते हैं। न तेइस न पच्चीस। प्रश्न 171 - तीर्थंकर के शरीर की सर्वाधिक ऊंचाई कितनी होती है? वर्तमान में किसकी है? उत्तर - तीर्थंकरों के शरीर की सबसे अधिक ऊंचाई पांच सौ धनुष (2000) होती है, जो श्री आदिनाथ की थी। प्रश्न 172 - तीर्थंकरों के शरीर की ऊंचाई सबसे कम कितनी होती है? उत्तर - तीर्थंकरों के शरीर की ऊंचाई सबसे कम सात हाथ होती है। प्रश्न 173 - सबसे कम ऊंचाई वाले तीर्थंकरा का नाम बताइये। उत्तर - भगवान महावीर स्वामी। प्रश्न 174 - बाहुबली को भगवान क्यों कहते हैं? जबकि वे तीर्थंकर नहीं थे? उत्तर - भगवान बनने के लिए तीर्थंकर बनना आवश्यक नहीं हैं, मोक्षगामी प्रत्येक भव्य आत्म जीव भगवान हैं। प्रश्न 175 - जब भगवान बाहुबली तीर्थंकर नहीं थे तो उनकी प्रतिमा की पूजा क्यों की जाती है? उत्तर - पंचपरमेष्ठी तीनों लोकों में पूज्य कहे गये हैं इसीलिए पंच परमेष्ठियों की प्रतिमायें अनादिकाल से पूजनीय, वंदनीय हैं। भगवान बाहुबली की गणना अरिहंत, सिद्ध की जाती है; अतः उनकी प्रतिमा भी पूज्य है। इसी प्रकार सभी मोक्षगामी जीवों की प्रतिमओं को समझना चाहिए। जैसे -राम, हनुमान आदि। प्रश्न 176 - भगवान आदिनाथ तथा महावीर भगवान का पूर्व सम्बंध बताइये। उत्तर - भगवान आदिनाथ पूर्व भव में भगवान महावीर के बाबा थे? प्रश्न 177 - भगवान महावीर का भरत चक्रवर्ती का पूर्व सम्बंध बताइये। उत्तर - पूर्व भव में भरत चक्रवर्ती भगवान महावीर के पिता थे। प्रश्न 178 - भगवान बाहुबली एवं भगवान महावीर की पूर्व पर्याय का सम्बंध बताइये। उत्तर - भगवान बाहुबली पूर्व भव में भगवान महावीर के चाचा थे। प्रश्न 179 - हमारेदेश्ज्ञ का नाम भारत कैसे पड़ा? उत्तर - भगवान आदिनाथ के प्रथम पुत्र चक्रवर्ती भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। प्रश्न 180 - इस कर्म युग में सर्वप्रथम मोक्ष जाने वाले कौन-से महापुरूष थे? उत्तर - भगवान आदिनाथ के पुत्र अनंतवीर्य। प्रश्न 181 - कितने तीर्थंकरों का जन्म उत्तर भारत में हुआ है? उत्तर - सभी तीर्थंकरों का। प्रश्न 182 - तीर्थंकर कौन से वर्ण वाले होते हैं? उत्तर - सभी तीर्थंकर क्षत्रीय वर्ण वाले होते हैं। प्रश्न 183 - कौन से तीर्थंकर के पांचों कल्याणक एक ही स्थान पर हुए और कहां? उत्तर - चम्पापुर में श्री वासुपूज्य भगवान के। प्रश्न 184 - कौन-से ऐसे तीर्थंकर हैं जिनकी प्रतिमा के चिन्ह मंगलकारी जाने जाते हैं। उत्तर - (1) श्री आदिनाथ भगवान का बैल, (2) श्री अजितनाथ भगवान का हाथी, (7) श्री सुपाश्र्वनाथ का स्वास्तिक, (10) श्री शीतलनाथ का कल्पवृक्ष (17) श्री अरहनाथ की मछली, (19) श्री मल्लिनाथ का कलश, इन तीर्थंकरों के चिन्ह लोक में मंगलकारी जाने जाते हैं। प्रश्न 185 - इस कर्मयुग के अंत में मोक्ष जाने वाले महापुरूष का नाम बताइये। उत्तर - श्री जम्बूस्वामी मथुरा से। प्रश्न 186 - श्री जम्बूस्वामी के बारे में प्रचलित लोकोक्ति क्या है? उत्तर - जम्बूस्वामी मोक्ष गये ताला दे चाबी ले गये। प्रश्न 187 - कौन से तीर्थंकरों के चिन्ह पालतु पशु जीव हैं? उत्तर - (1) श्री आदिनाथ भगवान का बैल, (2) श्री अजितनाथ भगवान का हाथी, (3) श्री सम्भव नाथ जी का घोड़ा, (12) श्री वासूपूज्य जी का भैंसा, (24) श्री कुंथुनाथ जी का बकरा। प्रश्न 188 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह पशु हैं। उत्तर - (1) श्री आदिनाथ भगवान का बैल, (2) श्री अजितनाथ भगवान का हाथी, (3) श्री सम्भव नाथ जी का घोड़ा, (4) श्री अभिनन्दन जी का बंदर, (9) श्री पुष्पदंत जी का मगर (11) श्री श्रेयासंसानाथ जी का गैंडा (12) श्री वासुपूज्य जी का भैंसा (13) श्री विमलनाथ जी का सूकर (14) श्री अनंतनाथ जी का सेही (16) श्री शांतिनाथ जी का हिरण (17) श्री कुंथुनाथ जी का बकरा (18) श्री अरहनाथ जी का मछली (20) श्री मुनिसुव्रतनाथ जी का कछुआ (23) श्री पाश्र्वनाथ जी का सर्प एवं (24) श्री महावीर स्वामी का सिंह। प्रश्न 189 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह बोझा ढोने वाले पशु हैं? उत्तर - (1) श्री आदिनाथजी का बैल (2) श्री अजितनाथजी का हाथी (3) श्री सम्भवनाथ जी का घोडा एव (12) श्री वासुपूज्य जी का भैंसा। प्रश्न 190 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह जल में रहने वाले जीव हैं? उत्तर - (6) श्री पद्मप्रभु का लाल कमल (9) श्री पुष्पदंत जी का सागर (19) श्री अरहनाथजी की मछली (20) श्री मुनिसुव्रत जी का कुछआ (21) श्री नमिनाथजी का नीलकमल। प्रश्न 191 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह निर्जीव वस्तुएं हों? उत्तर - (7) श्री सुपाश्र्वनाथ जी का स्वास्तिक (15) श्री धर्मनाथजी का वज्रदंड (16) श्री मल्लिनाथजी का कलश। प्रश्न 192 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह पक्षी है? उत्तर - (5) श्री मुमतिनाथ जी का चकवा। प्रश्न 193 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह ऐसा जीव है जिसके शरीर पर कांटे होते हैं? उत्तर - (14) श्री अनंतनाथ जी की सेही। प्रश्न 194 - ऐसे तीर्थंकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह ऐसा जीव है जिसका ऊपर भाग पत्थर के समान कठोर होता है? उत्तर - (20) श्री मुनि सुव्रतनाथ जी का कछुआ। प्रश्न 195 - ऐसे तीर्थकर का नाम बताइये जिनकी प्रतिमा का चिन्ह रेंगने वाला जीव है? उत्तर - (23) श्री पाश्र्वनाथ जी का सर्प प्रश्न 196 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह एक इन्द्रीय जीव हो? उत्तर - (6) श्री पद्मप्रभुजी का लाल कमल (10) श्री शीतलनाथ जी का कल्पवृक्ष (21) नमिनाथजी का नीलकमल। प्रश्न 197 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह दो इन्द्रीय जीव हों? उत्तर - (22) श्री नेमिनाथजी का शंख। प्रश्न 198 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनकी प्रतिमा के चिन्ह पंचेन्द्रिय जीव हों? उत्तर - (1) श्री आदिनाथजी का बैल (2) श्री अजितनाथ जी का हाथी (3) श्री सम्भवनाथजी का घोड़ा (4) श्री अभिनंदनजी का बंदर (5) श्री सुमतिनाथ जी का चकवा (9) पुष्पदंत जी का मगर (11) श्रेयांसनाथजी का गैंडा (12) वासुपूज्य जी का भैंसा (13) श्री विमलनाथजी का सूकर (14) श्री अनंतनाथ जी का सेही (16) श्री शांतिनाथजी का हिरण (17) श्री कुंथुनाथजी का बकरा (18) श्री अरहनाथजी का मछली (20) श्री मुनिसुव्रतनाथ का कछुआ (23) श्री पाश्र्वनाथ जी का सर्प एवं (24) श्री महावीरस्वामी का सिंह। प्रश्न 199 - ऐसे तीर्थंकरों के नाम बताइये जिनके पिता बनारस के राजा थे? उत्तर - सातवें श्री सुपाश्र्वनाथ एवं तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 200 - कौन-से तीर्थंकर का समवसरण सबसे बड़ा था और कितना? उत्तर - श्री आदिनाथ जी का समवसरण 12 योजन (96) विस्तृत था। प्रश्न 201 - कौन से तीर्थंकर का समवसरण सबसे छोटा था और कितना? उत्तर - 24वें श्री महावीर स्वामी का समवसरण 1 योजन अर्थात 4 कोश का था। प्रश्न 202 - तीर्थंकरों के लिए वस्त्रादि एवं भोजन की व्यवस्था कहां से होती हैं? उत्तर - तीर्थंकरों के भोजन एवं वस्त्रादि की व्यवस्था स्वर्ग से होती है। प्रश्न 203 - क्या तीर्थकर अपनी माता का दूध पीते हैं? उत्तर - तीर्थंकर अपनी माता का दूध नहीं पीते हैं। प्रश्न 204 - क्या तीर्थंकर अपने माता-पिता को नमस्कार करते हैं? उत्तर - तीर्थंकर अपने माता-पिता केा भी नमस्कार नहीं करते हैं। प्रश्न 205 - श्री सुपाश्र्वनाथ एवं पाश्र्वनाथ जी में किन-किन बातों में समानता पायी जाती है? उत्तर - निम्न बातों में समानता पायी जाती है- 1 - दोनों तीर्थंकरों का गर्भ - जन्म कल्याणक बनारस में हुआ था। 2 - दोनों तीर्थंकरों का हरित श्याम वर्ण था। 3 - दोनों तीर्थंकरों की प्रतिमाओं पर सर्प का फण पाया जाता है। 4 - दोनों तीर्थंकरों का गर्भ, जन्म, तप एवं केवलज्ञान कल्याणक विशाखा नक्षत्र में हुआ था। 5 - दोनों तीर्थंकरों ने पूर्वाण्ह काल में दीक्षा ली थी। 6 - दोनों तीर्थंकरों को मोक्ष सप्तमी तिथि को हुआ था। 7 - दोनों तीर्थंकरों को मोक्ष सम्मेदशिखर से हुआ था। jain temple154 प्रश्न 206 - मिथला नगरी में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 19 वें श्री मल्लिनाथ जी एवं 21 वें नमिनाथ जी। प्रश्न 207 - इक्ष्वाकुवंश में जन्म लेने वाले कितने तीर्थंकर थे? उत्तर - सत्रह तीर्थंकर। प्रश्न 208 - इक्ष्वाकु वंश में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये? उत्तर - (1) श्री आदिनाथ जी से लेकर अनंतनाथजी, शांतिनाथजी, श्री मल्लिनाथ जी, श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 209 - कुरूवंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया है? उत्तर - 25वें श्री धर्मनाथजी, 17वें श्री कुंथुनाथजी, 18 वें श्री अरहनाथ जी इन तीन तीर्थंकरों ने कुरू वंश में जन्म लिया है। प्रश्न 210 - यादव वंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया है? उत्तर - 20 वें मुनिसुव्रतनाथ जी एवं 22वे श्री नेमिनाथजी। प्रश्न 211 - उग्र वंश में कौन से तीर्थंकर ने जन्म लिया था? उत्तर - 23वें श्री पाश्र्वनाथ जी ने। प्रश्न 212 - श्री महावीर भगवान ने कौन से वंश में जन्म लिया था? उत्तर - नाथ वंश में। प्रश्न 213 - चैबीसों तीर्थंकरों के कुल कितने गणधर थे? उत्तर - चैबीस तीर्थंकरों के कुल चैदह सौ उनसठ गणधर थे। प्रश्न 214 - गणधर किसे कहते हैं? उत्तर - जो मुनि, भगवान की बारह सभाओं रूपी इन बारह गणों के स्वामी माने जाते हैं वे गणनायक, गणधर, गणपति, विनायक आदि नामों से जाने जाते हैं उन्हें गणधर कहते हैं। प्रश्न 215 - बारह गण कौन-कौन से हैं? उत्तर - भगवान के समवसरा में जो बारह सभायें बारह कोठे होते हैं उन्हें ही बारह गण कहते हैं। प्रश्न 216 - अशोक वृक्ष किसे कहते हैं? उत्तर - तीर्थंकर को जिस वृक्ष के नीचे केवलज्ञान होता है उसे अशोक नाम से जाना जाता है? प्रश्न 217 - अशोक नाम की सार्थकता बताइये। उत्तर - समस्त प्राणियों का शोक हरने से इस वृक्ष का अशोक नाम सार्थक है। jain temple155 प्रश्न 218 - शाल वृक्ष के नीचे कौन-कौन से तीर्थंकरों को केवलज्ञान हुआ है? उत्तर - श्री मुमतिनाथ जी व श्री पद्मप्रभु जी। प्रश्न 219 - पीपल वृक्ष के नीचे कौन-से भगवान को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री अनंतनाथ जी को। प्रश्न 220 - आम्रवृक्ष के नीचे कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री अरहनाथजी को। प्रश्न 221 - तीर्थंकरों के सबसे अधिक कल्याणक कौन-से महीने में आते हैं और कितने? उत्तर - चैत्र के महीने में सत्रह कल्याणक। प्रश्न 222 - तीर्थंकर के सबसे कम कल्याणक कौन-से महीने में आते और कितने? उत्तर - आश्विन के महीने में केवल तीन कल्याणक। प्रश्न 223 - श्री सुमतिनाथ भगवान के कौन-से तीन कल्याणक एक ही तिथि को हुए हैं? उत्तर - चैत्र शुक्ला ग्यारस को जन्म ज्ञान व मोक्ष कल्याणक। प्रश्न 224 - कौन से तीर्थंकरों के तीन कल्याणक एक ही तिथि को हुए हैं? उत्तर - (1) श्री कुंथुनाथजी के जन्म, तप एवं मोक्ष कल्याणक वैशाख शुक्ला प्रतिपदा को हुए हैं। (2) श्री शांतिनाथ जी का जन्म तप एवं मोक्ष कल्याणक ज्येष्ठ चैदस को हुए हैं। (3) श्री सुमतिनाथ जी के जन्म, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक चैत्र शुक्ला एकादशी को हुए हैं। प्रश्न 225 - ऐसे तीर्थंकरों के नाम व तिथि बताइये जिनके जन्म व तप कल्याणक एक ही तिथि को हुए हों? jain temple156 उत्तर - नाम तिथि (1) श्री आदिनाथ जी - चैत्र कृष्णा 9 (2) श्री अनंतनाथ जी - ज्येष्ठ कृष्णा 12 (3) श्री सुपाश्र्वनाथ जी - ज्येष्ठ शुक्ला 12 (4) श्री नमिनाथ जी - आषाढ कृष्णा 10 (5) श्री नेमिनाथ जी - श्रावण शुक्ला 6 (6) श्री पद्प्रभु जी - ज्येष्ठ कृष्णा 12 (7) श्री पुष्पदंत जी - मंगसिर शुक्ला 1 (8) श्री मल्लिनाथ जी - मंगसिर शुक्ला 11 (9) श्री चंदा प्रभु जी - पौष कृष्णा 11 (10) श्री पाश्र्वनाथ जी - पौष कृष्ण 11 (11) श्री शीतलनाथ जी - माघ कृष्णा 12 (12) श्री धर्मनाथ जी - माघ शुक्ला 13 (13) श्री श्रेयांसनाथ जी - फाल्गुन कृष्णा 11 (14) श्री वासुपूज्य जी - फाल्गुन कृष्णा 14 प्रश्न 226 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनके ज्ञान और मोक्ष कल्याणक एक ही तिथि को हुए हैं। उत्तर - श्री अनंत नाथ जी - चैत्र कृष्णा 30 प्रश्न 227 - उन तीर्थंकर का नाम बताइये जिनका गर्भ व मोक्ष कल्याणक एक ही तिथि को हुआ हो? उत्तर - श्री अभिनंदननाथ जी - बैशाख शुक्ला 6 प्रश्न 228 - वे कौन सी तिथियां हैं जिसमें दो तीर्थंकरों के चार कल्याणक हुए हों? उत्तर - पौष शुक्ला 11 वे चन्द्रप्रभु एवं पाश्र्वनाथ जी के जनम व तप कल्याणक हुए हैं। प्रश्न 229 - वे कौन सी तिथियां हैं जिनमें दो तीर्थंकरों के तीन कल्याणक हुए हैं? उत्तर - 1 - चैत्र कृष्णा 30 श्री अनंतनाथजी के ज्ञान व मोक्ष तथा अरहनाथ भगवान को मोक्ष हुआ था। 2 - मगसिर कृष्णा 1 मल्लिनाथ जी के जन्म व तप तथा नमिनाथ जी को केवलज्ञान हुआ था। 3 - फाल्गुन कृष्णा 1 श्री आदिनाथ जी को केवलज्ञान तथा श्रेयांसनाथ जी का जन्म व तपक ल्याणक हुआ था। प्रश्न 230 - चैबीस तीर्थंकरों के नाम व चिन्हों को बतलाने वाली पद्य बताइये। उत्तर - पद्य निम्न प्रकार है- वृषभ चिन्ह आदीश का हाथी अजित जिनेश। घोड़ा सम्भवनाथ का बन्दर अभिनदेश।।1।। चकतवा सुमति जिनेश का कमल पद्म का जान। स्वास्तिक चिन्ह सुपाश्र्व का चन्द्र चन्द्रप्रभुमान।।2।। पुष्पदंत का मगर है, शीतल कल्पवृक्षांक। गौंड जिन श्रेयांश का वासुपुज्य भैसांक।।3।। शूकरा विमल जिनेश का सेही अनंत जिनेश। धर्मनाथ का बज्र है, हिरन शांति देवेश।।4।ं। बकरा कुन्थु जिनेश का अरहनाथ की मच्छ। मलल्लिनाथ का कलश है, मुनिसुव्रत का कच्छ।।5।। नीलकमल नमिनाथ का, शंख नेमि का मान। पाश्र्वनाथ का सर्प है, सिंह वीर का मान।।6।। प्रश्न 231 - श्री ऋषभदेव की पुत्री ब्राह्मी सुन्दरी ने आर्यिका दीक्षा क्यों ली थी? उत्तर - अगले भव में स्त्री पर्याय को समाप्त करने हेतु तथा परम्परा से मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा से तीव्र वैराग्य भाव धारण कर उन कन्याओं ने आर्यिका दीक्षा ग्रहण की थी। प्रश्न 232 - भगवान ऋषभदेव को प्रथम आहार कितने दिन के उपवास के बाद प्राप्त हुआ था? उत्तर - एक वर्ष 39 दिनों के उपवास के पश्चात्। प्रश्न 233 - महावीर स्वामी ने कितने वर्ष की आयु में दीक्षा ली थी? उत्तर - 30 वर्ष की आयु में। प्रश्न 234 - भगवान महावीर को केवलज्ञान होने के बाद उनकी दिव्यध्वनि कितने दिनों बाद खिरी थी? उत्तर - 66 दिन बाद श्रावण्या बदी एकम को उनकी दिव्यध्वनि खिरी थी। प्रश्न 235 - चैबीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि के क्या नाम हैं? उत्तर - कैलाशपर्वत, चंपापुरी, पावापुरी, गिरनार और सम्मेद शिखर पर्वत से निर्वाण प्राप्त किया है। प्रश्न 236 - वह तिथि बताइये जिनमें विभिन्न तीर्थंकरों के दो कल्याणक हुए हैं। उत्तर - फाल्गुन कृष्णा 7 को श्री सुपाश्र्वनाथ तथा चन्दाप्रभु भगवान को केवलज्ञान हुआ था। प्रश्न 237 - कौन से तीर्थंकर ने पूर्व भव में कौवे के मांस का त्याग किया था? उत्तर - भगवान श्री महावीर स्वामी के जीव ने। प्रश्न 238 - कौन से तीर्थंकर का भाई कमठ था? उत्तर - भगवान श्री पाश्र्वनाथ का भाई कमठ था। प्रश्न 239 - कौन से तीर्थकर शाकाहार धर्म के प्रवर्तक थे? उत्तर - श्री आदिनाथ जी। प्रश्न 240 - कौन से तीर्थंकर ने जैन धर्म चलाया था? उत्तर - जैन धर्म अनादिनिधन है किसी तीर्थंकर ने नही चलाया। तीर्थंकर धर्म का उपदेश देते हैं। प्रश्न 241 - कौन से तीर्थंकर को बंधे हुए पशुओं को देखकर वैराग्य हुआ था ? उत्तर - भगवान श्री नेमिनाथ को। प्रश्न 242 - कौन से तीर्थंकर को क्षमा में अग्रणीय माना जाता है? उत्तर - भगवान पाश्र्वनाथ को। प्रश्न 243 - कौन से तीर्थंकरों को उल्कापात देखकर वैराग्य हुआ था? उत्तर - चार तीर्थंकरों को- 1 - श्री अजितनाथ जी 2 - श्री पुष्पदंत जी 3 - श्री अनंतनाथ जी 4 - श्री धर्मनाथ जी। प्रश्न 244 - कौन से तीर्थंकरों को जाति स्मरण से वैराग्य हुआ था? उत्तर - नौ तीर्थंकरों को जाति स्मरण से वैराग्य हुआ था- (1) श्री सुमतिनाथ जी , (2) श्री पद्मप्रभु जी , (3) श्री वासुपूज्य जी , (4) श्री शांतिनाथ जी , (5) श्री कुंथुनाथ जी , (6) श्री मुनि सुव्रतनाथजी , (7) श्री नेमिनाथ जी , (8) श्री पाश्र्वनाथ जी , (9) श्री महावीर स्वामी। प्रश्न 245 - अनित्यादि भावनाओं के चिंतवन से कौन से तीर्थंकरों को वैराग्य हुआ था? उत्तर - दो तीर्थंकरों को- (1) श्री चन्द्रप्रभु जी एवं , (2) श्री मल्लिकानाथ जी। प्रश्न 246 - मेघों का नाश देखने से कौन-से तीर्थंकरों को वैराग्य हुआ था? उत्तर - तीन तीर्थंकरों को- (1) श्री सम्भवनाथ जी , (2) श्री विमलनाथ जी , (3) श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 247 - बसंत लक्ष्मी का नाश देखकर वैराग्य प्राप्त करने वाले तीर्थंकर कौन-कौन से हैं? उत्तर - दो तीर्थंकर- (1) श्री सुपाश्र्वनाथ जी , (2) श्री श्रेयांस नाथ जी। प्रश्न 248 - गंधर्वनगर का नाश देखकर कौन-से तीर्थंकर को वैराग्य हुआ था? उत्तर - श्री अभिनंदननाथ जी को। प्रश्न 249 - कौन से तीर्थंकर की दिव्य ध्वनि 66 दिन बाद खिरी? उत्तर - भगवान महावीर की। प्रश्न 250 - मानस्तम्भ को देखकर किसका मान गलित हुआ था? उत्तर - भगवान महावीर स्वमी के समवसरण को देखकर इन्द्रभूति गौतम का मान गलित हुआ था। प्रश्न 251 - सभी धर्मों के आराध्य तीर्थंकर कौन-से हैं और कैसे? उत्तर - भगवान श्री आदिनाथ जी इस्लाम धर्म में आदम बाबा, वैदिक धर्म में अष्टम अवतार तथा जैन धर्म में प्रथम अवतार माने हैं। jain temple158 प्रश्न 252 - सबसे अधिक तप कौन-से तीर्थंकर ने किया था कितना? उत्तर - भगवान श्री आदिनाथ ने एक हजार वर्ष तक। प्रश्न 253 - सबसे कम तप कौन-से तीर्थंकर ने किया और कितना? उत्तर - भगवान श्री मल्लिनाथ जी ने केवल 6 दिन तक। प्रश्न 254 - भगवान बाहुबली ने कितना तप किया? उत्तर - 1 वर्ष तक। प्रश्न 255 - भरत चक्रवर्ती ने कितना तप किया? उत्तर - अन्तमुहूर्त तक। प्रश्न 256 - भगवान पाश्र्वनाथ के केवलज्ञान क्षेत्र को अहिक्षत्र क्यों कहते हैं? उत्तर - क्योंकि धरणेन्द्र पद्मावती ने कमठ उपर्सग निवारण करने के लिए अहि अर्थात नाग का छत्र भगवान के ऊपर लगाया था इसीलिए इस स्थान को अहिछत्र कहते हैं। प्रश्न 257 - कौन-कौन से तीर्थंकर ने रोहणी नक्षत्र में गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री आदिनाथ जी, अजितनाथ जी दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 258 - श्रवण नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 259 - रेवती नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भधारण किया? उत्तर - तीन तीर्थंकरों ने, श्री अनंतनाथ जी, श्री धर्मनाथ जी, श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 260 - अश्वनी नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री मल्लिनाथजी, श्री नमिनाथजी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 261 - विशाखानक्ष में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - श्री सुपाश्र्वनाथजी, श्री पाश्र्वनाथ जी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 262 - उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने गर्भ धारण किया? उत्तर - नेमिनाथ जी, श्री महावीर स्वामी जी इन दो तीर्थंकरों ने। प्रश्न 263 - कौन से तीर्थंकर सर्वार्थ सिद्धि से गर्भ में आये? उत्तर - श्री आदिनाथजी, श्री धर्मनाथजी, श्री शांतिनाथजी, श्री कुंथुनाथजी। प्रश्न 264 - विजय नाम के पहले अनुत्तर विमान से कौन-कौन से तीर्थंकरा गर्भ में आये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी, श्री अभिनंदननाथजी। प्रश्न 265 - पुष्पोत्तर विमान से कौन-कौन से तीर्थंकर गर्भ में आये? उत्तर - श्री श्रेयांसनाथजी, श्री अनंतनाथजी। प्रश्न 266 - चैथे अपराजित अनुत्तर विमान से कौन-कौन से तीर्थंकर गर्भ में आये? उत्तर - श्री अरहनाथजी, श्री मल्लिनाथजी, श्री नमिनाथजी, श्रीनेमिनाथ ये चार तीर्थंकर। प्रश्न 267 - रोहिणी नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों का जन्म हुआ? उत्तर - (1) श्री अजितनाथ जी , (2) श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 268 - चित्रा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों का जन्म हुआ? उत्तर - (1) श्री पद्मप्रभुजी , (2) श्री नेमिनाथजी। jain temple159 प्रश्न 269 - विशाखा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों का जन्म हुआ? उत्तर - (1) श्री सुपाश्र्वनाथ जी , (2) श्री वासुपूज्य जी , (3) श्री पाश्र्वनाथजी, इन तीन तीर्थंकरों का। प्रश्न 270 - श्रवण नक्षत्र में कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया? उत्तर - (1) श्री श्रेयांस नाथजी , (2) श्री मुनिसुव्रतनाथजी। प्रश्न 271 - कितने तीर्थंकरों ने इक्ष्वांकु वंश में जन्म धारण किया? उत्तर - सोलह तीर्थंकरों ने। प्रश्न 272 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने इक्ष्वाकु वंश में जन्म धारण किया? उत्तर - पहले श्री आदिनाथ जी से लेकर चैदहवें अनंतनाथ जी तक 14 तीर्थंकरा, (14) श्री मल्लिनाथजी , (16) नमिनाथ जी। प्रश्न 273 - कुरू वंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया? उत्तर - (1) श्री धर्मनाथ जी , (2) श्री कुंथुनाथजी , (3) श्री अरहनाथजी ने। प्रश्न 274 - यादव वंश में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने जन्म लिया? उत्तर - श्री मुनिसुव्रतनाथजी, श्री नेमनाथजी ने। प्रश्न 275 - चित्रा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ग्रहण की? उत्तर - छठवें पद्मप्रभु जी, बाइसवें श्री नेमिनाथ जी ने। प्रश्न 276 - विशाखा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - सातवें श्री सुपाश्र्वनाथजी, बारहवें श्री विमलनाथ जी, तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी ने। प्रश्न 277 - अनुराधा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - आठवें श्री चन्दा प्रभु जी, नौवें पुष्पदंत जी ने। प्रश्न 278 - श्रवण नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथजी, बीसवें श्री मुनिसुव्रतनाथजी ने। jain temple160 प्रश्न 279 - रेवती नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - चैदहवें श्री अनंतनाथजी, अठारहवें श्री अरहनाथ जी ने। प्रश्न 280 - अश्वनी नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - उन्नीसवें श्री मल्लिकानाथ जी, इक्कीसवें श्री नमिनाथ जी ने। प्रश्न 281 - सहेतुक वन में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - दूसरे श्री अजितनाथ जी, तीसरे श्री अभिनंदन नाथ जी, पांचवें श्री सुमतिनाथजी, सातवें श्री सुपाश्र्वनाथजी, दसवें श्री शीतलनाथ जी, तेरहवें श्री विमलनाथ जी, चैदहवें श्री अनंतनाथ जी, सत्रहवें श्री कुंथुनाथ जी, अठारहवें श्री अरहनाथ जी ने। प्रश्न 282 - मनोहर वन में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - छटवें श्री पद्मप्रभु जी, ग्यारहवें श्री शीतलनाथ जी, बाहरवें श्री वासुपूज्य जी ने। प्रश्न 283 - शाल वन में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - पन्द्रहवें श्री धर्मनाथ जी, उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी ने। प्रश्न 284 - कितने तीर्थंकरों को जाति स्मरण से वैराग्य हुआ था? उत्तर - दस तीर्थंकरों को। प्रश्न 285 - उन तीर्थकरों के नाम बताओ जिन्हें जाति-स्मरण से वैराग्य हुआ था? jain temple161 उत्तर - 1 - पांचवें श्री सुमतिनाथजी 2 - छठवें श्री पद्मप्रीाु जी 3 - बारहवें श्री वासुपूज्य जी 4 - सोलहवें श्री शांतिनाथ जी 5 - स्वत्रहवें श्री कुंथुनाथ जी 6 - बीसवें श्री मुनिसुव्रत जी 7 - इक्कीसवें श्री नमिनाथ जी 8 - बाइसवें श्री नेमनाथ जी 9 - तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी 10 - चैबीसवें श्री वर्द्धमान जी। प्रश्न 286 - उन तीर्थंकारों के नाम बताइये जिन्हें बसंत वन लक्ष्मी के नाश से वैराग्य हुआ था? उत्तर - सातवें श्री सुपाश्र्वनाथ जी, ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथजी ने। प्रश्न 287 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्हें अधुवादि भावना से वैराग्य हुआ था? उत्तर - (1) आठवें श्री चंदा प्रभू जी , (2) उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी। प्रश्न 288 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्हें बिजली गिरने (उल्कापात) से वैराग्य हुआ था? उत्तर - (1) नौवें श्री पुष्पदंत जी , (2) चैदहवें श्री अनंतनाथ जी (3) पन्द्रहवें श्री धर्मनाथ जी। प्रश्न 289 - मेघनाश से कौन-कौन से तीर्थंकरों को वैराग्य हुआ था? उत्तर - 1 - तीसरे श्री सम्भवनाथ जी 2 - तेरहवें श्री विमलनाथ जी 3 - अठारहवें श्री अरहनाथ जी को। प्रश्न 290 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने अपराह्न काल में दीक्षा धारण की? उत्तर - (1) प्रथम श्री आदिनाथ जी , (2) दूसरे श्री अजितनाथ जी , (3) तीसरे श्री सम्भवनाथ जी , (4) छठे श्री पद्मप्रभु जी , (5) आठवें श्री चंदा प्रभू जी , (6) नोवें श्रीपुष्पदंत जी , (7) दसवें श्री शीतलनाथ जी , (8) बारहवें श्री वासुपूज्य जी , (9) तेरहवे श्री विमलनाथ जी , (10) चैदहवें श्री अनंतनाथ जी , (11) पन्द्रहवें श्री धर्मनाथ जी , (12) सोलहवें श्री शांतिनाथ जी , (13) सत्रहवें श्री कुंथुनाथ जी , (14) अठारहवें श्री अरहनाथ जी , (15) बीसवें श्री मुनिसुव्रत जी , (16) इक्कीसवें श्री नमिनाथ जी , (17) बाइसवें श्री नेमिनाथ जी , (18) चैबीसवें श्री महावीर स्वामी जी। , प्रश्न 291 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने पूर्वाह्न काल में दीक्षा ली? उत्तर - (1) चैथे श्री अभिनंदननाथ जी , (2) पांचवें श्री सुमतिनाथजी , (3) सातवें श्री सुपाश्र्वनाथ जी , (4) ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथ जी , (5) श्री उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी , (6) तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 292 - कौन से तीर्थंकर ने अकेले दीक्षा ली। उत्तर - श्री महावीर स्वामी ने। प्रश्न 293 - चार हजार राजाओं के साथ कौन-से तीर्थंकर ने दीक्षा ली? उत्तर - भगवान श्री आदिनाथ ने। प्रश्न 294 - एक हजार राजाओं के साथ कितने तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - उन्नीसवें तीर्थंकरों ने। प्रश्न 295 - उन तीर्थंकरों के नाम बताइये जिन्होंने एक हजारा राजाओं के साथ दीक्षा ली? उत्तर - श्री अजितनाथ से श्रेयांसनाथ तक, श्री विमलनाथ से अरहनाथ तक, श्री मुनिसुव्रतनाथ से नेमिनाथ तक सभी तीर्थंकरों ने। प्रश्न 296 - तीन सौ राजाओं के साथ कौन-कौन से तीर्थंकरों ने दीक्षा ली? उत्तर - (1) उन्नीसवें श्री मल्लिनाथ जी (2) तेइसवें श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 297 - सबसे अधिक तपस्या कौन से तीर्थंकर ने की? उत्तर - श्री आदिनाथ जी ने एक हजार वर्ष तक। jain temple162 प्रश्न 298 - सबसे कम तपस्या कौन-से तीर्थंकर ने की। उत्तर - श्री मल्लिनाथ जी ने छः दिन तक। प्रश्न 299 - तीन वर्ष तक तपस्या करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री शीतलनाथ जी, श्री विमलनाथ जी। प्रश्न 300 - सोलह वर्ष तक तप करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री शांतिनाथ जी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी। प्रश्न 301 - बारह वर्ष तक तपकरने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी, श्री महावीर स्वामी। प्रश्न 302 - एक दीक्षोपवास कौन-से तीर्थंकर ने किया था? उत्तर - भगवान श्री वासुपूज्य ने। प्रश्न 303 - तीन दीक्षोपवास करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री सम्भवनाथ जी, श्री अभिनंदननाथ जी, श्री सुमतिनाथ जी, श्री चंदाप्रभू जी, श्री शीतलनाथ जी, श्री विमलनाथ जी, श्री शांतिनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी। प्रश्न 304 - तीन भक्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी, श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री पुष्पदंत जी, श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री अनंतनाथ जी, श्री धर्मनाथ जी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी, श्री नमिनाथ जी, श्री नेमिनाथ जी, श्री महावीर स्वामी जी। प्रश्न 305 - षष्ठोपवास करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री आदिनाथ जी। प्रश्न 306 - षष्ठ भक्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री अरहनाथ जी, श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 307 - अष्टम भक्त करने वाले तीर्थंकर का नाम बताइये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी। प्रश्न 308 - कौन-कौन से तीर्थंकरों को पूर्वाह्न काल में केवलज्ञान हुआ? उत्तर - श्री आदिनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी, श्री नेमिनाथ जी, श्री पाश्र्वनाथ जी, श्री वर्धमान जी। प्रश्न 309 - अपराह्न काल में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले कौन-से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री अजितनाथ से मल्लिनाथ तक 18 तीर्थंकर तथा श्री नमिनाथ जी ऐसे उन्नीस तीर्थंकरों को उपराह्न काल में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई। प्रश्न 310 - सहेतुकवन में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री अजितनाथ जी, श्री सम्भवनाथ जी, श्री सुमतिनाथ जी, श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री शीतलनाथ जी, श्री विमलनाथ जी, श्री अनंतनाथ जी, श्री धर्मनाथ जी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी, इन दश तीर्थंकरों को सहेतुक वन में केवलज्ञान हुआ था। प्रश्न 311 - मनोहर वन में केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी, श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री वासुपूज्य जी, श्री मल्लिनाथ जी। प्रश्न 312 - उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री आदिनाथ जी, श्री विमलनाथ जी। प्रश्न 313 - चित्रानक्षत्र में कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी, श्री नेमिनाथ जी। प्रश्न 314 - विशाखा नक्षत्र में कौन-कौन से तीर्थंकरों को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री वासुपूज्य जी, श्री पाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 315 - श्रवण नक्षत्र में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। jain temple164 उत्तर - श्री श्रेयांसनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी। प्रश्न 316 - रेवती नक्षत्र में कौन से तीर्थंकरों को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री अनंतनाथ जी तथा श्री अरहनाथ जी को। प्रश्न 317 - अश्वनी नक्षत्र में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले कौन से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री मल्लिनाथ जी, एवं श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 318 - शाल वृक्ष के नीचे कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री सम्भव नाथ जी एवं श्री महावीर भगवान को। प्रश्न 319 - प्रियंगु वृक्ष के नीचे कौन-से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था? उत्तर - श्री सुमतिनाथ जी एवं श्री पद्मप्रभु जी को। प्रश्न 320 - अशोक वृक्ष के नीचे कौन से तीर्थंकर ने केवलज्ञान प्राप्त किया? उत्तर - श्री मल्लिनाथ जी ने। प्रश्न 321 - पूर्वाह्न काल में कितने तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था? उत्तर - आठ तीर्थंकरों ने। प्रश्न 322 - पूर्वाह्न काल में कौन-कौन से तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया? उत्तर - (1) श्री आदिनाथ जी , (2) श्री अजितनाथ जी , (3) श्री अभिनंदननाथ जी , (4) श्री सुमतिनाथ जी , (5) सुपाश्र्वनाथ जी , (6) श्री चंदाप्रभु जी , (7) श्री शीतलनाथ जी , (8) श्री श्रेयांसनाथ जी ने। प्रश्न 323 - अपराह्न काल में कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - चार तीर्थंकर। प्रश्न 324 - उपराह्न काल में मोक्ष प्राप्त करने वाले कौन-कौन से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री सम्भवनाथ जी, श्री पद्मप्रभु जी, श्री पुष्पदंत जी, श्री वासुपूज्य जी। प्रश्न 325 - प्रदोष काल में कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - आठ तीर्थंकर। प्रश्न 326 - प्रदोषकाल में मोक्ष जाने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - (1) श्री विमलनाथ जी , (2) श्री अनंतनाथ जी , (3) श्री शांतिनाथ जी , (4) श्री कुंथुनाथ जी , (5) श्री मल्लिनाथ जी , (6) श्री मुनिसुव्रतनाथ जी , (7) श्री नेमनाथ जी , (6) श्रीपाश्र्वनाथ जी। प्रश्न 327 - प्रत्यूष अर्थात् ऊषाकाल में कितने तीर्थंकर मोक्ष गये? उत्तर - चार तीर्थंकर। प्रश्न 328 - चारों तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - 1. श्री धर्मनाथ जी , 2. श्री अरहनाथ जी , 3. श्री नमिनाथ जी , 4. श्री वीर जी। प्रश्न 329 - भरणीनक्षत्र में मोक्षगामी तीर्थंकरों के नाम बताइये? उत्तर - श्री अजितनाथ, श्री शांतिनाथ जी, श्री मल्लिनाथ जी। प्रश्न 330 - ज्येष्ठा नक्षत्र में मोक्षगामी तीर्थंकरों के नाम बताओ। उत्तर - (1) श्री सम्भवनाथ जी , (2) श्री चंदाप्रभु जी। प्रश्न 331 - चित्रा नक्षत्र में मोक्ष प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों के नाम बताओ। उत्तर - श्री पद्मप्रभु जी एवं श्री नेमिनाथ जी। प्रश्न 332 - अश्वनी नक्षत्र में मोक्ष जाने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइये। उत्तर - श्री वासुपूज्य जी, श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 333 - पुष्य नक्षत्र में मोक्ष जाने वाले तीर्थंकरों के नाम क्या हैं? उत्तर - श्री धर्मनाथ जी। प्रश्न 334 - कितने तीर्थंकरों एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष गये? उत्तर - बारह तीर्थंकर प्रश्न 335 - कौन-कौन से तीर्थंकर एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष गये? उत्तर - श्री अजितनाथ जी से सुमतिनाथ जी तक सभी। चंदाप्रभु जी से लेकर श्रेयांसनाथ तक सभी, श्री कुंथुनाथ जी, श्री अरहनाथ जी, श्री मुनिसुव्रतजी, श्री नमिनाथ जी। प्रश्न 336 - पांच सौ मुनियों के साथ मोक्ष जाने वाले कौन-से तीर्थंकर थे? उत्तर - श्री सुपाश्र्वनाथ जी, श्री मल्लिकानाथ जी। प्रश्न 337 - कौन से तीर्थंकर अकेले मोक्ष गये? उत्तर - श्री महावीर स्वामी। प्रश्न 338 - एक महीने पहले भोग निवृत्ति कौन से तीर्थंकरों की हुई? उत्तर - श्री अजितनाथ से लेकर पाश्र्वनाथ तक सभी की। प्रश्न 339 - चैदह दिन पूर्व भोग निवृत्ति कौन-से तीर्थंकर की हुई थी? उत्तर - श्री आदिनाथ जी की। प्रश्न 340 - दो दिन पूर्व भोगवृत्ति वाले तीर्थंकर कौन थे? उत्तर - श्री महावीर भगवान।
।। नव देवता ।। प्रश्न 1 - नव देवता कौन-कौन से हैं? उत्तर - 1 - अरिहंत , 2 - सिद्ध , 3 - आचार्य , 4 - उपाध्याय , 5 - साधु , 6 - जिनधर्म , 7 - जिन चैत्य एवं जिन चैत्यालय jain temple136 प्रश्न 2 - जिन धर्म किसे कहते हैं? उत्तर - जिनेन्द्र भगवान की ध्वनि (वाणी) को जिन धर्म कहते हैं। प्रश्न 3 - जिन आगम किसे कहते हैं? उत्तर - भगवान की वाणी के अनुसार गणधर एवं आचार्यों के वचनों के अनुसार जिन शास्त्रों की रचना होती है। उन शास्त्रों को जिनआगम कहते हैं। प्रश्न 4 - जिन आगम को कितने भागों में विभाजित किया गया है? उत्तर - वैसे तो जिन आगम को ग्यारह अंगों तथा चैदह पूर्वों में विभाजित किया गया है। फिर भी चार अनुयोगों में भी जिनागम को कहा गया है। प्रश्न 5 - जिन चैत्य किसे कहते हैं? उत्तर - जिनेन्द्र भगवान की प्रतिमा को जिन चैत्य कहते हैं। प्रश्न 6 - जिन चैत्यालय किसे कहते हैं? उत्तर - जिन प्रतिमा जिस स्थान पर रहती है उस स्थान को चैत्यालय कहते हैं। प्रश्न 7 - जिन चैत्यालय के कुछ अन्य नाम बताइये। उत्तर - घर वाचक शब्दों के आगे जिन शब्द जोड़ देने से जिन सदन चैत्यालय के नाम बन जाते हैं जैसे - जिनगृह, जिन सदन, जिन चैत्यालय, जिन मंदिर, जिन भवन, जिन गेह, जिन आलय आदि। प्रश्न 8 - जिन चैत्यालय कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर - अकृत्रिम शास्वत जिनालय, देवकृत जिलानय एवं मानव निर्मित जिनालय इस प्रकार जिन चैत्यालय तीन प्रकार के होते हैं? प्रश्न 9 - अकृत्रिम जिनालय कहां-कहां हैं? उत्तर - तीनों लोकों में अकृत्रिम जिनालय हैं। प्रश्न 10 - तीनों लोकों में कितने अकृत्रिम जिनालय माने गये हैं? उत्तर - तीनों लोकों में आठ करोड़ छप्पन लाख सतानवे हजार चार सौ इक्यासी अकृत्रिम जिन मंदिर हैं। प्रश्न 11 - तीनों लोकों के अकृत्रिम जिनमन्दिरों में प्रतिमाओं की संख्या कितनी है? उत्तर - तीनों लोकों में नौ सौ पच्चीस करोड़ त्रेपनलाख सत्ताइस हजार नौ सौ अड़तालिस जिन प्रतिमायें हैं। प्रश्न 12 - प्रत्येक अकृत्रिम जिनालय में कितनी प्रतिमायें होती हैं? उत्तर - प्रत्येक अकृत्रिम जिनालय में एक सौ आठ जिन प्रतिमायें होती हैं। jain temple137 प्रश्न 13 - अकृत्रिम प्रतिमाओं का क्या प्रमाण है? उत्तर - अकृत्रिम जिनालयों में पांच सौ धनुष ऊंची पद्मासन प्रतिमायें विराजमान रहती हैं। प्रश्न 14 - पांच सौ धनुष में कितने हाथ होते हैं? उत्तर - पांच सौ धनुष में दो हजार हाथ होते हैं। प्रश्न 15 - अकृत्रिम जिनालयों में कौन-से भगवान की प्रतिमायें विराजमान रहती हैं? उत्तर - अकृत्रिम जिनालयों में विराजमान प्रतिमाओं को सिद्ध संज्ञा क्यों है? प्रश्न 16 - अकृत्रिम जिनालयों में विराजमान प्रतिमओं को सिद्ध संज्ञा क्यों है? उत्तर - क्योंकि ये प्रतिमायें अनादि निधन शाश्वत सिद्ध हैं कभी किसी ने बनाई नहीं कभी नष्ट भी नहीं होगी। इसीलिए उन्हें सिद्ध संज्ञा है। प्रश्न 17 - अकृत्रिम मंदिर किसे कहते हैं? उत्तर - जो मन्दिर अनादि काल से बने हुए हैं अनंत काल तक रहेंगे कभी किसी ने उन्हें बनाया नहीं उन्हें अकृत्रिम जिनालय कहते हैं। प्रश्न 18 - अधो लोक में अकृत्रिम जिन मंदिरों की संख्या सताइये। उत्तर - अधो लोक में सात करोड़ बहत्तर लाख जिन मंदिर हैं जो भवनवासी देवों के हैं। प्रश्न 19 - पाताल (अधोलोक) में जिन प्रतिमाओं की संख्या बताइये। उत्तर - अधो लोक में आठा अरब तैंतीस करोड़ छियत्तर लाख जिन बिम्ब विराजमान हैं। प्रश्न 20 - मध्यलोक में कितने अकृत्रिम जिनालय हैं? उत्तर - मध्यलोक में चार सौ अट्ठावन अकृत्रिम जिनालय है। प्रश्न 21 - मध्यलोक में ये जिनालय कहां तक फैले हुए हैं? उत्तर - मध्यलोक में ये चार सौ अट्ठावन जिनालय तेरह द्वीपों तक फैले हुए हैं। प्रश्न 22 - जम्बूद्वीप में कितने अकृत्रिम जिनालय हैं। उत्तर - जम्बूद्वीप में अट्ठत्तर अकृत्रिम जिनालय हैं। प्रश्न 23 - जम्बूद्वीप में अठत्तर जिनालय किस प्रकार हैं? उत्तर - जम्बूद्वीप में अठत्तर जिनालययों की गणना निम्न प्रकार है- सुमेरू पर्वत के 16, गजदन्तों के 4, जम्बूशाल्मलि वृक्ष के 2, वक्षार पर्वतों के 16, विजयार्ध पर्वतों के 34, तथाा छः कुलाचलों के 6 इस प्रकार जम्बूद्वीप में कुल 78 जिनालय होते हैं। प्रश्न 24 - घातकी खंड में कुल कितने जिनालय होते हैं? उत्तर - घात की खंड में कुल 158 जिनालय होते हैं। jain temple138 प्रश्न 25 - घात की खंड में 158 जिनालय किस प्रकार हैं? उत्तर - घातकी खंड में 2 मेरू हैं विजय मेरू एवं अचल मेरू एक मेरू सम्बंधित 78 जिनालय होते हैं; अतः दो मेरूओं के 156 जिनालय हुए तथा दो जिनालय इष्वाकार पर्वतों के होते हैं। प्रश्न 26 - पुष्करवर द्वीप में कितने जिनालय हैं? उत्तर - तीसरे पुष्करार्ध द्वीप में भी घातकी खंड द्वीप के समान 158 अकृत्रिम जिनालय हैं। प्रश्न 27 - मानषोत्तर पर्व पर कितने जिनालय होते हैं? उत्तर - मानषोत्तर पर्व की चारों दिशाओं में एक-एक जिनालय कुल चार जिनालय हैं। प्रश्न 28 - नंदीश्वर द्वीप में कितने अकृत्रिम जिनालय होते हैं? उत्तर - नंदीश्वर द्वीप की चारों दिशाओं 13, 13 के हिसाब से 13 गुण 4 = कुल बावन जिनालय होते हैं। प्रश्न 29 - नंदीश्वर द्वीप के जिनालयों की गणना किस प्रकार की जाती है? उत्तर - नंदीश्वर द्वीप की एक दिशा के जिनालयों की गणना इस प्रकार है। 1 अंजन गिरी, 4 रतिकर एवं 8 दधि मुख पर्वतों पर प्रत्येक पर एक-एक जिन मंदिर विराजमान है। इस प्रकार 1 दिशा में 13 जिनालय हैं। इसी प्रकार पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण प्रत्येक दिशा में 13-13 जिन मंदिर हैं कुछ 52 जिन मंदिर नंदीश्वर द्वीप में हैं। प्रश्न 30 - कुंडलगिरि पर्वत पर कितने अकृत्रिम जिनमन्दिर हैं? उत्तर - कुंडलगिरि पर्वत पर केवल चार जिनालय हैं। प्रश्न 31 - रूचक गिरि पर्वत पर कुल कितने जिनालय हैं? उत्तर - रूचकगिरि पर भी केवल चार जिनालय हैं। प्रश्न 32 - मध्यलोक के चार सौ अट्ठावन जिन मंदिरों की गणना कराइये। उत्तर - जम्बूद्वीप में 78, पूर्व धातकी द्वीप में 78, पश्चिम धातकी द्वीप में 78, इष्वाकार के 2, पूर्व पुष्करार्ध के 78, पश्चिम पुष्करार्ध के 78, इष्वाकार के 2, मानषोत्तर पर्वत के 4, नंदीश्वर द्वीप के 52, कुंडलगिरि के 4, रूचक गिरी के 4, कुल 458 जिन मंदिर। प्रश्न 33 - मेरू पर्वत किसे कहते हैं? उत्तर - जो पर्वत मध्य में विराजमान रहते हैं उन्हें मेरू पर्वत कहते हैं। प्रश्न 34 - मेरू पर्वतों की विशेषता बताइये। उत्तर - मेरू पर्वतों की सर्वोच्च पांडुक वन में जो अर्ध चन्द्रकार पांडुक शिालायें हैं उन पर पांच पांच ऐरावत एवं एक सौ साठ विदेह क्षेत्रों में जन्में तीर्थंकरों का जन्माभिषेक देवों द्वारा होता है। प्रश्न 35 - मेरू पर्वत कितने हैं? उत्तर - मेरू पर्वत पांच हैं। प्रश्न 36 - कौन-सा मेरू पर्वत कहां कहां स्थित है? उत्तर - सुदर्शन मेरू पर्वत जम्बूद्वीप में, विजय मेरू पर्वत पूर्वी धातकी द्वीप में, अचल मेरू पश्चिम धातकी द्वीप में, मन्दर मेरू पूर्वी पुष्करार्धद्वीप में, एवं विद्युन्माली मेरू पश्चिम पुष्करार्ध द्वीप में स्थित है। jain temple139 प्रश्न 37 - एक मेरू से सम्बंधित कितने जिनालय होते हैं? उत्तर - एक मेरू से सम्बन्धित 78 जिनालय होते हैं। प्रश्न 38 - ढाई द्वीप में कितने जिनालय हैं। उत्तर - ढाई द्वीप में 398 जिनालय हैं। प्रश्न 39 - अधोलोक में असुर कुमार देवों के कितने जिनालय हैं? उत्तर - अधोलोक में असुर कुमार देवों के चैसठ लाख जिनालय हैं। प्रश्न 40 - नाग कुमाार देवों के जिनालयों की संख्या बताइये। उत्तर - नाग कुमार देवों के 84 लाख जिनालय हैं। प्रश्न 41 - सुपर्ण कुमार देवों के जिनायों की संख्या बताइये। उत्तर - सुपर्ण कुमार देवों के 72 लाख जिनालय हैं। प्रश्न 42 - द्वीप कुमार देवें के यहां कितने जिनालय हैं? उत्तर - द्वीप कुमार देवों के यहां 76 लाख जिनालय हैं। प्रश्न 43 - उदधि कुमार देवों के यहां कितने जिनालय हैं? उत्तर - उदधि कुमार देवचों के यहां 76 लाख जिनालय हैं। प्रश्न 44 - स्तनित कुमार देवों के यहां कितने जिनालय हैं? उत्तर - स्तनित कुमार देवों के यहां 76 लाख जिलालय हैं। प्रश्न 45 - विद्युत कुमार देवों के यहां कितने जिनालय है? उत्तर - विद्युत कुमार देवों के यहां 76 लाख जिनालय हैं। प्रश्न 46 - दिक् कुमार देवों के यहां कितने जिनालय हैं? उत्तर - दिक् कुमार के यहां 76 लाख जिनालय हैं। प्रश्न 47 - अग्नि कुमार देवों के यहां कितने जिनालय हैं? उत्तर - अग्नि कुमार देवों के यहां 76 लाख जिनालय है। jain temple140 प्रश्न 48 - वायु कुमार देवों के यहां के जिनालयों की संख्या बताइये। उत्तर - वायु कुमार देवों के यहां 93 लाख जिनालय हैं। प्रश्न 49 - ज्योतिषी देव कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर - ज्योतिषी देव पांच प्रकार के होते हैं। प्रश्न 50 - ज्योतिषी देवों के पांच प्रकार कौन-कौन से हैं? उत्तर - सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र एवं तारे ये पांच प्रकार हैं। प्रश्न 51 - ज्योतिषी देवों के कितने विमान हैं? उत्तर - प्रतयेक ज्योतिषी देवों के असंख्यात विमान हैं। प्रश्न 52 - ज्योतिषी देवों के विमान कहां-कहां स्थित हैं? उत्तर - मध्यलोक में असंख्यात द्वीप समुद्र हैं उन असंख्यात द्वीप समुद्रों के ऊपर 790 योजन की ऊंचाई से लेकर 900 योजन की ऊंचाई तक ज्योतिषी देवों के विमान हैं। प्रश्न 53 - ज्योतिषी देवों के विमानों की विशेषता बताइये। उत्तर - ढाई द्वीपों तक ज्योतिषी विमान पांच मेरूओं की परिक्रमा करते हैं, जिससे दिन-रात होते हैं, ढाई द्वीप के बाहर ये विमान चलते नहीं हैं स्थिर हैं। प्रश्न 54 - इन विमानों को ज्योतिषी क्यों कहते हैं? उत्तर - ये विमान सूर्य और चन्द्रमा आदि चमकते हैं जिनसे प्रकाश निकलता है इसीलिए इन्हें ज्योतिषी संज्ञा है। प्रश्न 55 - ज्येातिषी देवों के यहां कितने अकृत्रिम जिनायल हैं? उत्तर - प्रत्येक ज्योतिषी देवों के असंख्यात द्वीपों में ऊपर स्थित असंख्यातों विमानों में असंख्यात जिनालय हैं। प्रश्न 56 - ढाई द्वीप में कितने चन्द्र विमान में कितने जिनालय हैं? उत्तर - ढाई द्वीप में 132 चन्द्र विमान में 132 जिनालय हैं। प्रश्न 57 - ढाई द्वीप में सूर्य विमान में कितने जिनालय हैं? उत्तर - ढाई द्वीप 132 सूर्य विमान में स्थित 132 जिनालय हैं। प्रश्न 58 - ढाई द्वीप में ग्रह विमानों में स्थित जिनालयों की संख्या बताइये। उत्तर - ढाई द्वीपों में एक-एक चन्द्र विमान के 88 ग्रह विमान होते हैं। इस प्र्रकार 132 गुण 88 = 11616 ग्रह विमानों में इतने ही जिनालय हैं। प्रश्न 59 - ढाई द्वीपों में नक्षत्र विमानों में स्थित जिनालयों की संख्या बताइये। उत्तर - ढाई द्वीपों में एक चन्द्र विमान के 28 नक्षत्र माने जाते हैं। इस प्रकार कुल 3696 नक्षत्र विमानों में इतने ही जिनालय हैं। प्रश्न 60 - ढाई द्वीपों में प्रकीर्णक विमानों में स्थित जिनालयों की संख्या बताइये। उत्तर - ढाई द्वीपों में एक-एक चन्द्र विमान के 66975 प्रर्कीणक विमान हैं। अतः 132 का गुणा करने पर 8840700 प्रकीर्णक विमान में इतने ही जिनालय हैं। jain temple141 प्रश्न 61 - व्यंतर देव कितने प्रकार के हैं? उत्तर - व्यंतर देव आठ प्रकार के हैं। प्रश्न 62 - व्यंतर देव की आठ जातियों के नाम बताइये। उत्तर - किन्नर, किंपुरूष, महोरग, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, भूत एवं पिशास। प्रश्न 63 - व्यंतर देवों के यहां कितने जिनालय हैं? उत्तर - प्रत्येक प्रकार के व्यंतर देवों के यहां असंख्यात जिनालय हैं। प्रश्न 64 - उध्र्व लोक में जिनालयों की संख्या बताइये। उत्तर - उध्र्वलोक में वैमानिक देवों के यहां चैरासी लाख सत्तानवे हजार तेइस जिनालय हैं। प्रश्न 65 - सौधर्म ऐशान कल्प विमान में कितने जिनालय हैं? उत्तर - सौधर्म ऐशान कल्प में साठ लाख जिनालय हैं। प्रश्न 66 - सानत्कुमर माहेन्द्र कल्प में कितने जिनालय हैं? उत्तर - सानत्कुमार में बारह लाख माहेन्द्र में आठ लाख कुल बीस लाख जिनालय हैं। प्रश्न 67 - ब्रह्म ब्रह्मोत्तर स्वर्ग में कितने शाश्वत जिनालय हैं। उत्तर - ब्रह्मत्तर स्वर्ग में चार लाख जिनालय हैं। प्रश्न 68 - लांतव कापिष्ठ स्वर्ग में कितने जिनगृह हैं? उत्तर - लांतव कापिष्ठ स्वर्ग में पचास हजार जिनगृह हैं। प्रश्न 69 - शुक्र महाशुक्र स्वर्ग में कितने जिनमंदिर हैं? उत्तर - शुक्र महाशुक्र स्वर्ग में चालीस हजार जिनमन्दिर हैं। प्रश्न 70 - शतार सहस्त्रार स्वर्ग में जिनालयों की संख्या बताइये। उत्तर - इन दो स्वर्गों में छः हजार जिनालय हैं। प्रश्न 71 - आनत प्राणत आरण अच्युत चार स्वर्गों में जिन मन्दिरों की संख्या बताइये। उत्तर - इन चार स्वर्गों में 700 जिनालय हैं। jain temple142 प्रश्न 72 - नव ग्रैवेयकों में जिनमन्दिरों की संख्या कितनी है? उत्तर - नव ग्रैवयकों में तीन सौ नौ जिनमंदिर हैं। प्रश्न 73 - नव अनुदिशों में कितने जिनमंदिर हैं? उत्तर - नव अनुदिशाों में केवल नौ जिनमंदिर हैं। प्रश्न 74 - पांच अनुत्तर विमानों में कितने जिनालय हैं? उत्तर - पांच अनुत्तर विमानों में केवल पांच जिनमंदिर हैं। प्रश्न 75 - नव देवताओं में से अधोलोक में कितने देवता होते हैं? उत्तर - अध्रोलोक में भवनवासी देवों के भवनों में केवल दो ही देवता जिनचैतय तथा जिन चैत्यालय होते हैं। प्रश्न 76 - उध्र्वलोक में कितने दवता होेते हैं? उत्तर - उध्र्वलोक में भी केवल जिन चैतय तथा जिन चैत्यालय ये दो देवता होते हैं। प्रश्न 77 - मध्य लोक में कितने देवता होते हैं? उत्तर - मध्य लोक में ढाई द्वीपों तक नवदेवता होते हैं ढाई द्वीप से बाहर-तेरह द्वीपों तक केवल दो जिन चैत्य, जिन चैत्यालय दो ही देवता होते हैं। प्रश्न 78 - ढाई द्वीपों में नवदेवता कहां-कहां हैं? उत्तर - ढाई द्वीप की 170 कर्म भूमियों में, पांच भरत, पांच ऐरावत तथा 160 विदेह की कर्मभूमियों में पूरे नवदेवता होते हैं। प्रश्न 79 - विदेह एवं भ्रत ऐरावत के नवदेवों में क्या अंतर है? उत्तर - विदेह क्षेत्रों में सदा चतुर्थकाल (कर्मकाल) प्रवर्तमान रहने से वहां नवदेवता सदा रहते हैं। पांच भरत, पांच ऐरावत क्षेत्रों में षट्काल परावर्तन होने से क्रमशः कर्मकाल आने से ही नवदेवता पूरे रहते हैं बाकी समयों में नहीं। प्रश्न 80 - भरत ऐरावत क्षेत्रों चतुर्थकाल को छोड़कर शेष समयों में कितने देवता रहते हैं। उत्तर - बाकी समयों में एक से तीन तक देवताओं का अभाव रहता है। पांचवें से छठे तक आचार्य, उपाध्याय साधु जिनागम, जिन चैत्य, चैत्यालय ये छः देवता रहते हैं। प्रश्न 81 - वर्तमान समय में अपने भरत क्षेत्र में नव देवताओं में से कितने है? उत्तर - इस भरत क्षेत्र में भी वर्तमान में 1 - आचार्य 2 - उपाध्याय 3 - साधु 4 - जिनधर्म 5 - जिनागम 6 - जिनचैत्य एवं चैत्यालय ये सात हैं।?