HAVE YOU EVER THOUGHT ? Who Are You ? A Doctor ? An Engineer ? A Businessman ? A Leader ? A Teacher ? A Husband ? A Wife ? A Son ? A Daughter are you one, or so many ? these are temporary roles of life who are you playing all these roles ? think again ...... who are you in reality ? A body ? A intellect ? A mind ? A breath ? you are interpreting the world through these mediums then who are you seeing through these mediums. THINK AGAIN & AGAIN.
Sunday, 1 March 2015
देवलोक की विशिष्टता
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1. वैमानिक देवताओं के पहले स्वर्ग में 32 लाख, दूसरे स्वर्ग में 28 लाख, तीसरे स्वर्ग में 12 लाख, चौथे स्वर्ग में 8 लाख, पांचवें स्वर्ग में 4 लाख, छट्ठे स्वर्ग में 50 हजार, सातवें स्वर्ग में 40 हजार, आठवें स्वर्ग में 6 हजार, नवमें से बारहवें स्वर्ग में 700, प्रथम तीन ग्रैवेयकों में 111, अगले तीन ग्रैवेयकों में 107, अंतिम तीन ग्रैवेयकों में 100 और पांच अनुत्तरों में पांच विमान हैं । इस प्रकार देवों का परिग्रह उत्तरोत्तर कम होता जाता है ।
2. बारह देवलोक :- ज्योतिष्चक्र से असंख्यात योजन उपर सौधर्म और ईशान कल्प है, उनके बहुत उपर समश्रेणी में सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प है । उनके उपर किन्तु मध्य में ब्रह्मलोक है । उसके उपर समश्रेणी में लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार ये तीनों कल्प एक दूसरे के उपर क्रमशः स्थित है । इनके उपर सौधर्म-ईशान की भाँति आनत और प्राणत कल्प स्थित है । उनके उपर समश्रेणी में आनत के उपर आरण और प्राणत के उपर अच्युत कल्प स्थित हैं ।
3. बारह वैमानिक देवलोकों के उपर स्थित नौ देव विमानों को ग्रैवेयक कहा जाता है
4. यह संपूर्ण चोदह राजलोक पुरूषाकृति में है और वे नौ देव विमान पुरुषाकृति में ग्रीवा स्थली में स्थित होने के कारण नवग्रैवेयक कहलाते हैं ।
5. पांच अनुत्तर विमान के देवों की विशिष्टता
पांच अनुत्तर विमानों में सर्वार्थसिद्ध विमानवासी देवों का च्यवन (मृत्यु) होने के बाद केवल एक बार मनुष्य जन्म धारण करते हैं और उसी भव में मोक्ष जाते हैं । शेष चार अनुत्तर वैमानिक देव द्विचरमावर्ती होते हैं । अधिक से अधिक दो मनुष्य भव धारण करके मोक्ष में जाते हैं । इन चारों का क्रम इस प्रकार हैं, देवलोक से च्युत होकर मनुष्य जन्म, फिर अनुत्तर विमान में जन्म और मनुष्य जन्म धारण करके मोक्ष जाते हैं ।
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